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भारत में आर्यों के आक्रमण का कोई साक्ष्य नहीं: डॉ. नीरज राय - काशी हिंदू विश्वविद्यालय

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में बीएचयू के भारत अध्ययन केंद्र में भारत का अनुवांशिक सत्य राखीगढ़ी के पूर्व और पश्चात विषय व्याख्यान का आयोजन हुआ. इस आयोजन का एक मात्र उद्देश्य युवाओं को भारत की प्राचीनतम संस्कृति को बताना था.

बीएचयू में पश्चात विषयों पर हुई चर्चा.
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Published : Oct 4, 2019, 8:18 PM IST

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भारत अध्ययन केंद्र में भारत का अनुवांशिक सत्य राखीगढ़ी के पूर्व और पश्चात विषय पर व्याख्यान का आयोजन हुआ. हरियाणा के राखीगढ़ी की 600 हेक्टेयर से भी बड़े पुरातन स्थान से कुछ नरकंकाल मिले हैं. प्राप्त साक्ष्यों से पुरातत्व विभाग ने कई तरह से इसका विश्लेषण किया है.

बीएचयू में पश्चात विषयों पर चर्चा का आयोजन.

आर्यों के आक्रमण का कोई जेनेटिक साक्ष्य नहीं
हरियाणा की राखीगढ़ी में हड़प्पा सभ्यता के समय से उसके पीक प्वाइंट पर खुदाई कर रिसर्च किया जा रहा है. यहां कुछ ऐसे साक्ष्य मिले हैं, विशेषकर मानव कंकाल, जिसके डीएनए रिपोर्ट से वैज्ञानिकों ने अनेक तथ्यों से पर्दा उठाया है. इस रिसर्च का पुरातत्व विश्लेषण प्रोफेसर शिंदे जी कर रहे थे. कार्यक्रम का मात्र एक उद्देश्य यह था कि युवाओं को भारत की प्राचीनतम संस्कृति को बताना.

प्राप्त मानव कंकाल के डीएनए से जो साक्ष्य मिले वो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि भारत में मध्य एशियाई जातियों के डीएनए के कोई प्रमाण नहीं है. अतः भारत में बाहर से कोई भी रहने नहीं आया. जैसा कि हड़प्पा संस्कृति से संबंधित हरियाणा के पुरास्थल राखी गढ़ी से प्राप्त मानव अवशेषों को डॉ. नीरज राय ने प्रमाणित किया था.

डीएनए विशेषज्ञ डॉ. नीरज राय ने पावर पॉइंट के माध्यम से छात्रों को बताया कि प्राप्त नरकंकाल के डीएनए हमारे डीएनए से मैच करता है. इस डीएनए से यह निष्कर्ष निकलता है कि भारत में किसी प्रकार से विदेशी जाति के आक्रमण का कोई प्रमाण नहीं है. इतिहास में आर्य आक्रमण का कोई जेनेटिक एविडेंस नहीं है.

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भारत अध्ययन केंद्र में भारत का अनुवांशिक सत्य राखीगढ़ी के पूर्व और पश्चात विषय पर व्याख्यान का आयोजन हुआ. हरियाणा के राखीगढ़ी की 600 हेक्टेयर से भी बड़े पुरातन स्थान से कुछ नरकंकाल मिले हैं. प्राप्त साक्ष्यों से पुरातत्व विभाग ने कई तरह से इसका विश्लेषण किया है.

बीएचयू में पश्चात विषयों पर चर्चा का आयोजन.

आर्यों के आक्रमण का कोई जेनेटिक साक्ष्य नहीं
हरियाणा की राखीगढ़ी में हड़प्पा सभ्यता के समय से उसके पीक प्वाइंट पर खुदाई कर रिसर्च किया जा रहा है. यहां कुछ ऐसे साक्ष्य मिले हैं, विशेषकर मानव कंकाल, जिसके डीएनए रिपोर्ट से वैज्ञानिकों ने अनेक तथ्यों से पर्दा उठाया है. इस रिसर्च का पुरातत्व विश्लेषण प्रोफेसर शिंदे जी कर रहे थे. कार्यक्रम का मात्र एक उद्देश्य यह था कि युवाओं को भारत की प्राचीनतम संस्कृति को बताना.

प्राप्त मानव कंकाल के डीएनए से जो साक्ष्य मिले वो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि भारत में मध्य एशियाई जातियों के डीएनए के कोई प्रमाण नहीं है. अतः भारत में बाहर से कोई भी रहने नहीं आया. जैसा कि हड़प्पा संस्कृति से संबंधित हरियाणा के पुरास्थल राखी गढ़ी से प्राप्त मानव अवशेषों को डॉ. नीरज राय ने प्रमाणित किया था.

डीएनए विशेषज्ञ डॉ. नीरज राय ने पावर पॉइंट के माध्यम से छात्रों को बताया कि प्राप्त नरकंकाल के डीएनए हमारे डीएनए से मैच करता है. इस डीएनए से यह निष्कर्ष निकलता है कि भारत में किसी प्रकार से विदेशी जाति के आक्रमण का कोई प्रमाण नहीं है. इतिहास में आर्य आक्रमण का कोई जेनेटिक एविडेंस नहीं है.

Intro:वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भारत अध्ययन केंद्र में भारत का अनुवांशिक सत्य राखीगढ़ी के पूर्व और पश्चात विषय व्याख्यान का आयोजन हुआ जिसमें।

हरियाणा के राखीगढ़ी कि 600 हेक्टेयर से भी बड़ा पुरातन स्थान है। मानव कंकाल के डीएनए के प्रमाण इस बात की ओर इशारा करते हैं कि भारत में मध्य एशियाई जातियों के डीएनए के कोई प्रमाण नहीं है कृषि के प्रमाण भी इस बात की ओर संकेत करते हैं अतः भारत में कोई बाहर से नहीं आया। यह सारी बातें प्रसिद्ध डीएनए विशेषज्ञ डॉ नीरज राय ने बताया उन्होंने कहा कि भारत के लोग 74000 वर्ष पूर्व से रह रहे हैं उन्होंने हड़प्पा की संस्कृति के संबंधित हरियाणा के पुरास्थल राखी गढी से प्राप्त मानव अवशेषों को प्रमाणित को पर चर्चा किया।


Body:कार्यक्रम का मात्र एक उद्देश्य था कि जिस तरह से आज भी भारत विश्व की सबसे प्राचीनतम संस्कृति है इसे इस डीएनए द्वारा सिद्ध कर दिया गया इस कार्यक्रम में छात्र-छात्राएं और प्रोफेसर मौजूद रहे इस पर छात्राओं ने भी अपने प्रश्न रखे कि क्या अब हमारे सिलेबस में यह चीज बदलेंगे इस बात पर भी चर्चा हुआ इस सिलेबस में बदलने से पहले ही शिक्षक और प्रोफ़ेसर छात्रों को इन बातों को बताएंगे । हमारे यहां किसी भी आर्य का आक्रमण नहीं हुआ था व्यख्यान का मात्र एक उद्देश्य था कि छात्र-छात्राओं को इस बात को बता दिया जाए कि डीएनए के आधार पर यह सिद्ध हो चुका है कि भारत में किसी आर्यों ने आक्रमण नहीं किया और कोई यहां बाहर से नहीं आया।


Conclusion:प्रो राकेश उपाध्याय ने बताया राखीगढ़ी एक स्थान है हरियाणा में हड़प्पा सभ्यता के समय से ही उसके पीक प्वाइंट पर रिसर्च हो रहा है खुदाई हो रही है। यहां कुछ ऐसे एविडेंस मिले हैं विशेषकर मानव कंकाल जिसके डीएनए रिपोर्ट से हमारे वैज्ञानिकों ने अनेक तथ्यों से पर्दा उठाया है जैसा कि पुरातत्व विश्लेषण प्रोफ़ेसर शिंदे जी कर रहे थे। डीएनए विशेषज्ञ डॉ नीरज राय पावर पॉइंट के माध्यम से छात्रों को बताया किस तरह उनका डीएनए हमारी डीएनए से मैच करता है और जिसका निष्कर्ष यह है कि भारत में किसी प्रकार से किसी विदेशी जाति के आक्रमण का कोई प्रमाण नहीं है जिसको इतिहास में आर्य आक्रमण कहा जाता है उसका कोई जेनेटिक एविडेंस नहीं है। भारत में जो जेनेटिक एविडेंस मिलते हैं आज से 45 00 साल पूर्व राखीगढ़ी के मानव कंकाल के एनालिसिस से यह पता चलता है। यही का मूल डीएनए है जिसको अमन के नाम से जाना जाता है ईरान और मध्य एशिया में नहीं पाया जाता है। उसका एक सुंदर प्रस्तुति किया। हमारे छात्र छात्राओं के लिए बहुत ही जरूरी था और हमारे शिक्षक और प्रोफ़ेसर ने भी इन बातों को जाना।

बाईट :-- प्रो राकेश उपाध्याय, भारत अध्ययन केंद्र,बीएचयू
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