वाराणसी: मानसून के खत्म होने के बाद जब ठंड की शुरुआत होती है, तब रबी की फसल यानी गेहूं, चना, सरसों और कई अन्य तरह की सब्जियों की फसलों के बुआई का समय होता है. समरसेबल के जरिए खेतों में पानी भरने के वाले किसानों के लिए बिजली बड़ी समस्या है. लेकिन अब किसानों को परेशान नहीं होना पड़ेगा. ग्रामीण क्षेत्रों में अब बिजली पूरे 20 घण्टे उपलब्ध रहेगी.
शिफ्ट के आधार पर आती थी बिजली
दरअसल, ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा परेशानी बिजली कटौती को लेकर होती थी. बिजली कट जाने के बाद समरसेबल नहीं चलता था और खेतों में पानी समय से नहीं पहुंच पाता था. गांवों में शिफ्ट वाइज सुबह 3 घंटे और रात में 3 घंटे बिजली आने से किसानों को रात रात भर जाग कर खेतों में पानी भरना पड़ता था. किसानों का कहना है कि रात के वक्त ठंड में सांप-बिच्छू के डर से खेतों में काम करने को कोई मजदूर तैयार नहीं होते थे, जो लोग खुद खेती करते थे उनके लिए भी मुसीबत भरा होता था.
अब मिल ही 20 घंटे बिजली
ग्रामीण क्षेत्रों में पहले 5 से 6 घंटे बिजली रहने से किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब किसानों की यह परेशानी खत्म हो रही है, क्योंकि अब 20 घंटे से ज्यादा बिजली उपलब्ध होगी. अब किसान अपने मन मुताबिक समय में समरसेबल चलाकर खेतों में आसानी से पानी भर सकते हैं. किसानों को अब अपनी आमदनी बढ़ने की उम्मीद है. किसानों का कहना है कि सबसे ज्यादा आराम बिजली मिल पाने की वजह से हो रहा है, क्योंकि रबी की फसलों के लिए खेतों में पानी अति आवश्यक होता है.
बिजली विभाग भी है तैयार
ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार बिजली आपूर्ति देने और किसी तरह की परेशानी से बचाने के लिए बिजली विभाग ने भी कमर कस रखी है. शहर से हटकर ग्रामीण इलाकों में बिजली की आपूर्ति बराबर हो, इसके लिए अलग टीम लगाई गई है. अधिकारियों का कहना है कि किसी भी समस्या की जानकारी होने पर जल्द से जल्द उसका निस्तारण किया जाता है. ट्रांसफार्मर खराब होने, तार टूटने या वोल्टेज फ्लकचुएशन की शिकायत पर संबंधित सब-स्टेशन से बात कर शीघ्र ही निस्तारण करने का प्रयास किया जाता है. यही वजह है कि बिजली सुधार की दिशा में ग्रामीण क्षेत्रों में काफी बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है.