वाराणसी: वर्ष 2020 वैसे भी बहुत अच्छा नहीं रहा. पूरा वर्ष कोविड-19 महामारी की भेंट चढ़ गया. इस दौरान कई सूर्य व चंद्र ग्रहण पड़े. हाल ही में जून के महीने में सूर्य ग्रहण पड़ा था जो भारत में दिखाई दिया था. ज्योतिषविदों के अनुसार इसका गहरा असर भी देखने को मिला. एक बार फिर से 14 दिसंबर को इस साल का अंतिम ग्रहण पड़ने जा रहा है. यह भी सूर्य ग्रहण होगा, लेकिन इसका प्रभाव भारत में नहीं होगा. यह ग्रहण भारत के बाहर के देशों में दिखाई देने वाला है. ज्योतिषियों के अनुसार इसका सीधा असर तो भारत पर नहीं पड़ेगा लेकिन दूसरे देशों में पड़ने वाले ग्रहण के असर की वजह से विश्व में उथल-पुथल जरूर रहेगी.
अफ्रीकी देशों में होगा विजिबल
ज्योतिष आचार्य श्री काशी विश्वनाथ न्यास के पूर्व सदस्य पंडित प्रसाद दीक्षित का कहना है कि 14 दिसंबर को लगने वाले सूर्य ग्रहण का प्रभाव भारत पर नहीं पड़ने वाला है, लेकिन विश्व पटल पर इसका गहरा असर होने वाला है. 14 दिसंबर की रात भारतीय समयानुसार 7:04 से लेकर रात 12:23 तक ग्रहण लगेगा. यह ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा. इसलिए इसे खंडग्रास सूर्यग्रहण के नाम से जाना जा रहा है, लेकिन इसका असर अफ्रीकी देशों में खासतौर पर बर्फीले इलाकों में ज्यादा होगा. इन जगहों पर यह ग्रहण पूरी तरह से दिखाई देगा और इसका गहरा प्रभाव ही पड़ेगा. ज्योतिषाचार्य पंडित प्रसाद दीक्षित का कहना है कि राजनीतिक उथल-पुथल प्राकृतिक आपदाएं और दो देशों के बीच आपसी मतभेद बढ़ेंगे.
नहीं मान्य होगा भारत में सूतक काल
ज्योतिषाचार्य पंडित प्रसाद दीक्षित का कहना है कि भारत में इस ग्रहण का ना दिखना धार्मिक आधार पर भी काफी महत्वपूर्ण हो जाता है. सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पहले ही इसका असर शुरू हो जाता है और सूतक काल की शुरुआत हो जाती है, लेकिन यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई दे रहा है. इसलिए इसका सूतक काल भी नहीं मान्य होगा, क्योंकि ग्रहण का असर और ग्रहण का फलादेश तभी मान्य होता है जब वह देखा जाए या दिखाई दे. भारत में यह नहीं दिखाई दे रहा है और ना ही यह देखा जाएगा इसलिए फिलहाल भारत में धार्मिक दृष्टि से भी इसे लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है.