वाराणसी: धर्म और शिक्षा की नगरी काशी से देश को हमेशा गंगा जमुनी तहजीब का संदेश दिया जाता रहा है. इसी क्रम में मंगलवार गुरु पूर्णिमा के पर्व पर मुस्लिम महिलाओं ने अपने गुरु बाबा बालक दास की आरती उतारकर उनसे आशीर्वाद लिया. पाताल पुत्री मठ के पीठाधीश्वर बाबा बालक दास की मुस्लिम महिलाओं ने आरती उतारी और उनका आशीर्वाद लिया.
मुस्लिम महिलाओं ने गुरु पूर्णिमा पर की पूजा-
- गुरु पूर्णिमा का यह पर्व शिष्यों के लिए बहुत बड़ा पर्व है जो शिष्य देश विदेश में रहते हैं.
- इस दिन अपने गुरु दर्शन के लिए मिलते हैं तो उनके साल भर का दर्शन एक साथ ही पूर्ण हो जाता है.
- यह मठ जगदगुरु रामानंदाचार्य महाराज के पद चिन्हों पर चलने वाले स्वामी नरहरी दास का है.
- स्वामी रामानंदाचार्य महाराज ने मुगलों के शासन काल में राम भक्ति की धारा बहायी थी.
- इसलिए आज यह पाताल पुत्री परिसर हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई सभी के लिए एक समान है.
गुरु बालक दास हम सभी के गुरु हैं और गुरु शिष्य परंपरा का निर्वहन करते रहे है. सभी मुस्लिम महिलाओं ने पाताल पुत्री पीठाधीश्वर की आरती उतारकर उनसे आशीर्वाद लिया है. गुरु शिष्य की परंपरा को हर कोई मनाता है क्योंकि इस परंपरा में किसी तरह की जाति धर्म की बंदिशें नहीं होती. पिछले 3 सालों से इस परंपरा को इसी तरह निभाते चली आ रही हूं.
नाजनीन अंसारी, मुस्लिम महिला
मुस्लिम महिलाएं ही नहीं बल्कि कई धर्म के लोग गुरु पूर्णिमा पर यहां उपस्थित हुए हैं. अंधकार और प्रकाश दोनों ही एक शिष्य के अंदर होते हैं और अंधकार से प्रकाश की तरफ ले जाने वाले को गुरु कहते हैं. अंधकार में कोई नहीं रहना चाहता, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का हो, जो गुरु शिष्य को अंधकार से रोशनी की तरफ ले जाते हैं उन को पूछने के लिए जाति और धर्म नहीं देखा जाता.
बाबा बालक दास,पीठाधीश्वर