वाराणसी: जिले के प्रधान डाकघर में उपभोक्ताओं के साथ घोटाले का मामला सामने आया है. मामले की जानकारी उस वक्त सामने आई जब एक उपभोक्ता अपने खाते से पैसा निकालने गया था इस दौरान पता चला कि उसके खाते में पैसा ही नहीं है. धीरे-धीरे यह बात शहर में आग की तरह फैल गई, जिसके बाद लोगों ने अपने खाते चेक कराने शुरू किए, तफ्तीश के दौरान पता चला कि एक नहीं कई लोगों के खातों से पैसे गायब हैं. सूचना पर अधिकारियों ने आनन-फानन में तीन डाकघर कर्मचारियों को निलंबित कर दिया. उपभोक्ताओं की शिकायत के बाद पुलिस मामले की जांच में जुटी है.
जानिए क्या है पूरा मामला
- एक दिन पहले कुछ जमाकर्ता अपने खाते से रूपये निकालने गये तो उनके पासबुक में कुछ रूपये ही दिखाई पड़े, ऐसे में जमाकर्ताओं के होश उड़ गए.
- घटना की जानकारी मिलते ही अन्य जमाकर्ता भी आनन-फानन में अपने रुपयों की जानकारी लेने पहुंचे.
- जानकारी करने पर दर्जनों जमाकर्ताओं के पासबुक में मात्र सैकड़ों में रूपये प्राप्त हुए.
- पीड़ित जमाकर्ताओं में से कई तो ऐसे हैं जिन्होंने अपने खातों में पांच लाख से भी अधिक रुपये जमा कराए थे और उनके खाते में हजार रुपये से भी कम दिख रहे हैं.
इसे भी पढ़ें- बच्चा चोर! बच्चा चोर! चिल्लाती भीड़, DGP ने अफवाहों से बचने की दी सलाह
आपको बता दें कि इस पूरे मामले को दबाने के लिए डाक विभाग ने दिखावटी निलंबन तो कर दिया है लेकिन वो कैमरे के सामने कुछ कहने से बच रहे हैं. ऑफ कैमरा उनका कहना है कि जमाकर्ता एजेंट के माध्यम से अपने रुपये जमा कराते थे ऐसे में डाक विभाग की कोई जिम्मेदारी नहीं है, गलती एजेंट की है. वहीं पुलिस ने पीड़ितों के तहरीर पर अज्ञात एजेंट के खिलाफ मुकदम पंजीकृत कर लिया है और इस मुकदमें में निलंबित डाक सहायकों की भी जिम्मेदारी की जांच की जा रही है. पुलिस का कहना है कि डाक विभाग मामले की जांच कर रहा है और हम भी इस घोटाले की जांच कर रहे हैं, जल्द ही पीड़ितों को न्याय दिया जाएगा.
मीडिया से बचते हुए डाक अधीक्षक पीआर सरोज भले ही पूरे मामले की जांच कर रहे हों लेकिन जिस तरह से जमाकर्ताओं के खाते से करोड़ों रुपये गायब हुए हैं, उसमें डाक विभाग की लापरवाही और मिलीभगत को भी नकारा नहीं जा सकता. बहरहाल पीड़ित अब डाक विभाग के चक्कर इस उम्मीद में काट रहे हैं कि उनकी मेहनत की कमाई उन्हें वापस मिल जाये.