वाराणसी: आध्यात्म की नगरी काशी के बारे में पौराणिक मान्यता है कि 'काश्याम मरण्याम मुक्ति', यानी काशी में मरने से इंसान मोक्ष को प्राप्त होता है. इसी मोक्ष की चाह में देश-दुनिया के कोने-कोने से लोग जीवन के अंतिम समय काशी में आकर अपनी मृत्यु का इंतजार करते हैं. ऐसे लोगों के लिए काशी में पुराने समय के समाजसेवियों और औद्योगिक घरानों ने कई भवनों का निर्माण कराया था, जहां रहकर लोग अपनी मृत्यु का इंतजार करते थे. ताकि उनका अंतिम समय काशी में ही बीते, लेकिन अब मोक्ष की चाह रखने वाले लोगों को मृत्यु के इंतजार के लिए दूर नहीं, बल्कि बाबा विश्वनाथ की शरण में ही रहने का मौका मिलेगा.
विश्वनाथ मंदिर प्रशासन निर्माणाधीन कॉरिडोर परिसर में ही एक ऐसे भवन का निर्माण कराने जा रहा है, जहां काशी प्रवास कर लोग मोक्ष की चाह में अपने जीवन के अंतिम समय को बाबा के चरणों में ही बिता पाएंगे. दरअसल, बाबा विश्वनाथ के मंदिर के विस्तारीकरण के तहत विश्वनाथ कॉरिडोर के काम की शुरुआत हो चुकी है. 14 जनवरी यानी मकर संक्रांति से कॉरिडोर के निर्माण का काम तेजी से हो रहा है.
मंदिर कॉरिडोर में व्यवस्थाओं को लेकर अब प्लानिंग आगे बढ़ाई जा रही है. इसी प्लानिंग में यह बात स्पष्ट हुई है कि मोक्ष की चाह में काशी प्रवास करने वालों की बड़ी संख्या है. इसलिए ऐसे लोगों को बाबा विश्वनाथ के चरणों में जगह देते हुए परिसर के निर्माणाधीन एक मुमुक्षु भवन में रहने का मौका दिया जाए. इस भवन में पहले आओ पहले पाओ के प्लान के तहत कार्य होगा.
तीन मंजिला भवन बनेगा. जिसमें एक पिलग्रिम गेस्ट हाउस के साथ मुमुक्षु भवन का निर्माण होगा. पिलग्रिम गेस्ट हाउस में सस्ते दरों में लोगों को कमरे मुहैया कराकर यहां आने वाले भक्तों और सैलानियों को सुविधाएं दी जाएंगी, जबकि मुमुक्षु भवन में काशी प्रवास कर मोक्ष की चाह रखने वाले लोगों को बाबा के नजदीक रहकर अपने जीवन के अंतिम क्षणों को बिताने के लिए कमरे दिए जाएंगे.
-विशाल सिंह, मुख्य कार्यपालक अधिकारी, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर