वाराणसी: जिले के सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में गुरुवार को वेदविज्ञान-अनुसंधान केंद्र ने विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया. व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में संस्कृत अध्ययन विभाग, हैदराबाद विश्वविद्यालय की आचार्या प्रो. अम्बा कुलकर्णी थीं, जिन्होंने "महर्षि पाणिनि-आद्य प्रोग्रामर " विषय पर अपना व्याख्यान दिया.
बीजगणित के समान पाणिनि अष्टाध्यायी का है महत्व
प्रो. अंबा कुलकर्णी ने बताया कि "सत्य कहा जाए तो अष्टाध्यायी ही प्रथम कंप्यूटर प्रोग्राम और महर्षि पाणिनि प्रथम प्रोग्रामर थे. उन्होंने कहा कि शब्दबोध में ही हम विशेष कृत्रिम भाषा का प्रयोग करते हैं. पाणिनि के अष्टाध्यायी में आठ अध्याय और चार हजार सूत्र हैं. जितना पश्चिमी देशों में बीजगणित का महत्व था, उससे अधिक हमारे पाणिनि अष्टाध्यायी का महत्व है."
प्राचीन समय में संपूर्ण अध्ययन की थी मौखिक परंपरा
आचार्य कुलकर्णी ने कहा कि धातु पाठ, गणपाठ इत्यादि की सिद्धी की हुई है. इसी में शब्दों के निर्माण की विधि भी दी हुई है. पश्चिमी विद्वान् निकोलस ने पास्कल भाषा में पुस्तक लिखी, जो वेदों को सुरक्षित रखने के लिए ही लिखी गई. आचार्य कुलकर्णी ने कहा कि महर्षि पाणिनि को जब संधि का नियम बनाना था तब उन्होंने देखा कि अलग-अलग वर्णों और अक्षरों की आवश्यकता पड़ रही है. अतएव सभी स्वर और सभी व्यंजनों का एक क्रम बनाया. प्राचीन समय में सम्पूर्ण अध्ययन परम्परा मौखिक थी. इसलिए अलग-अलग समूह का सेट तैयार किया गया है. आचार्य अंबा ने कहा कि महर्षि पाणिनि के सूत्रों की सबसे बड़ी विशेषता है कि कहीं भी उनके सूत्रों में अनुवृत्ति नहीं होती.
माहेश्वर सूत्र की है प्रचलित कथा
माहेश्वर सूत्रों के लिए एक कथा प्रचलित है कि महर्षि पाणिनि तपस्या में लीन थे, तभी भगवान शंकर आए और डमरू बजाया. उसी डमरू से जो ध्वनि निकली वही चौदह माहेश्वर सूत्र हैं.
महर्षि पाणिनि आद्य प्रोग्रामर विषय पर वाराणसी में व्याख्यान - संस्कृत भाषा के व्याकरण विज्ञानी
वाराणसी के सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया. व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में संस्कृत अध्ययन विभाग, हैदराबाद विश्वविद्यालय की आचार्या प्रो. अम्बा कुलकर्णी ने हिस्सा लिया.
वाराणसी: जिले के सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में गुरुवार को वेदविज्ञान-अनुसंधान केंद्र ने विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया. व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में संस्कृत अध्ययन विभाग, हैदराबाद विश्वविद्यालय की आचार्या प्रो. अम्बा कुलकर्णी थीं, जिन्होंने "महर्षि पाणिनि-आद्य प्रोग्रामर " विषय पर अपना व्याख्यान दिया.
बीजगणित के समान पाणिनि अष्टाध्यायी का है महत्व
प्रो. अंबा कुलकर्णी ने बताया कि "सत्य कहा जाए तो अष्टाध्यायी ही प्रथम कंप्यूटर प्रोग्राम और महर्षि पाणिनि प्रथम प्रोग्रामर थे. उन्होंने कहा कि शब्दबोध में ही हम विशेष कृत्रिम भाषा का प्रयोग करते हैं. पाणिनि के अष्टाध्यायी में आठ अध्याय और चार हजार सूत्र हैं. जितना पश्चिमी देशों में बीजगणित का महत्व था, उससे अधिक हमारे पाणिनि अष्टाध्यायी का महत्व है."
प्राचीन समय में संपूर्ण अध्ययन की थी मौखिक परंपरा
आचार्य कुलकर्णी ने कहा कि धातु पाठ, गणपाठ इत्यादि की सिद्धी की हुई है. इसी में शब्दों के निर्माण की विधि भी दी हुई है. पश्चिमी विद्वान् निकोलस ने पास्कल भाषा में पुस्तक लिखी, जो वेदों को सुरक्षित रखने के लिए ही लिखी गई. आचार्य कुलकर्णी ने कहा कि महर्षि पाणिनि को जब संधि का नियम बनाना था तब उन्होंने देखा कि अलग-अलग वर्णों और अक्षरों की आवश्यकता पड़ रही है. अतएव सभी स्वर और सभी व्यंजनों का एक क्रम बनाया. प्राचीन समय में सम्पूर्ण अध्ययन परम्परा मौखिक थी. इसलिए अलग-अलग समूह का सेट तैयार किया गया है. आचार्य अंबा ने कहा कि महर्षि पाणिनि के सूत्रों की सबसे बड़ी विशेषता है कि कहीं भी उनके सूत्रों में अनुवृत्ति नहीं होती.
माहेश्वर सूत्र की है प्रचलित कथा
माहेश्वर सूत्रों के लिए एक कथा प्रचलित है कि महर्षि पाणिनि तपस्या में लीन थे, तभी भगवान शंकर आए और डमरू बजाया. उसी डमरू से जो ध्वनि निकली वही चौदह माहेश्वर सूत्र हैं.