वाराणसी: यूपीए शासन की योजनाओं को गलत बताते हुए दिल्ली की गद्दी पर काबिज एनडीएसरकार ने उन्हीं योजनाओं को आगे बढ़ाते हुए उस में कुछ बदलाव कर सफलता की कहानी गढ़ने की कोशिश की. इन्हीं योजनाओं में से एक है मनरेगा. इन्हीं बदलावों की हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लोहता गांव पहुंची.
वाराणसी के लोहता के भट्टी गांव को पहलवानों का गांव भी कहा जाता है. इस गांव से रामाश्रय यादव जैसे कुश्ती प्लेयर दंगल लड़कर इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म तक पहुंचे. वहीं करीब एक दर्जन से ज्यादा ऐसे पहलवान आज भी यहां मौजूद हैं, जो नेशनल-इंटरनेशनल दंगल की तैयारी में जुटे हैं. इस गांव के विकास की कहानी जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने गांव के अलग-अलग हिस्सों में जाकर सच्चाई परखी.
भट्टी गांव में स्थानीय लोगों ने मनरेगा की जमकर तारीफ की. यहां के किसान और मजदूर इस बात से बेहद खुश हैं कि चकरोड बनने से उनकी दिनचर्या बदल गई है. किसानों का कहना है कि जहां पहले उन्हें ट्रैक्टर लेकर खेतों तक जाने में परेशानी होती थी, वहीं चकरोड बनने से वह आसानी से खेतों तक पहुंच रहे हैं. अब उन्हें फसल काटकर घर तक जाने में भी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है. हालांकि ग्रामीणों में इस बात की नाराजगी भी दिखी कि मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों को सही तरीके से पेमेंट नहीं मिल पा रहा है.
वहीं मनरेगा के आंकड़ों को लेकर मुख्य विकास अधिकारी गौरंग राठी का कहना है कि मनरेगा योजना के अंतर्गत एक तरफ जहां मजदूर तबके को लाभ दिया जा रहा है, वहीं ग्रामीण परिवेश में रहने वाले लोगों की भी जिंदगी बदलने की कोशिश की जा रही है. प्रशासनिक दावों की माने तो मनरेगा के तहत अब तक 40,506 परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है, जिसके तहत काशी विद्यापीठ, नयापुर विकासखंड, सेवापुरी के साथ प्रधानमंत्री मोदी के गोद लिए गांव नागेपुर में आंगनवाड़ी केंद्र सहित चकरोड, तालाब और मेड़बंदी का काम किया जा रहा है.
मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि मनरेगा के तहत हुए कामों की बात की जाए तो 78 आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण करवाया जा चुका है और साल 2018-19 में 103 आंगनवाड़ी केंद्र भवनों के निर्माण की स्वीकृति मिल गई है. इसके अलावा सिंचाई नहरों की सीट का सफाई कार्य ग्राम पंचायतों में सिंचाई नालियों का निर्माण पटरी के मरम्मत का कार्य, सड़कों के मरम्मत का कार्य, शौचालयों का निर्माण, वरुणा नदी के पुनरुद्धार कार्य के साथ गोवंशों के लिए आश्रय स्थलों का निर्माण भी मनरेगा के तहत कराया जा रहा है.