वाराणसी: वैश्विक महामारी कोरोना के बीच इंसान जिंदगी जीने के लिए संघर्ष कर रहा है. खुद को सुरक्षित रखना परिवार का पेट पालना चुनौती बन चुका है. इन सबके बीच एक तरफ जहां इंसान परेशान है, वहीं सबसे ज्यादा मुसीबत का सामना जानवरों को करना पड़ रहा है, क्योंकि लोगों के सड़कों पर नहीं निकलने की वजह से छुट्टा जानवरों के आगे खुद का पेट भरने का संकट पैदा हो गया है.
नगर निगम के चिकित्सक खिला रहे आवारा पशुओं को खाना
हालात यह हैं कि आवारा कुत्ते जहां सड़कों पर घूम रहे लोगों पर हमला करने लगे हैं, वहीं छुट्टा गाय और सांड भी लोगों को अपने निशाने पर लेने लग गए हैं. वाराणसी नगर निगम के अधीन संचालित होने वाले जानवरों के अस्पताल में कार्य करने वाले डॉक्टर और यहां के कर्मचारी इन जानवरों का पेट भर रहे हैं, बल्कि हल्की चोट और बीमारी की हालत में इनका इलाज भी कर रहे हैं.
दरअसल, नगर निगम के आंकड़ों पर यदि गौर करें तो वाराणसी में से 5000 से ज्यादा आवारा और छुट्टा जानवर इन दिनों लॉकडाउन की वजह से परेशान हैं. इनका रोज पेट भरने का जिम्मा नगर निगम वाराणसी के साथ इनका इलाज करने वाले जानवरों के डॉक्टर ने उठाया है.
पांच अलग-अलग जोन में टीम
डॉक्टर्स का कहना है कि प्रतिदिन 5000 से ज्यादा आवारा स्वान, छुट्टा सांड और गाय का पेट भरने के लिए हमारी पांच अलग-अलग जोन में टीम लगी हुई हैं. पांच गाड़ियों की मदद से रोज कई क्विंटल खिचड़ी तैयार करके आवारा कुत्तों के बीच वितरित की जा रही है. बिस्किट के पैकेट के साथ गाय और सांड के लिए चूनी भूसी की व्यवस्था भी की गई है.
रोज सुबह दोपहर शाम तीन वक्त यह गाड़ियां वाराणसी के भेलूपुर आदमपुर कोतवाली समेत कुल 5 जोन में निकलती हैं. गली और सड़कों पर मौजूद आवारा जानवरों को इकट्ठा करके उनका पेट भरने का काम डॉ. और स्टाफ करते हैं.
डॉक्टरों का कहना है कि इस दौर में सिर्फ जानवरों का पेट भरना ही जरूरी नहीं है, बल्कि उनके स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना पड़ रहा है, जो जानवर बीमार हैं, हल्के-फुल्के चोटिल हुए उनका इलाज भी हो रहा है और जिनको ज्यादा गंभीर होने की वजह से इलाज की जरूरत है, उन्हें अस्पताल लाकर उनका इलाज किया जा रहा है.