वाराणसी: शहर में कंक्रीट के जंगल अब धीरे-धीरे फैलते ही जा रहे हैं. शहर की तमाम खेती बड़ी वाली जमीन भी अब बंजर घोषित हो रही हैं. इस क्रम में शहर के बीचों बीच तुलसीपुर इलाके में स्थित दो आराजी नंबर 12.44 एकड़ भूमि को एसडीएम सदर के न्यायालय ने बंजर घोषित कर दिया है. इसके बड़े हिस्से में गैलेक्सी हॉस्पिटल के साथ ही कई इमारतें बनी हैं. कब्जा किए लोग इस संदर्भ में कोई भी साक्ष्य पेश नहीं कर सके मालिकाना हक को लेकर जिसके बाद यह निर्णय लिया गया है.
दरअसल तुलसीपुर के आराजी नंबर 183 रकबा 9 एकड़ और आराजी नंबर 197 में रकबा 3.44 एकड़ पर मलिक महाराज ईश्वरी प्रसाद नारायण सिंह का नाम अंकित है. इस भूमि पर 1359 फसली में कई नाम दर्ज हो गए हैं. एक शिकायत के बाद इस पर कब्जा किया लोगों को नोटिस जारी की गई थी. इसमें प्रतिमा वर्मा, शेर बहादुर शाही, वीणा तिवारी, प्रेम सागर मिश्रा, गैलेक्सी लाइफ सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के जरिए डॉ बिस्वेष दत्त तिवारी, अंजना शामिल रहे. संबंधित लोगों ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उनका नाम सही दर्ज है. इन लोगों ने विकास प्राधिकरण से मानचित्र स्वीकृत भी करवाया है. इस संदर्भ में अस्पताल और भवन आदि का निर्माण ही करवाया गया है. इन लोगों ने बैनामा की कॉपी भी पेश की है.
ज्वाइंट मजिस्ट्रेट एसडीएम सदर जयदेव सीएस के न्यायालय ने इस संदर्भ में शासकीय अधिवक्ता तहसील सदर व नगर निगम अधिवक्ता को सुनने के बाद साथ ही तहसील की समस्त पत्रावलियों का अवलोकन किया. तहसील सदर की आख्या में उल्लेख किया गया कि यह संदिग्ध है. महाराज प्रभु नारायण सिंह द्वारा 28 नवंबर 1911 में पट्टा करने की बात कही गई लेकिन कोई साक्ष्यप पत्रावली प्रस्तुत नहीं हो सका. बैनामा गृह कर, जलकर आदि देने से कोई मालिक नहीं हो जाता. राजस्व अभिलेख में नाम किस तरह से दर्ज हुआ इसका कोई आधार उपलब्ध नहीं हो सका है. जब विक्रेता का आधार ही सही नहीं है तो क्रेता को अधिकार नहीं मिल सकता. तहसीलदार ने एसडीएम से सभी दर्ज नाम को निरस्त करने का अनुरोध किया.
अनुरोध के अनुसार बंजर भूमि पर सभी दर्ज नाम को निरस्त कर अभिलेखों को पुनः बंजर नगर निगम का नाम दर्ज करने की सिफारिश की गई. जिला शासकीय अधिवक्ता राजस्व ने बताया कि प्रविष्टि को मात्र इस आधार पर बरकरार नहीं रखी जा सकती कि सभी दर्ज नाम काफी समय से चले आ रहे हैं. इसी आधार पर तत्कालीन एसडीएम ने गैलेक्सी लाइव प्राइवेट लिमिटेड समेत सभी के नाम निरस्त का आदेश तहसीलदार को दिया है.