वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भारत अध्ययन केंद्र में भारत का अनुवांशिक सत्य राखीगढ़ी के पूर्व और पश्चात विषय पर व्याख्यान का आयोजन हुआ. हरियाणा के राखीगढ़ी की 600 हेक्टेयर से भी बड़े पुरातन स्थान से कुछ नरकंकाल मिले हैं. प्राप्त साक्ष्यों से पुरातत्व विभाग ने कई तरह से इसका विश्लेषण किया है.
आर्यों के आक्रमण का कोई जेनेटिक साक्ष्य नहीं
हरियाणा की राखीगढ़ी में हड़प्पा सभ्यता के समय से उसके पीक प्वाइंट पर खुदाई कर रिसर्च किया जा रहा है. यहां कुछ ऐसे साक्ष्य मिले हैं, विशेषकर मानव कंकाल, जिसके डीएनए रिपोर्ट से वैज्ञानिकों ने अनेक तथ्यों से पर्दा उठाया है. इस रिसर्च का पुरातत्व विश्लेषण प्रोफेसर शिंदे जी कर रहे थे. कार्यक्रम का मात्र एक उद्देश्य यह था कि युवाओं को भारत की प्राचीनतम संस्कृति को बताना.
प्राप्त मानव कंकाल के डीएनए से जो साक्ष्य मिले वो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि भारत में मध्य एशियाई जातियों के डीएनए के कोई प्रमाण नहीं है. अतः भारत में बाहर से कोई भी रहने नहीं आया. जैसा कि हड़प्पा संस्कृति से संबंधित हरियाणा के पुरास्थल राखी गढ़ी से प्राप्त मानव अवशेषों को डॉ. नीरज राय ने प्रमाणित किया था.
डीएनए विशेषज्ञ डॉ. नीरज राय ने पावर पॉइंट के माध्यम से छात्रों को बताया कि प्राप्त नरकंकाल के डीएनए हमारे डीएनए से मैच करता है. इस डीएनए से यह निष्कर्ष निकलता है कि भारत में किसी प्रकार से विदेशी जाति के आक्रमण का कोई प्रमाण नहीं है. इतिहास में आर्य आक्रमण का कोई जेनेटिक एविडेंस नहीं है.