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वाराणसी: राममंदिर के धार्मिक अनुष्ठान की सामग्री बनकर तैयार, जल्द ही भेजी जाएगी अयोध्या

अयोध्या में राममंदिर का शिलान्यास 5 अगस्त को पीएम मोदी द्वारा किया जाएगा. राममंदिर के भूमि पूजन और शिलान्यास की तैयारियां तेजी से की जा रहीं हैं.

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राममंदिर के धार्मिक अनुष्ठान की सामिग्री बनकर तैयार
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Published : Aug 1, 2020, 2:38 PM IST

वाराणसी: अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं. इसी क्रम में आगामी पांच अगस्त को पीएम मोदी राम मंदिर का भूमिपूजन और शिलान्यास करेंगे. भगवान राम के भव्य मंदिर के शिलान्यास और धार्मिक अनुष्ठान को पूरा करने की जिम्मेदारी काशी के विद्वानों को मिली है.

काशी विद्वत परिषद से तीन विद्वान पूजा में सम्मिलित होने वाली सामग्री लेकर जल्द अयोध्या के लिए रवाना होंगे. धार्मिक अनुष्ठान के लिए अयोध्या भेजी जाने वाली सामग्री शुद्ध सोने और चांदी से निर्मित है. इस सामिग्री में चांदी के बेलपत्र, सोने के नाग-नागिन का जोड़ा, सोने के वास्तुदेवता, पंचरत्न, बाबा विश्वनाथ का चंदन और चांदी का कछुआ आदि शामिल हैं.

राममंदिर के धार्मिक अनुष्ठान की सामिग्री बनकर तैयार

अयोध्या भेजी जाने वाली यह सामग्री बनकर तैयार हो चुकी है. इसे जल्द ही अयोध्या के लिए रवाना किया जाएगा. काशी विद्वत परिषद के महामंत्री डॉ. रामनारायण द्विवेदी, बीएचयू के प्रोफेसर विनय पांडेय और प्रोफेसर रामचंद्र पांडेय इस सामग्री को लेकर अयोध्या जाएंगे.

शुद्ध सोने-चांदी से निर्मित इस पूजन सामग्री को पहले बाबा विश्वनाथ को अर्पित किया जाएगा. इसके बाद इस सामग्री को श्रीराम मंदिर के धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए भेजा जाएगा. श्री राम मंदिर के धार्मिक अनुष्ठान के संबंध में काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. राम नारायण द्विवेदी ईटीवी भारत से महत्वपूर्ण जानकारी साझा की.

शेषनाग को राममंदिर की नींव में किया जाएगा स्थापित
प्रो. राम नारायण द्विवेदी ने बताया कि सामग्री में सोने के शेषनाग, चांदी के कच्छप, चांदी के पांच बेलपत्र, सोने के वास्तुदेवता, सवा पाव चंदन और पंचरत्न सब तैयार हो गया है. अब इन्हें बाबा विश्वनाथ को अर्पित कर प्रसाद के रूप में अयोध्या भेजा जाएगा. राम नारायण दिवेदी ने बताया कि धरती शेषनाग पर टिकी है.

खुद भगवान भी शेषनाग की शैय्या पर विराजते हैं. इसलिए सोने के शेषनाग को नींव के अंदर स्थापित किया जाएगा. इसके अलावा कच्छप लक्ष्मी जी की सवारी है. इससे वह स्थान हमेशा जागृत और दिव्यता को प्राप्त करेगा. समुद्र मंथन पर भी भगवान ने कच्छप अवतार लेकर पर्वत को अपनी पीठ पर उठाया था.

इसलिए उसकी भी मान्यता है, स्वर्ण वास्तु देवता एक वास्तु पुरुष है. इसलिए किसी भी नींव पूजन में इनके होने से वास्तु के सभी दोष खत्म हो जाते हैं. वहीं बेलपत्र और चंदन भगवान शिव को सबसे अधिक प्रिय है. इसके अलावा पंचरत्न और पंच औषधियों का भी नींव पूजन में बहुत महत्व है. इन सभी चीजों को 5 अगस्त को होने वाले भूमि पूजन में शामिल किया जाएगा.

वाराणसी: अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं. इसी क्रम में आगामी पांच अगस्त को पीएम मोदी राम मंदिर का भूमिपूजन और शिलान्यास करेंगे. भगवान राम के भव्य मंदिर के शिलान्यास और धार्मिक अनुष्ठान को पूरा करने की जिम्मेदारी काशी के विद्वानों को मिली है.

काशी विद्वत परिषद से तीन विद्वान पूजा में सम्मिलित होने वाली सामग्री लेकर जल्द अयोध्या के लिए रवाना होंगे. धार्मिक अनुष्ठान के लिए अयोध्या भेजी जाने वाली सामग्री शुद्ध सोने और चांदी से निर्मित है. इस सामिग्री में चांदी के बेलपत्र, सोने के नाग-नागिन का जोड़ा, सोने के वास्तुदेवता, पंचरत्न, बाबा विश्वनाथ का चंदन और चांदी का कछुआ आदि शामिल हैं.

राममंदिर के धार्मिक अनुष्ठान की सामिग्री बनकर तैयार

अयोध्या भेजी जाने वाली यह सामग्री बनकर तैयार हो चुकी है. इसे जल्द ही अयोध्या के लिए रवाना किया जाएगा. काशी विद्वत परिषद के महामंत्री डॉ. रामनारायण द्विवेदी, बीएचयू के प्रोफेसर विनय पांडेय और प्रोफेसर रामचंद्र पांडेय इस सामग्री को लेकर अयोध्या जाएंगे.

शुद्ध सोने-चांदी से निर्मित इस पूजन सामग्री को पहले बाबा विश्वनाथ को अर्पित किया जाएगा. इसके बाद इस सामग्री को श्रीराम मंदिर के धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए भेजा जाएगा. श्री राम मंदिर के धार्मिक अनुष्ठान के संबंध में काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. राम नारायण द्विवेदी ईटीवी भारत से महत्वपूर्ण जानकारी साझा की.

शेषनाग को राममंदिर की नींव में किया जाएगा स्थापित
प्रो. राम नारायण द्विवेदी ने बताया कि सामग्री में सोने के शेषनाग, चांदी के कच्छप, चांदी के पांच बेलपत्र, सोने के वास्तुदेवता, सवा पाव चंदन और पंचरत्न सब तैयार हो गया है. अब इन्हें बाबा विश्वनाथ को अर्पित कर प्रसाद के रूप में अयोध्या भेजा जाएगा. राम नारायण दिवेदी ने बताया कि धरती शेषनाग पर टिकी है.

खुद भगवान भी शेषनाग की शैय्या पर विराजते हैं. इसलिए सोने के शेषनाग को नींव के अंदर स्थापित किया जाएगा. इसके अलावा कच्छप लक्ष्मी जी की सवारी है. इससे वह स्थान हमेशा जागृत और दिव्यता को प्राप्त करेगा. समुद्र मंथन पर भी भगवान ने कच्छप अवतार लेकर पर्वत को अपनी पीठ पर उठाया था.

इसलिए उसकी भी मान्यता है, स्वर्ण वास्तु देवता एक वास्तु पुरुष है. इसलिए किसी भी नींव पूजन में इनके होने से वास्तु के सभी दोष खत्म हो जाते हैं. वहीं बेलपत्र और चंदन भगवान शिव को सबसे अधिक प्रिय है. इसके अलावा पंचरत्न और पंच औषधियों का भी नींव पूजन में बहुत महत्व है. इन सभी चीजों को 5 अगस्त को होने वाले भूमि पूजन में शामिल किया जाएगा.

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