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नाग पंचमी 2021 : ऐसे करें नाग देव की पूजा, प्रसन्न होंगे नाग देवता, ये है शुभ मुहूर्त - नाग पंचमी पूजा विधि

नाग पंचमी (Nag panchami 2021) का दिन नाग देवता को समर्पित है. इस दिन नागदेवता की पूजा करने से कालसर्प दोष का निवारण होता है. सर्प को सनातन धर्म में पूज्यनीय माना गया है. महादेव जहां सांप को अपने गले में धारण करते हैं, वहीं जगत के पालनहार नारायण शेषनाग पर विराजमान होते हैं.

नाग पंचमी 2021
नाग पंचमी 2021
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Published : Aug 13, 2021, 6:56 AM IST

Updated : Aug 13, 2021, 7:41 AM IST

वाराणसी : सावन का महीना पूर्ण रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है. इसी महीने में शिव के गले में स्थान पाने वाले नाग की पूजा भी होती है. जिसे नाग पंचमी कहा जाता है. इस दिन नागों की विशेष रूप से पूजा की जाती है. इस साल नाग पंचमी 13 अगस्त को मनाई जा रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन नागों की पूजा करने से पापों का नाश होता है साथ ही भगवान शिव का भी आशीर्वाद मिलता है.

प्रोफेसर विनय पांडेय ने दी जानकारी
महादेव को प्रिय हैं नाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृति विद्या धर्म संकाय के प्रोफेसर विनय पांडेय ने बताया कि भगवान शिव को नाग अति प्रिय है. इसलिए नाग देवता भगवान शिव के गले की शोभा बढ़ाते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार पौराणिक काल से ही सर्पों को देवता के रुप में पूजा जाता रहा है. इसलिए नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा व आराधना से आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है.
मिलती हैं सर्प दंश से मुक्तिप्रो विनय पांडे ने बताया कि नाग पंचमी का उल्लेख आपको कई पौराणिक शास्त्रों में भी मिल जाएगा. उन्हीं में से कई धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी व्यक्ति इस विशेष दिन नागदेव की पूजा करता है तो, उसे अपनी कुंडली में मौजूद राहु और केतु से संबंधित हर प्रकार के दोष से तो मुक्ति मिलती ही है, इसके अलावा वैदिक ज्योतिष में भी, जातक को सांप का डर और सर्पदंश से मुक्ति दिलाने के लिए भी, नाग पंचमी के दिन पूजा-अनुष्ठान किए जाने का विधान है.

शुभ मुहूर्त -

12 अगस्त - दोपहर 3 बजकर 28 मिनट (आरंभ)
13 अगस्त - दोपहर 1 बजकर 44 मिनट (समाप्त)

ये है पूजन विधि

प्रो पांडेय ने बताया कि पंचमी के दिन गाय के गोबर से नाग बनाकर दरवाजे पर लगाया जाता हैं. इसके बाद सरसो के दाने से सर्प की आंख बनाकर दूध चावल इत्यादि सामग्री चढ़ाकर विधि विधान पूर्वक नाग देव की पूजा की जाती है.

इस मंत्र का करें जप

सर्पापसर्प भद्रं ते गच्छ सर्प महाविष. जन्मेजयस्य यज्ञान्ते आस्तीक वचनं स्मर..

आस्तीकवचनं समृत्वा यः सर्प न निवर्तते. शतधा भिद्यते मूर्धि्न शिंशपावृक्षको यथा..

नाग देवता की पूजा

नाग पंचमी के दिन पांच नाग बनाकर उनकी पूजा की जाती है. ये नाग अनन्त, वासुकी, तक्षक, कर्कोटक और पिंगल नाग का स्वरूप माने जाते हैं. इस दिन सुबह उठकर स्नान आदि के बाद नाग देवता का स्मरण करना चाहिए. इसके बाद घर के दरवाजे के दोनों तर​फ चांदी, लकड़ी या मिट्टी की कलम से हल्दी और चन्दन की स्याही से फन वाले पांच नाग बनाएं. कमल, पंचामृत, धूप आदि नागों को समर्पित करके विधिवत पूजन करें और खीर का भोग लगाएं. इसके बाद नाग गायत्री मंत्र और सर्प सूक्त का पाठ करें. फिर आरती गाएं. इससे सर्पाें से रक्षा होती है और भाग्य में वृद्धि होती है.

वाराणसी : सावन का महीना पूर्ण रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है. इसी महीने में शिव के गले में स्थान पाने वाले नाग की पूजा भी होती है. जिसे नाग पंचमी कहा जाता है. इस दिन नागों की विशेष रूप से पूजा की जाती है. इस साल नाग पंचमी 13 अगस्त को मनाई जा रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन नागों की पूजा करने से पापों का नाश होता है साथ ही भगवान शिव का भी आशीर्वाद मिलता है.

प्रोफेसर विनय पांडेय ने दी जानकारी
महादेव को प्रिय हैं नाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृति विद्या धर्म संकाय के प्रोफेसर विनय पांडेय ने बताया कि भगवान शिव को नाग अति प्रिय है. इसलिए नाग देवता भगवान शिव के गले की शोभा बढ़ाते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार पौराणिक काल से ही सर्पों को देवता के रुप में पूजा जाता रहा है. इसलिए नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा व आराधना से आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है.मिलती हैं सर्प दंश से मुक्तिप्रो विनय पांडे ने बताया कि नाग पंचमी का उल्लेख आपको कई पौराणिक शास्त्रों में भी मिल जाएगा. उन्हीं में से कई धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी व्यक्ति इस विशेष दिन नागदेव की पूजा करता है तो, उसे अपनी कुंडली में मौजूद राहु और केतु से संबंधित हर प्रकार के दोष से तो मुक्ति मिलती ही है, इसके अलावा वैदिक ज्योतिष में भी, जातक को सांप का डर और सर्पदंश से मुक्ति दिलाने के लिए भी, नाग पंचमी के दिन पूजा-अनुष्ठान किए जाने का विधान है.

शुभ मुहूर्त -

12 अगस्त - दोपहर 3 बजकर 28 मिनट (आरंभ)
13 अगस्त - दोपहर 1 बजकर 44 मिनट (समाप्त)

ये है पूजन विधि

प्रो पांडेय ने बताया कि पंचमी के दिन गाय के गोबर से नाग बनाकर दरवाजे पर लगाया जाता हैं. इसके बाद सरसो के दाने से सर्प की आंख बनाकर दूध चावल इत्यादि सामग्री चढ़ाकर विधि विधान पूर्वक नाग देव की पूजा की जाती है.

इस मंत्र का करें जप

सर्पापसर्प भद्रं ते गच्छ सर्प महाविष. जन्मेजयस्य यज्ञान्ते आस्तीक वचनं स्मर..

आस्तीकवचनं समृत्वा यः सर्प न निवर्तते. शतधा भिद्यते मूर्धि्न शिंशपावृक्षको यथा..

नाग देवता की पूजा

नाग पंचमी के दिन पांच नाग बनाकर उनकी पूजा की जाती है. ये नाग अनन्त, वासुकी, तक्षक, कर्कोटक और पिंगल नाग का स्वरूप माने जाते हैं. इस दिन सुबह उठकर स्नान आदि के बाद नाग देवता का स्मरण करना चाहिए. इसके बाद घर के दरवाजे के दोनों तर​फ चांदी, लकड़ी या मिट्टी की कलम से हल्दी और चन्दन की स्याही से फन वाले पांच नाग बनाएं. कमल, पंचामृत, धूप आदि नागों को समर्पित करके विधिवत पूजन करें और खीर का भोग लगाएं. इसके बाद नाग गायत्री मंत्र और सर्प सूक्त का पाठ करें. फिर आरती गाएं. इससे सर्पाें से रक्षा होती है और भाग्य में वृद्धि होती है.

Last Updated : Aug 13, 2021, 7:41 AM IST
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