वाराणसी: बनारसी जायका विश्व प्रसिद्ध माना जाता है. यहां की कचौड़ी और चाट के दीवाने हर शहर में मिलेंगे. बड़ी बात ये है कि अब शहर बनारस में बनारसी जायकों के साथ उत्तर भारत के जायकों का भी तड़का लग गया है. जी हां, पहली बार ऐसा हो रहा है कि बनारस में सरकार की ओर से लगाई गई हस्तशिल्प प्रदर्शनी में बनारसी व्यजनों संग उत्तर भारत के व्यंजनों का मिश्रण किया गया है.
दरअसल, वाराणसी में छह दिवसीय महोत्सव का आयोजन किया गया है. इसमें हैंडीक्राफ्ट, हैंडलूम से लेकर तमाम कलाओं को प्रदर्शित किया गया है. लेकिन, पहली बार ऐसा हुआ है कि इस महोत्सव में प्रमुख व्यंजनों को भी शामिल किया गया है, जो उत्तर भारत के अलग-अलग राज्य और अलग-अलग शहरों की पहचान हैं. इन पहचानों में भोजपुर के खुरमे से लेकर बनारस की तिरंगा बर्फी भी शामिल है.
बता दें कि वाराणसी के बड़ा लालपुर स्थित हस्तकला केंद्र में यह महोत्सव आयोजित है. इस महोत्सव में कुल 100 स्टॉल लगाए गए हैं. यहां लगभग 20 स्टॉल अलग-अलग व्यंजनों के हैं. इन व्यंजनों के बाबत वाराणसी उद्योग निदेशक उमेश कुमार सिंह बताते हैं कि हर बार प्रदर्शनी में हैंडलूम हैंडीक्राफ्ट अलग तरीके की कारीगरी को शामिल किया जाता है. लेकिन, इस बार प्रदर्शनी में व्यंजनों को भी खासा महत्व दिया गया है, ताकि अलग-अलग राज्यों के कारीगरों की कला को सभी लोग जान सके. उन्होंने बताया कि इस प्रदर्शनी में भोजपुर का खुरमा, गया का तिलकुट, मगही पान, लाल पेड़ा, तिरंगा बर्फी, आंवले की कैंडी, इमरती संग अन्य कई खाद्य सामान शामिल हैं.
उमेश कुमार सिंह ने बताया कि इस प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य कारीगरों को सीधा बाजार दिलाना है. यह तभी मुमकिन है जब उनकी कलाओं को लोग जानें. इसके लिए अलग-अलग शहरों के इन व्यंजनों को यहां शामिल किया गया. उन्होंने बताया कि बनारस को वैसे ही स्वाद का शहर कहा जाता है. यहां पर अब पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में इस मेले में मिले ऑर्डर इनके लिए भविष्य में काफी हितकारी होंगे. इससे बनारस और उत्तर भारत के व्यवसायिक संबंधों में भी मजबूत होंगी.
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भोजपुर का खुरमा लुभा रहा लोगों का मन
मेले में स्टॉल लगाने वाले खुरमा कारीगर बताते हैं कि उन्हें यकीन नहीं था कि मेले में खुरमे को लोग पसंद करेंगे. लेकिन, लोगों को उसका स्वाद पसंद आ रहा है. 2 दिन में ही उन्हें इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं. वह बताते हैं कि यह खुरमा साधारण कर्मों से अलग है. इसे तैयार करने में पनीर और चासनी रीठा का प्रयोग किया जाता है. यह बिल्कुल शुद्ध होता है. इसमें किसी भी तरीके की मिलावट नहीं होती. इसे 10 से 15 दिन तक बिना किसी फ्रिज के बीच संरक्षित रखा जा सकता है. यही वजह है कि लोग इसे पसंद कर रहे हैं.
मेले में स्टॉल लगाने वाले अन्य दुकानदार बताते हैं कि पहली बार उन्हें किसी महोत्सव में यह प्रदर्शनी लगाने का मौका मिला है. जिससे वह काफी खुश हैं. उन्होंने बताया कि इस प्रदर्शनी के बहाने लोगों को हमारे शहरों के जायकों की जानकारी मिल रही है. लोग जान पा रहे हैं कि हमारे शहरों में कौन से सामान प्रसिद्ध हैं, निश्चित तौर पर यह हमारे लिए काफी ज्यादा लाभदायक है.
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