वाराणसी : ज्ञानवापी शृंगारगौरी प्रकरण में मंगवार को कोर्ट ने वकील कमिश्नर की एप्लीकेशन पर रिपोर्ट सबमिट करने के लिए 2 दिन बाद की तिथि मुकर्रर की है. कोर्ट के एक फैसले ने सबको चौंका दिया. कोर्ट ने आज सबसे पहले नियुक्त किए गए वकील कमिश्नर अजय मिश्र को इस पूरी कार्रवाई से यह कह कर हटा दिया कि उनके सहयोगी और विशेष वकील कमिश्नर विशाल सिंह की तरफ से उनके बारे में साथ न देने और उनके पर्सनल कैमरामैन की तरफ से बातों को लीक करने की शिकायत की गई है.
इसके बाद मीडिया से बातचीत करते हुए बेहद गमगीन तरीके से अजय मिश्र ने इन आरोपों पर जवाब दिया. सीधे कहा कि मैंने किसी पर भरोसा किया और उसने मेरे साथ विश्वासघात किया. दरअसल, 8 अप्रैल को इस मामले में सीनियर जज सिविल डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की तरफ से शृंगारगौरी मामले में अजय मिश्र को वकील कमिश्नर नियुक्त किया गया था.
उन्हें वीडियोग्राफी कमीशन की कार्रवाई का निर्देश दिया था. उनके नेतृत्व में भी यह कार्यवाही आगे बढ़ी थी लेकिन बाद में 6 मई की कार्रवाई के बाद 7 मई को मुस्लिम पक्ष ने अजय मिश्र पर एकतरफा कार्यवाही का आरोप लगाते हुए उन्हें बदलने की मांग की थी. बाद में कोर्ट ने उन्हें बरकरार रखते हुए उनके साथ विशेष वकील कमिश्नर के तौर पर सहायक के रूप में विशाल सिंह और अजय प्रताप सिंह को नियुक्त कर दिया. इस मामले में नया मोड़ तब आया जब न्यायालय की तरफ से वकील कमिश्नर अजय मिश्र को हटाने का आदेश दे दिया गया.
वकील कमिश्नर अजय मिश्र ने कहा, 'मुझे नहीं पता मुझे क्यों हटाया गया. मैंने कोर्ट का आदेश अभी तक नहीं देखा है लेकिन विशाल सिंह के कहने पर ही और उनकी शिकायत पर मेरे खिलाफ कार्रवाई की गई है. मेरा और उनके बीच किसी तरह का कोई विवाद नहीं हुआ था. अब मेरी कौन सी बात उनको बुरी लगी, मुझे नहीं पता. मेरे ऊपर जो आरोप लगे हैं, उसके बारे में भी मैं यह कहना चाहूंगा कि मैंने अपने काम को पूरी ईमानदारी से किया है. पूरी कार्यवाही में सभी का साथ भी दिया. मैंने विश्वास किया और मुझे धोखा मिला'.
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