वाराणसी : 14 फरवरी 2019कोआतंकियों ने अपने नापाक मंसूबों को पूरा करते हुए जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों से भरी बस को उड़ा दिया. इस हादसे में 40 जवानों ने अपनी शहादत दी जिसमें देश अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले जवान शहीद हुए.
शहीद जवानों में बनारस का लाल रमेश यादव भी था. रमेश यादव को दुनिया से गए 10 दिन से ज्यादा का वक्त हो गया है. जब रमेश शहीद हुए और उनका पार्थिव शरीर घर पहुंचा तो परिवार वालों ने बेटे की शहादत के बाद परिवार का ख्याल रखने के लिए सरकार से कुछ मांगें रखीं. सरकारी तंत्र ने शहीद रमेश यादव के परिवार को एक सादे कागज पर लिखित आश्वासन देकर उनकी सारी मांगों को जल्दपूरा करवाने की बात कही. इस पर परिवार मान गया, लेकिन अब शहीद हुए जवान रमेश यादव का परिवार सरकार की वादाखिलाफी से नाराज है.
सरकारी वादाखिलाफी से गुस्सा परिवार
गुस्सा इस बात का भी है कि बातें बड़ी-बड़ी हुईं, लेकिन शहीद के घर के बाहर बन रहा शौचालय अब भी बनकर तैयार नहीं हो सका, क्योंकि सरकारी पैसे खत्म हो गए और रमेश के पिता ने अपनी जेब से मजदूरों को पैसा देकर काम रुकवा दिया. आज परिवार रमेश के जाने के बाद सरकार की तरफ से मुआवजे के 25 लाख रुपए तो पा चुका है, लेकिन अभी उन वादों के पूरा होने का इंतजार है जो रमेश के पार्थिव शरीर के घर पहुंचने के बाद तमाम मंत्रियों और अधिकारियों ने परिवार से किए थे.
चौबेपुर के तोफापुर गांव के रहने वाले रमेश यादव सीआरपीएफ में तैनात थे और 12 फरवरी को अपने घर से छुट्टियां खत्म कर जम्मू-कश्मीर अपनी ड्यूटी पर गए थे. इस दौरान पुलवामा में हुए आतंकी हमले में वह भी दुनिया से हमेशा के लिए चले गए. इसके बाद रमेश का परिवार अधर में है. रमेश की पत्नी रेनू, पिता श्याम नारायण हर कोई परेशान है. परेशानी इस बात की है कि सरकार ने हमें जो वादे रमेश के पार्थिव शरीर के सामने किए थे वह पूरे नहीं हो रहे हैं. रमेश के पिता इस बात से बेहद नाराज हैं कि जब रमेश की अंत्येष्टि के लिए हम घाट पर पहुंचे तो हमारे घर के बाहर बिजली का खंभा लगा कर लाइन खींच दी गई और हल्ला मचाया गया कि शहीद के परिवार को हर सुविधा दी जा रही है, लेकिन आज भी हम अंधेरे में हैं.
रमेश यादव के परिवार को दुख इस बात का भी है कि जब तक उनके शहीद बेटे की अंत्येष्टि नहीं हुई थी तब तक सरकार के तमाम मंत्री और अधिकारी उनको इस बात का भरोसा दिलाते रहे कि उनकी हर मांग पूरी होगी, लेकिन जब बेटे की अंत्येष्टि हो गई तो उसके बाद न कोई मंत्री आया न कोई अधिकारी. हालात यह हैं कि अब विपक्ष के कुछ नेता यहां पहुंचकर राजनीति जरूर कर रहे हैं. कुछ अन्य सोर्सेस से भी रमेश के परिवार को मदद मिल रही है, लेकिन सच्चाई यह है कि सरकारी तंत्र शहीद रमेश यादव की अंत्येष्टि के बाद उसके परिवार को भूलता दिख रहा है, जिससे शहीद का परिवार नाराज है.