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वाराणसीः पतंग और मांझा पर हावी होता मोबाइल गेम - मकर संक्रांति-2020

यूपी के वाराणसी में पतंग बेचने वाले दुकानदार मायूस हैं. इनका कहना है कि जब से लोगों के हाथों में मोबाइल आ गई है. तब लोग पारंपारिक त्योहार से दूर होते जा रहे हैं. जहां मकर संक्रांति पर लोग पतंग उड़ाने में व्यस्त होते थे. वहीं अब लोग मोबाइल में गेम खेलने में व्यस्त हैं.

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पतंग और मांझा पर हावी होता मोबाइल गेम.
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Published : Jan 13, 2020, 3:47 PM IST

वाराणसीः मकर संक्रांति के अवसर पर पहले तो गंगा स्नान उसके बाद लोग अपनी छतों पर पतंगबाजी करते नजर आते थे. मगर आज हर हाथ में मोबाइल है और हर मोबाइल में गेम. इसकी वजह से कहीं न कहीं इस मकर संक्रांति का पर्व फीका होता नजर आ रहा है. क्योंकि पतंग की दुकानों पर भीड़ कम और मोबाइल में लोग ज्यादा गेम खेलना पसंद कर रहे हैं. पतंग बेचने वाले दुकादारों का कहना है कि 60 प्रतिशत से ज्यादा पतंगों की बिक्री घट गई है.

पतंग और मांझा पर हावी होता मोबाइल गेम.

मकर संक्रांति के अवसर पर गंगा स्नान की परंपरा है. इसके बाद लोग अपने घर की छत से जमकर पतंगबाजी किया करते थे. यही नहीं एक पूरे उत्साह का माहौल हर गली हर चौराहे और हर छतों पर देखने को मिलता था. मगर अब यह सारी चीजें लुप्त होती नजर आ रही हैं. 14 जनवरी को पतंगबाजी करने के लिए 13 जनवरी की रात को बच्चों को नींद नहीं आती थी.

अब बच्चों के हाथ में मोबाइल और मोबाइल में अत्याधुनिक गेम हो जाने की वजह से लोग पारंपरिक पर्वों से काफी दूर होते नजर आ रहे हैं. इसका सीधा असर पतंग की दुकानों पर देखने के लिए मिल रहा है. मकर संक्रांति का त्योहार नजदीक है लेकिन पतंग की दुकानों पर लोगों की भीड़ नहीं है.

दुकानदारों का कहना है कि 60 प्रतिशत से ज्यादा पतंगों की बिक्री घट गई है. साथ ही यह भी कहा है कि जिस तरीके से आज हर क्षेत्र में मूल्य वृद्धि हुई है. इसे देखते हुए हर क्षेत्र की तरह पतंग की दुकानों पर भी इसका असर देखने के लिए मिल रहा है.

वाराणसीः मकर संक्रांति के अवसर पर पहले तो गंगा स्नान उसके बाद लोग अपनी छतों पर पतंगबाजी करते नजर आते थे. मगर आज हर हाथ में मोबाइल है और हर मोबाइल में गेम. इसकी वजह से कहीं न कहीं इस मकर संक्रांति का पर्व फीका होता नजर आ रहा है. क्योंकि पतंग की दुकानों पर भीड़ कम और मोबाइल में लोग ज्यादा गेम खेलना पसंद कर रहे हैं. पतंग बेचने वाले दुकादारों का कहना है कि 60 प्रतिशत से ज्यादा पतंगों की बिक्री घट गई है.

पतंग और मांझा पर हावी होता मोबाइल गेम.

मकर संक्रांति के अवसर पर गंगा स्नान की परंपरा है. इसके बाद लोग अपने घर की छत से जमकर पतंगबाजी किया करते थे. यही नहीं एक पूरे उत्साह का माहौल हर गली हर चौराहे और हर छतों पर देखने को मिलता था. मगर अब यह सारी चीजें लुप्त होती नजर आ रही हैं. 14 जनवरी को पतंगबाजी करने के लिए 13 जनवरी की रात को बच्चों को नींद नहीं आती थी.

अब बच्चों के हाथ में मोबाइल और मोबाइल में अत्याधुनिक गेम हो जाने की वजह से लोग पारंपरिक पर्वों से काफी दूर होते नजर आ रहे हैं. इसका सीधा असर पतंग की दुकानों पर देखने के लिए मिल रहा है. मकर संक्रांति का त्योहार नजदीक है लेकिन पतंग की दुकानों पर लोगों की भीड़ नहीं है.

दुकानदारों का कहना है कि 60 प्रतिशत से ज्यादा पतंगों की बिक्री घट गई है. साथ ही यह भी कहा है कि जिस तरीके से आज हर क्षेत्र में मूल्य वृद्धि हुई है. इसे देखते हुए हर क्षेत्र की तरह पतंग की दुकानों पर भी इसका असर देखने के लिए मिल रहा है.

Intro:एंकर: मकर संक्रांति के अवसर पर पहले तो गंगा स्नान उसके बाद लोग अपनी छतों पर पतंगबाजी करते नजर आते थे और लोग इस मकर संक्रांति का जमकर लुफ्त उठाते भी थे मगर आज जब हर हाथ में मोबाइल है और हर मोबाइल में गेम तो कहीं ना कहीं इस मकर संक्रांति का पर्व भी फीका होता नजर आ रहा है क्योंकि पतंग की दुकानों पर भीड़ कम और मोबाइल में लोग ज्यादा गेम खेलना पसंद कर रहे हैं।


Body:वीओ: दरअसल मकर संक्रांति के अवसर पर लोग गंगा स्नान कर कर जब अपने घरों पर जाया करते थे तो जमकर पतंगबाजी किया करते थे यही नहीं एक पूरे उत्साह का माहौल हर गली हर चौराहे और हर छतों पर देखने को मिलता था मगर अब यह सारी चीजें लुप्त होती नजर आ रही हैं पहले कहा जाता था कि बच्चों को 13 जनवरी की रात को नींद तक नहीं आया करती थी कि किस तरीके से 14 जनवरी को पतंगबाजी करनी है यही तय होता रहता था लेकिन अब बच्चों के हाथ में मोबाइल और मोबाइल में अत्याधुनिक गेम हो जाने की वजह से लोग पारंपरिक पर्वों से काफी दूर होते नजर आ रहे हैं जिसका सीधा असर पतन की दुकानों पर देखने के लिए मिल रहा है दुकानदारों का कहना है कि 60% से ज्यादा बिक्री घट गई है पतंग की दुकानों पर।


Conclusion:वीओ: वही आपको बताते चलें कि दुकानदार का यह भी कहना है कि जिस तरीके से आज हर क्षेत्र में मूल्य वृद्धि हुई है उसे देखते हुए कहीं ना कहीं हर क्षेत्र में असर पड़ा है जिसका सीधा असर पतंग की दुकानों पर भी देखने के लिए मिल रहा है कहीं ना कहीं यह असर बच्चों द्वारा खेले जा रहे मोबाइल में गेम की वजह से भी हो रहा है नहीं तो लोग जमकर पतंग की दुकानों पर खरीदारी किया करते थे और दूसरे दिन यानी 14 जनवरी को अपनी छतों पर मकर संक्रांति की धूम मचाते थे लेकिन अब वह देखने के लिए नहीं मिलता और लोग अपने मोबाइल में व्यस्त हैं

बाइट: विनोद कुमार गुप्ता पतंग दुकानदार

अमित दत्ता वाराणसी
8299457899
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