वाराणसी: माता रानी का आगमन यानी नवरात्रि 7 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन माता के कलश स्थापना के साथ ही नौ दिनों तक हर कोई माता की सेवा में लगा रहता है, लेकिन इस बार का नवरात्र कुछ अलग और खास होने जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि नवरात्रि 9 दिनों की नहीं होंगी बल्कि 8 दिनों में ही नवरात्र खत्म हो जाएगी. 15 अक्टूबर को दशहरे का पर्व मनाया जाएगा सबसे बड़ी बात यह है कि 8 दिनों की इस नवरात्रि में माता दुर्गा का आगमन इस बार शुभ नहीं माना जा रहा है, क्योंकि माता दुर्गा इस बार डोली में सवार होकर भक्तों के घर आ रही हैं जो धर्म शास्त्र में शुभ नहीं माना जाता, हालांकि उनका जाना यानी विदा होना शुभ है क्योंकि माता हाथी पर सवार होकर विदाई लेंगी.
एक तिथि की हानि से कम हुआ 9 दिन का नवरात्र
शारदीय नवरात्रि को लेकर पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि माता दुर्गा की आराधना का पर्व नवरात्र 9 दिनों के लिए जाना जाता है. नवरात्र का मतलब ही नवरात्रों से होता है. इन नवरात्रों में भक्त माता की आराधना करते हैं. उनको खुश करने के लिए व्रत रखकर उनका श्रृंगार करते हैं. पूजन पाठ होता है और अंतिम दिन नवमी के दिन हवन की मान्यता है. 9 दिनों तक होने वाले इन अनुष्ठानों का क्रम लगातार प्रतिदिन चलता है, लेकिन इस बार नवरात्रि 9 दिनों की नहीं है इसकी बड़ी वजह यह है कि षष्ठी तिथि की हानि हो रही है और षष्ठी तिथि की हानि की वजह से नवरात्र में एक दिन कम हो गए हैं.
पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि नवमी तिथि का मान 14 अक्टूबर को होगा, जबकि महाअष्टमी 13 अक्टूबर को मनाई जाएगी दशहरे का पर्व 15 अक्टूबर को मनाया जाएगा. वहीं, यदि षष्ठी तिथि की हानि की वजह से माता दुर्गा के अलग-अलग रूप के दर्शनों की बात की जाए तो चतुर्थी व पंचमी तिथि यानी माता कुष्मांडा व स्कंदमाता का दर्शन 10 अक्टूबर को एक ही दिन होगा.
माता का आगमन और विदाई के यह हैं संकेत
पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि वैसे नवरात्र की तिथि का घटना शुभ नहीं माना जाता है. 9 दिनों की जगह 8 दिनों के नवरात्र का होना विशेष फलदाई तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन माता दुर्गा का आना और जाना जरूर कुछ हानि और कुछ लाभ देकर जाएगा. धर्म शास्त्रों के मुताबिक जब माता दुर्गा नवरात्रि पर भक्तों के बीच पहुंचती हैं और देवलोक से धरती लोक पर आती हैं तो उनका आगमन और देवलोक वापस जाने के साधन से शुभ व अशुभ का आकलन किया जाता है, क्योंकि इस बार माता दुर्गा का आगमन डोली में हो रहा है. डोली विदाई का प्रतीक है और जब मैं डोली से भक्तों के बीच पहुंचेगी, तो निश्चित तौर पर इसके फल भी अच्छे नहीं मिलेंगे यदि फलादेश की बात की जाए तो माता का डोली से आना है समाज में दुख तकलीफ और प्राकृतिक आपदाओं को बढ़ाने वाला साबित होगा. वहीं, नवमी के बाद माता की विदाई इस बार विशेष फलदाई होगी. माता गज यानी हाथी पर विदा होने वाली हैं. उनका हाथी पर जाना शुभ फलदाई होगा. इसके फलादेश की बात करें तो देश में सुवृष्टि यानी अच्छी बरसात के संकेत हैं.