वाराणसी: दुनिया का सबसे प्राचीन शहर वाराणसी भारत के अधिकांश धार्मिक संप्रदायों के लिए एक पावन भूमि है. भक्ति और अध्यात्म की इस नगरी में हर साल दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु आते हैं. प्रधानमंत्री की नई विकास नीति के बाद बनारस में यह संख्या और बड़ी है. संख्या को बढ़ता देखते हुए मूलभूत सुविधाओं को भी विकसित किया जा रहा है. इसमें 2014 के बाद वाराणसी में रेलवे को लेकर के भी बड़ा बदलाव किया गया है.
दरअसल, वाराणसी में चार रेलवे स्टेशन है. जिनमें प्रमुख कैंट रेलवे स्टेशन माना जाता है. यहां सबसे ज्यादा ट्रेनों का संचालन होता है. पीएम मोदी के बनारस का सांसद(pm modi banaras mp) बनने के बाद इस रेलवे स्टेशन की कायाकल्प कर इसे बेहतर और आधुनिक बनाया गया. इस रेलवे स्टेशन के बदलते स्वरूप को लेकर कर उत्तर रेलवे वाराणसी ने एक आंकड़ा जारी किया है. इस आंकड़े में कैंट रेलवे स्टेशन के बदलते स्वरूप और यात्रियों को दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में बताया गया है.
117 रेलगाड़ियों को प्रतिदिन हैंडल करता है ये स्टेशन
बता दें कि, 2014 के बाद से स्टेशन के आधारभूत संरचनाओं को विकसित किया जा रहा है. वर्तमान में उत्तर रेलवे का वाराणसी जंक्शन स्टेशन देश की हर दिशा से इस पावन नगरी को आने वाली 117 रेलगाड़ियों को प्रतिदिन हैंडल करता है. इसमें भारत की बेहद प्रतिष्ठित और लोकप्रिय पहली सेमी-हाई स्पीड रेलगाड़ी वंदे भारत एक्सप्रेस भी शामिल है.
स्टेशन पर प्रतिदिन 67 हजार से ज़्यादा यात्रियों का होता है आवागमन
इस स्टेशन पर हर दिन 67,216 से अधिक यात्रियों का आवागमन होता है. यह पिछले वर्ष की तुलना में 150% अधिक यात्रियों की संख्या है. उत्तर रेलवे शहर के इस प्रमुख स्टेशन के पुनर्विकास के लिए राइट्स की मदद ले रहा है. इस पुनर्विकास कार्य के अंतर्गत स्टेशन के बाहरी संरचना का सौंदर्यीकरण, मौजूदा प्लेटफॉर्मों में सुधार, दो नए प्लेटफॉर्मों और दो नए फुट-ओवर-ब्रिजों का निर्माण और स्टेशन के तीसरे प्रवेश द्वार का प्रावधान शामिल हैं.
वर्तमान में स्टेशन पर उपलब्ध सुविधाएं
रेलवे की ओर से जारी हुए आंकड़ों में बताया गया है कि, कैंट रेलवे स्टेशन पर 9 प्लेटफॉर्म की संख्या, प्रतीक्षालय,2616 सीटों के समकक्ष बैठने की व्यवस्था,16337 वर्ग मीटर का प्लेटफॉर्म शेल्टर,दो फुट-ओवर ब्रिज,10 एस्केलेटर,5 लिफ्ट,प्लेटफार्म पर जलापूर्ति के पेयजल के नल और वाटर कूलर,स्वछता के लिए शौचालय, कूडे़दान,यात्रियों की सुविधा के लिए पर्याप्त एलईडी लाइटें,पंखे,टाइम टेबल डिस्प्ले,इलेक्ट्रॉनिक ट्रेन इंडिकेशन बोर्ड,घड़ी, जन उदघोषणा प्रणाली, कम्प्यूटर आधारित उदघोषणाएं, पार्किंग-सह-सर्कुलेटिंग एरिया,अमानती सामान घर,एक्जिक्यूटिव लाउंज एवं अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक लाउंज है. साथ ही बिजली से चलने वाले वाहनों के चार्जिंग प्वाइंटों का भी प्रस्ताव है.
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मालभाड़ा का अलग व्यवस्था के तहत संचालन
जनसम्पर्क अधिकारी दीपक कुमार ने बताया कि इस जंक्शन पर मालभाड़ा संचालन की भी अलग व्यवस्था है. उन्होंने बताया कि, वाराणसी दो प्रमुख मेट्रो शहरों दिल्ली और कोलकाता के बीच स्थित है. इस सेक्शन पर मालगाड़ियों की भारी आवाजाही रहती है. जिसके कारण मालगाड़ियों को यात्री क्षेत्र से अलग करने की आवश्यकता महसूस की गयी है.
इसके लिए शिवपुर से फ्रेट बाईपास लाइन का निर्माण किया गया है. जिससे यार्ड से होकर आवाजाही कम हो सके.लाइन वाराणसी जं. के प्लेटफॉर्म 9 से काफी आगे बिछाई गई है. जिन मालगाड़ियों को वाराणसी में ऑफलोड नहीं करना है, उन्हें बाईपास लाइन के माध्यम से काशी से शिवपुर की ओर भेजा जा रहा है. जिससे वाराणसी जं. रेलवे स्टेशन को बाईपास किया जा सके. इससे स्टेशन क्षेत्र में यात्री रेलगाड़ियों के आवागमन को सुगम बनाए रखने में मदद मिली है. इस कदम से मालगाड़ियों की गति भी बेहतर हुई है और यार्ड डिटेंशन के कारण होने वाले समय के नुकसान को भी बचाया जा रहा है.
वाराणसी यार्ड री-मॉडलिंग
दीपक कुमार ने बताया कि रेलवे स्टेशन को और विकसित करने के लिए यार्ड रिमोड्यूलिंग का कार्य चल रहा है, जिसमें वाराणसी यार्ड में लूप की लंबाई और प्लेटफॉर्म की लंबाई में वृद्धि,यात्रीगाड़ी के रख-रखाव के लिए दो नई वाशिंग लाइन और 4 सिक लाइन पिट की व्यवस्था की जाएगी. जनवरी से इसका लाभ यात्रियों को मिलने लगेगा.
शरू हुए नए प्रयास
जनसम्पर्क अधिकारी ने बताया कि रेलवे द्वारा ‘एक स्टेशन एक उत्पाद’ की पायलट परियोजना को वाराणसी जं. स्टेशन पर लॉन्च किया गया, जिसमे लकड़ी के खिलौनों की बिक्री और एवं लोकप्रियता बढ़ाने हेतु रेलवे बोर्ड द्वारा चिन्हित किया गया.यह वाराणसी क्षेत्र का एक हस्ताक्षर हस्तशिल्प उत्पाद है. लकड़ी के खिलौनों का स्टॉल मार्च, 2022 से आवंटित किया गया और इसे प्लेटफार्म नं. 1. पर लगाया गया है. यह पहल यात्रियों के बीच बेहद लोकप्रिय रही है और स्टॉल ने खिलौनों की बिक्री से लगातार बढ़ता लाभ दर्ज किया है. उन्होंने कहा कि, इस तरह रेलवे स्थानीय कारीगरों को उनके हस्तशिल्प की बिक्री के लिए एक प्रमुख मंच प्रदान करके क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भी मदद कर रहा है.
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