ETV Bharat / state

Varanasi News: बनारस के इन घाटों पर क्यों होंगी मुर्दा चौकी, जानिए कैसे मिलेगा इसका फायदा - मणिकर्णिका घाट पर मुर्दा चौकी

वाराणसी में दो घाटों मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट पर देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग आते हैं. मुर्दा चौकी बंद होने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसी को ध्यान में रखकर यह व्यवस्था फिर से प्लानिंग के साथ शुरू की जाएगी.

वाराणसी
वाराणसी
author img

By

Published : Jan 30, 2023, 12:59 PM IST

वाराणसी के घाटों पर बनेगी मुर्दा चौकी

वाराणसी: काशी में एक तरफ जहां पर्यटकों का आना लगा रहता है. तो मोक्ष की नगरी में अपनों को मोक्ष दिलवाने की इच्छा लेकर भी देश-विदेश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में लोग महाश्मशान मणिकर्णिका घाट भी पहुंचते हैं. मणिकर्णिका घाट पर शवों के दाह संस्कार की व्यवस्था अनादि काल से चली आ रही है. लेकिन, बदलते वक्त के साथ यहां चीजें बदलती गईं और तमाम नियम कानूनों में बदलाव होते रहे. लेकिन, अंग्रेजों के समय से मणिकर्णिका घाट पर शुरू हुई एक व्यवस्था 1994-95 में अचानक बंद कर दी गई.यह पुरानी व्यवस्था थी महाश्मशान मणिकर्णिका पर दाह संस्कार के तुरंत बाद मुर्दा चौकी से मृत्यु प्रमाण पत्र उपलब्ध होने की.

तमाम दुश्वारियां और शिकायतों के बाद इस व्यवस्था को यहां से बंद कर दिया गया था. लेकिन, बदलते वक्त और मृत्यु उपरांत मृत्यु प्रमाण पत्र की बढ़ रही जरूरत एक बार फिर से इस व्यवस्था को मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर शुरू करने की तैयारी चल रही है. इसके लिए नगर निगम वाराणसी को जिम्मेदारी के साथ प्लानिंग दी गई है.

इस बारे में नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एमपी सिंह ने बताया कि वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग अपनों के दाह संस्कार के लिए आते हैं. यहां पर एक पुरानी व्यवस्था के तहत मुर्दा चौकी हुआ करती थी, जहां पर मृतक की जानकारी उपलब्ध करवाने के साथ ही जो व्यक्ति चिता को अग्नि देता था, उस आधार पर एक रसीद काटी जाती थी. रसीद बाद में नगर निगम में जमा करने पर मृत्यु प्रमाण पत्र उपलब्ध हो जाता था और इसका सबसे बड़ा फायदा मृतक के परिजनों को होता था. परिजन उस स्लिप का प्रयोग कई तरह के कागजी कार्यों में भी कर लिया करते थे. यहां तक कि संपत्ति बंटवारे तक में हिस्सेदारी के काम में भी उसका उपयोग होने लगा था, जो विवाद की वजह बन रहा था.

इन्हीं दुश्वारियां की वजह से तत्कालीन नगर आयुक्त हरदेव सिंह ने इस मुर्दा चौकी को बंद करने के निर्देश दिए थे और इसे 1995 में ही बंद करवा दिया गया था. तब से यह व्यवस्था रुकी हुई है. लेकिन, अब एक बार फिर से इस व्यवस्था को संचालित करने का प्लान नगर निगम ने बनाया है. इसके लिए वाराणसी नगर निगम मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट दोनों स्थानों पर मुर्दा चौकी की व्यवस्था फिर से लागू करने जा रहा है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि काशी में आने वाले शवों के दाह संस्कार का ब्यौरा नगर निगम के पास इकट्ठा होगा. क्योंकि, अभी तक नगर निगम या वाराणसी प्रशासन के पास कोई डाटा उपलब्ध नहीं है कि वाराणसी के इन दो श्मशान घाटों पर प्रतिदिन कितने शवों का दाह संस्कार हो रहा है. यहां तक कि कई बार विवादित स्थिति में भी शवों का दाह संस्कार चोरी छिपे कर दिया जाता है.

नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एमपी सिंह का कहना है कि ऐसी स्थिति में इन पर भी रोक लगेगी. इसके अलावा मृतक के परिजनों को मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए बेवजह कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने होंगे. यहां से ही प्रथम कार्य पूर्ण होने के बाद उसके जरिए मृत्यु प्रमाण पत्र आसानी से उपलब्ध हो जाएगा. आगे व्यवस्था तत्काल उसी स्थान से प्रमाण पत्र उपलब्ध करवाने की भी की जाएगी.

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि इस व्यवस्था को लागू करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है. क्योंकि, कोरोना काल में वाराणसी में इन 2 घाटों पर शवों का दाह संस्कार हो रहा था तो सबसे बड़ी दिक्कत यहां प्रतिदिन हो रहे शवों के दाह संस्कार के आंकड़ों को लेकर आई थी. उस वक्त यह पता ही नहीं चल पा रहा था कि मृत्यु की वजह क्या है और कहां-कहां के शव वाराणसी में पहुंच रहे हैं. इन सभी दिक्कतों को देखते हुए इन दोनों स्थानों पर इस व्यवस्था को पुनः स्थापित करने की तैयारी की जा रही है. इस व्यवस्था के तहत यहां रजिस्ट्रेशन प्रोसेस करवाने वाले को पूरी जानकारी उपलब्ध करवानी होगी. कॉज ऑफ़ डेथ, मृतक का नाम-पता, परिवार में सदस्यों की संख्या के अलावा अन्य कई महत्वपूर्ण जानकारियां भी रजिस्टर में नोट होंगी, ताकि विवाद की कोई स्थिति आगे चलकर पैदा न हो और कोई गलत तरीके से इनका इस्तेमाल भी न कर सके.

यह भी पढ़ें: Varanasi News: अब नए लुक में दिखेगा सारनाथ, 72 करोड़ से बदली जा रही तस्वीर

वाराणसी के घाटों पर बनेगी मुर्दा चौकी

वाराणसी: काशी में एक तरफ जहां पर्यटकों का आना लगा रहता है. तो मोक्ष की नगरी में अपनों को मोक्ष दिलवाने की इच्छा लेकर भी देश-विदेश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में लोग महाश्मशान मणिकर्णिका घाट भी पहुंचते हैं. मणिकर्णिका घाट पर शवों के दाह संस्कार की व्यवस्था अनादि काल से चली आ रही है. लेकिन, बदलते वक्त के साथ यहां चीजें बदलती गईं और तमाम नियम कानूनों में बदलाव होते रहे. लेकिन, अंग्रेजों के समय से मणिकर्णिका घाट पर शुरू हुई एक व्यवस्था 1994-95 में अचानक बंद कर दी गई.यह पुरानी व्यवस्था थी महाश्मशान मणिकर्णिका पर दाह संस्कार के तुरंत बाद मुर्दा चौकी से मृत्यु प्रमाण पत्र उपलब्ध होने की.

तमाम दुश्वारियां और शिकायतों के बाद इस व्यवस्था को यहां से बंद कर दिया गया था. लेकिन, बदलते वक्त और मृत्यु उपरांत मृत्यु प्रमाण पत्र की बढ़ रही जरूरत एक बार फिर से इस व्यवस्था को मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर शुरू करने की तैयारी चल रही है. इसके लिए नगर निगम वाराणसी को जिम्मेदारी के साथ प्लानिंग दी गई है.

इस बारे में नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एमपी सिंह ने बताया कि वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग अपनों के दाह संस्कार के लिए आते हैं. यहां पर एक पुरानी व्यवस्था के तहत मुर्दा चौकी हुआ करती थी, जहां पर मृतक की जानकारी उपलब्ध करवाने के साथ ही जो व्यक्ति चिता को अग्नि देता था, उस आधार पर एक रसीद काटी जाती थी. रसीद बाद में नगर निगम में जमा करने पर मृत्यु प्रमाण पत्र उपलब्ध हो जाता था और इसका सबसे बड़ा फायदा मृतक के परिजनों को होता था. परिजन उस स्लिप का प्रयोग कई तरह के कागजी कार्यों में भी कर लिया करते थे. यहां तक कि संपत्ति बंटवारे तक में हिस्सेदारी के काम में भी उसका उपयोग होने लगा था, जो विवाद की वजह बन रहा था.

इन्हीं दुश्वारियां की वजह से तत्कालीन नगर आयुक्त हरदेव सिंह ने इस मुर्दा चौकी को बंद करने के निर्देश दिए थे और इसे 1995 में ही बंद करवा दिया गया था. तब से यह व्यवस्था रुकी हुई है. लेकिन, अब एक बार फिर से इस व्यवस्था को संचालित करने का प्लान नगर निगम ने बनाया है. इसके लिए वाराणसी नगर निगम मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट दोनों स्थानों पर मुर्दा चौकी की व्यवस्था फिर से लागू करने जा रहा है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि काशी में आने वाले शवों के दाह संस्कार का ब्यौरा नगर निगम के पास इकट्ठा होगा. क्योंकि, अभी तक नगर निगम या वाराणसी प्रशासन के पास कोई डाटा उपलब्ध नहीं है कि वाराणसी के इन दो श्मशान घाटों पर प्रतिदिन कितने शवों का दाह संस्कार हो रहा है. यहां तक कि कई बार विवादित स्थिति में भी शवों का दाह संस्कार चोरी छिपे कर दिया जाता है.

नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एमपी सिंह का कहना है कि ऐसी स्थिति में इन पर भी रोक लगेगी. इसके अलावा मृतक के परिजनों को मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए बेवजह कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने होंगे. यहां से ही प्रथम कार्य पूर्ण होने के बाद उसके जरिए मृत्यु प्रमाण पत्र आसानी से उपलब्ध हो जाएगा. आगे व्यवस्था तत्काल उसी स्थान से प्रमाण पत्र उपलब्ध करवाने की भी की जाएगी.

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि इस व्यवस्था को लागू करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है. क्योंकि, कोरोना काल में वाराणसी में इन 2 घाटों पर शवों का दाह संस्कार हो रहा था तो सबसे बड़ी दिक्कत यहां प्रतिदिन हो रहे शवों के दाह संस्कार के आंकड़ों को लेकर आई थी. उस वक्त यह पता ही नहीं चल पा रहा था कि मृत्यु की वजह क्या है और कहां-कहां के शव वाराणसी में पहुंच रहे हैं. इन सभी दिक्कतों को देखते हुए इन दोनों स्थानों पर इस व्यवस्था को पुनः स्थापित करने की तैयारी की जा रही है. इस व्यवस्था के तहत यहां रजिस्ट्रेशन प्रोसेस करवाने वाले को पूरी जानकारी उपलब्ध करवानी होगी. कॉज ऑफ़ डेथ, मृतक का नाम-पता, परिवार में सदस्यों की संख्या के अलावा अन्य कई महत्वपूर्ण जानकारियां भी रजिस्टर में नोट होंगी, ताकि विवाद की कोई स्थिति आगे चलकर पैदा न हो और कोई गलत तरीके से इनका इस्तेमाल भी न कर सके.

यह भी पढ़ें: Varanasi News: अब नए लुक में दिखेगा सारनाथ, 72 करोड़ से बदली जा रही तस्वीर

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.