वाराणसीः मकर संक्रांति के अवसर पर पहले तो गंगा स्नान उसके बाद लोग अपनी छतों पर पतंगबाजी करते नजर आते थे. मगर आज हर हाथ में मोबाइल है और हर मोबाइल में गेम. इसकी वजह से कहीं न कहीं इस मकर संक्रांति का पर्व फीका होता नजर आ रहा है. क्योंकि पतंग की दुकानों पर भीड़ कम और मोबाइल में लोग ज्यादा गेम खेलना पसंद कर रहे हैं. पतंग बेचने वाले दुकादारों का कहना है कि 60 प्रतिशत से ज्यादा पतंगों की बिक्री घट गई है.
मकर संक्रांति के अवसर पर गंगा स्नान की परंपरा है. इसके बाद लोग अपने घर की छत से जमकर पतंगबाजी किया करते थे. यही नहीं एक पूरे उत्साह का माहौल हर गली हर चौराहे और हर छतों पर देखने को मिलता था. मगर अब यह सारी चीजें लुप्त होती नजर आ रही हैं. 14 जनवरी को पतंगबाजी करने के लिए 13 जनवरी की रात को बच्चों को नींद नहीं आती थी.
अब बच्चों के हाथ में मोबाइल और मोबाइल में अत्याधुनिक गेम हो जाने की वजह से लोग पारंपरिक पर्वों से काफी दूर होते नजर आ रहे हैं. इसका सीधा असर पतंग की दुकानों पर देखने के लिए मिल रहा है. मकर संक्रांति का त्योहार नजदीक है लेकिन पतंग की दुकानों पर लोगों की भीड़ नहीं है.
दुकानदारों का कहना है कि 60 प्रतिशत से ज्यादा पतंगों की बिक्री घट गई है. साथ ही यह भी कहा है कि जिस तरीके से आज हर क्षेत्र में मूल्य वृद्धि हुई है. इसे देखते हुए हर क्षेत्र की तरह पतंग की दुकानों पर भी इसका असर देखने के लिए मिल रहा है.