वाराणसी: भारत को 2025 तक टीबी मुक्त करने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना पूरा करने में प्रदेश सरकार के साथ अब लोकल प्रशासन भी जी जान से जुट गया है. यही वजह है कि 10 दिन के टीबी मुक्ति के अभियान की सफलता और टीबी मरीज को चिह्नित करने के सरकारी टारगेट को पूरा करने के लिए अब नए-नए तरीके निकाले जा रहे हैं.
एक तरफ जहां घर-घर जाकर टीबी के मरीजों को खोजने का अभियान चल रहा है. वहीं कई दूसरे माध्यम के जरिए इनाम देकर प्राइवेट डॉक्टर्स और बाहरी लोगों को टीवी के मरीजों को सरकारी अस्पतालों तक पहुंचाने की स्कीम भी लागू कर दी गई है, जिसके बाद टीवी के मरीजों को प्रॉपर इलाज मिल सकेगा. इसके लिए खुद लोग बढ़-चढ़कर आगे आ रहे हैं.
- टीबी के मरीजों की बढ़ रही संख्या और हर किसी को प्रॉपर ट्रीटमेंट देने के लिए सरकारी आदेश के बाद स्वास्थ्य महकमा तेजी से काम कर रहा है.
- जिला क्षय रोग अधिकारी के मुताबिक क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 2022 तक वाराणसी को टीबी रोग से मुक्ति का टारगेट निर्धारित किया गया.
- इसके मद्देनजर हाल ही में 10 जून से 22 जून तक एक विशेष अभियान चलाया गया.
- इस 12 दिन के अभियान में 5 लाख नौ हजार लोगों की स्क्रीनिंग हुई, जो 2017 के पेशेंट की जांच के साथ संपन्न हुआ.
- इनमें से 89 मरीज लक्षण के आधार पर चिह्नित किए गए हैं और 21 मरीजों की जांच पॉजिटिव पाई गई है.
- इसके बाद इनका ट्रीटमेंट शुरू किया जा रहा है.
- जिला क्षय रोग अधिकारी का कहना है कि 110 मरीजों में से 106 को तुरंत ट्रीटमेंट दिया जा रहा है और शेष का जल्द इलाज शुरू हो जाएगा.
- उन्होंने कहा कि इसके लिए जनपद में 203 टीमों का गठन किया गया है और टीम ने एक दिन में 50 घरों में जाकर टीबी के मरीजों को खोजने का काम किया है.
सरकारी आदेश के बाद एक तरफ जहां घर-घर जाकर टीबी के पेशेंट को खोजने का काम चल रहा है. वहीं नए आदेश के तहत अब टीबी के पेशेंट का पता बताने वालों को या उनको इलाज के लिए सरकारी अस्पताल तक लेकर आने पर इनाम के तौर पर 500 रुपये देने की भी तैयारी कर ली गई है. सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है यह 500 रुपये उन प्राइवेट डॉक्टर्स को भी दिए जा रहे हैं, जिनके यहां अपना इलाज करवाने के लिए कोई टीबी का मरीज पहुंच रहा है.
-डॉ. राकेश सिंह, जिला क्षय रोग अधिकारी