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इस योजना ने बदली गांव की सूरत, हर किसी को मिला लाभ, चेहरों पर लौटी रौनक - मनरेगा

केंद्र सरकार की मनरेगा योजना का लाभ ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है. वाराणसी के लोहता गांव के स्थानीय लोगों का कहना है कि मनरेगा से गांव में चकरोड, तालाब, सड़क आदि कई सुविधाओं का लाभ मिल रहा है.

मनरेगा से हुआ गांव में बदलाव.
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Published : Feb 23, 2019, 11:46 AM IST

वाराणसी: यूपीए शासन की योजनाओं को गलत बताते हुए दिल्ली की गद्दी पर काबिज एनडीएसरकार ने उन्हीं योजनाओं को आगे बढ़ाते हुए उस में कुछ बदलाव कर सफलता की कहानी गढ़ने की कोशिश की. इन्हीं योजनाओं में से एक है मनरेगा. इन्हीं बदलावों की हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लोहता गांव पहुंची.


वाराणसी के लोहता के भट्टी गांव को पहलवानों का गांव भी कहा जाता है. इस गांव से रामाश्रय यादव जैसे कुश्ती प्लेयर दंगल लड़कर इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म तक पहुंचे. वहीं करीब एक दर्जन से ज्यादा ऐसे पहलवान आज भी यहां मौजूद हैं, जो नेशनल-इंटरनेशनल दंगल की तैयारी में जुटे हैं. इस गांव के विकास की कहानी जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने गांव के अलग-अलग हिस्सों में जाकर सच्चाई परखी.

मनरेगा से हुआ गांव में बदलाव.


भट्टी गांव में स्थानीय लोगों ने मनरेगा की जमकर तारीफ की. यहां के किसान और मजदूर इस बात से बेहद खुश हैं कि चकरोड बनने से उनकी दिनचर्या बदल गई है. किसानों का कहना है कि जहां पहले उन्हें ट्रैक्टर लेकर खेतों तक जाने में परेशानी होती थी, वहीं चकरोड बनने से वह आसानी से खेतों तक पहुंच रहे हैं. अब उन्हें फसल काटकर घर तक जाने में भी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है. हालांकि ग्रामीणों में इस बात की नाराजगी भी दिखी कि मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों को सही तरीके से पेमेंट नहीं मिल पा रहा है.


वहीं मनरेगा के आंकड़ों को लेकर मुख्य विकास अधिकारी गौरंग राठी का कहना है कि मनरेगा योजना के अंतर्गत एक तरफ जहां मजदूर तबके को लाभ दिया जा रहा है, वहीं ग्रामीण परिवेश में रहने वाले लोगों की भी जिंदगी बदलने की कोशिश की जा रही है. प्रशासनिक दावों की माने तो मनरेगा के तहत अब तक 40,506 परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है, जिसके तहत काशी विद्यापीठ, नयापुर विकासखंड, सेवापुरी के साथ प्रधानमंत्री मोदी के गोद लिए गांव नागेपुर में आंगनवाड़ी केंद्र सहित चकरोड, तालाब और मेड़बंदी का काम किया जा रहा है.

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मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि मनरेगा के तहत हुए कामों की बात की जाए तो 78 आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण करवाया जा चुका है और साल 2018-19 में 103 आंगनवाड़ी केंद्र भवनों के निर्माण की स्वीकृति मिल गई है. इसके अलावा सिंचाई नहरों की सीट का सफाई कार्य ग्राम पंचायतों में सिंचाई नालियों का निर्माण पटरी के मरम्मत का कार्य, सड़कों के मरम्मत का कार्य, शौचालयों का निर्माण, वरुणा नदी के पुनरुद्धार कार्य के साथ गोवंशों के लिए आश्रय स्थलों का निर्माण भी मनरेगा के तहत कराया जा रहा है.

वाराणसी: यूपीए शासन की योजनाओं को गलत बताते हुए दिल्ली की गद्दी पर काबिज एनडीएसरकार ने उन्हीं योजनाओं को आगे बढ़ाते हुए उस में कुछ बदलाव कर सफलता की कहानी गढ़ने की कोशिश की. इन्हीं योजनाओं में से एक है मनरेगा. इन्हीं बदलावों की हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लोहता गांव पहुंची.


वाराणसी के लोहता के भट्टी गांव को पहलवानों का गांव भी कहा जाता है. इस गांव से रामाश्रय यादव जैसे कुश्ती प्लेयर दंगल लड़कर इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म तक पहुंचे. वहीं करीब एक दर्जन से ज्यादा ऐसे पहलवान आज भी यहां मौजूद हैं, जो नेशनल-इंटरनेशनल दंगल की तैयारी में जुटे हैं. इस गांव के विकास की कहानी जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने गांव के अलग-अलग हिस्सों में जाकर सच्चाई परखी.

मनरेगा से हुआ गांव में बदलाव.


भट्टी गांव में स्थानीय लोगों ने मनरेगा की जमकर तारीफ की. यहां के किसान और मजदूर इस बात से बेहद खुश हैं कि चकरोड बनने से उनकी दिनचर्या बदल गई है. किसानों का कहना है कि जहां पहले उन्हें ट्रैक्टर लेकर खेतों तक जाने में परेशानी होती थी, वहीं चकरोड बनने से वह आसानी से खेतों तक पहुंच रहे हैं. अब उन्हें फसल काटकर घर तक जाने में भी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है. हालांकि ग्रामीणों में इस बात की नाराजगी भी दिखी कि मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों को सही तरीके से पेमेंट नहीं मिल पा रहा है.


वहीं मनरेगा के आंकड़ों को लेकर मुख्य विकास अधिकारी गौरंग राठी का कहना है कि मनरेगा योजना के अंतर्गत एक तरफ जहां मजदूर तबके को लाभ दिया जा रहा है, वहीं ग्रामीण परिवेश में रहने वाले लोगों की भी जिंदगी बदलने की कोशिश की जा रही है. प्रशासनिक दावों की माने तो मनरेगा के तहत अब तक 40,506 परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है, जिसके तहत काशी विद्यापीठ, नयापुर विकासखंड, सेवापुरी के साथ प्रधानमंत्री मोदी के गोद लिए गांव नागेपुर में आंगनवाड़ी केंद्र सहित चकरोड, तालाब और मेड़बंदी का काम किया जा रहा है.

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मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि मनरेगा के तहत हुए कामों की बात की जाए तो 78 आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण करवाया जा चुका है और साल 2018-19 में 103 आंगनवाड़ी केंद्र भवनों के निर्माण की स्वीकृति मिल गई है. इसके अलावा सिंचाई नहरों की सीट का सफाई कार्य ग्राम पंचायतों में सिंचाई नालियों का निर्माण पटरी के मरम्मत का कार्य, सड़कों के मरम्मत का कार्य, शौचालयों का निर्माण, वरुणा नदी के पुनरुद्धार कार्य के साथ गोवंशों के लिए आश्रय स्थलों का निर्माण भी मनरेगा के तहत कराया जा रहा है.

Intro:मनरेगा स्पेशल:

वाराणसी: 2014 में जब लंबे वक्त के बाद कांग्रेस को सत्ता से हटाकर बीजेपी दिल्ली की गद्दी पर काबिज हुई तो बीजेपी ने भले ही कांग्रेस सरकार की योजनाओं को गलत बताते हुए कई योजनाओं को फेल बताया लेकिन कहीं ना कहीं से उन्हीं योजनाओं को आगे बढ़ाते हुए उस में कुछ बदलाव कर बीजेपी ने इन पुरानी योजनाओं के बल पर नई सफलता की कहानी गढ़ने की कोशिश की इन योजनाओं में से ही एक योजना है मनरेगा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना जिसे शॉर्ट में मनरेगा के नाम से जाना जाता है इस योजना के अंतर्गत एक तरफ जहां 175 रुपए प्रतिदिन की दिहाड़ी पर ग्रामीण परिवेश में रहने वाले मजदूरों को 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी गई वही इसमें कुछ बदलाव करते हुए कई नए प्रोजेक्ट मनरेगा में जोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों के विकास का भी प्रयास हुआ इन्हीं प्रयासों को जानने के लिए हम प्रधानमंत्री मोदी के ही संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लगभग 20 किलोमीटर दूर भट्टी गांव में पहुंचे इस गांव में मनरेगा के तहत अलग-अलग प्रोजेक्ट पर कई काम हुए चकरोड बनाने से लेकर तालाब की फिनिशिंग का काम शौचालय बनाने से लेकर पंचायत भवन तक का काम और इसलिए अपने यहां पहुंच कर यह जानने की कोशिश की कि मनरेगा के तहत हुए काम की सच्चाई क्या है क्या वास्तव में इन कामों से यहां के रहने वाले लोगों की जिंदगी बदली या फिर सारे दावे कागज की हवा हवाई.

ओपनिंग पीटीसी- गोपाल मिश्र


Body:लोहता का भट्टी गांव इसलिए भी फेमस है क्योंकि यह पहलवानों का गांव कहा जाता है यहां रामाश्रय यादव जैसे इंटरनेशनल कुश्ती प्लेयर मट्टी पर दंगल लड़कर इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म तक पहुंचे और अभी भी एक दर्जन से ज्यादा ऐसे पहलवान हैं जो नेशनल इंटरनेशनल की तैयारी में जुटे हैं सबसे बड़ी बात यह है कि शहर से बहुत ज्यादा दूर ना होने की वजह से इस गांव के विकास की कहानी कितनी सच है और कितनी झूठ यह जानने के लिए हमने इस गांव के अलग-अलग हिस्सों में जाकर सच्चाई परखी, भट्टी गांव के ही एक बड़े हिस्से में जब हम पहुंचे तो यहां चकरोड का काम काफी तेजी से हुआ दिखा खेतों तक जाने वाली पक्की सड़क को छोड़कर जैसे ही चकरोड पर पहुंचे तो कुछ लोगों से हमारी मुलाकात हुई हमने यहां पर मौजूद लोगों से बातचीत की तो लोगों ने मनरेगा की जमकर तारीफ की यहां रहने वाले किसान और मजदूर तबके के लोग इस बात से बेहद खुश हैं कीचक रोड बनने से उनकी दिनचर्या बदल गई है किसानों का कहना था कि जहां पहले हमें अपना ट्रैक्टर लेकर खेतों तक जाने में परेशानी होती थी वही चकरोड बनने की वजह से यह काम आसान हो गया फसल काटकर बुझा लेकर घर तक जाने में भी अब परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है कुल मिलाकर कहा जाए तो चकरोड बनने की वजह से जिंदगी में एक बड़ा बदलाव आया है. हालांकि ग्रामीणों में इस बात की नाराजगी भी है कि जिन लोगों ने यह काम किया वह परेशान है यानी मजदूर क्योंकि सही तरीके से उनको पेमेंट नहीं मिल पा रहा है.

बाईट- आबिरन यादव, स्थानीय निवासी
बाईट- मनोज, स्थनीय निवासी
बाईट- स्थनीय निवासी


Conclusion:वहीं अगर मनरेगा में आंकड़ों की बात की जाए तो मुख्य विकास अधिकारी का कहना है कि मनरेगा योजना के अंतर्गत एक तरफ जहां मजदूर तबके को लाभ दिया जा रहा है वहीं ग्रामीण परिवेश में रहने वाले लोगों की भी जिंदगी बदलने की कोशिश हो रही है प्रशासनिक गांवों की हकीकत माने तो अब तक मनरेगा के तहत 40506 परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है जिसके तहत काशी विद्यापीठ ब्लाक नया पुर विकासखंड सेवापुरी प्रधानमंत्री मोदी के गोद लिए गांव नागेपुर आराजी लाइन भरथरा विकासखंड मिल्की चक विकासखंड खेवसीपुर विकासखंड काशी विद्यापीठ ब्लॉक में आंगनवाड़ी केंद्र सुमित चकरोड तालाब और मेड़बंदी का काम भी मनरेगा के तहत किया जा रहा है मुख्य विकास अधिकारी का कहना है कि अगर मनरेगा के तहत हुए कामों की बात की जाए तो 78 आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण करवाया जा चुका है और 2018 19 में 103 आंगनवाड़ी केंद्र भवनों के निर्माण की स्वीकृति मिल गई है इसके अलावा सिंचाई नहरों की सीट का सफाई कार्य ग्राम पंचायतों में सिंचाई नालियों का निर्माण पटरी के मरम्मत का कार्य सड़कों के मरम्मत का कार्य शौचालयों का निर्माण वरुणा बनास नदी के पुनरुद्धार का कार्य और सबसे बड़ा निराश्रित और बेसहारा गोवंश हेतु अस्थाई गोवंश आश्रय स्थलों का निर्माण भी मनरेगा के तहत ही कराया जा रहा है.

बाईट- गौरांग राठी, मुख्य विकास अधिकारी

क्लोजिंग पीटीसी- गोपाल मिश्र

गोपाल मिश्र
9839809074
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