वाराणसी: काशी अद्भुत नगरी है और इस अद्भुत नगरी की परंपरा और यहां की मान्यताएं भी अद्भुत हैं. यही वजह है कि काशी में माता अन्नपूर्णा की स्वर्ण प्रतिमा स्थापित है और इसके दर्शन साल में सिर्फ 4 दिनों तक होते हैं और आज अंतिम दिन है. माता अन्नपूर्णा की स्वर्ण प्रतिमा के दर्शन पाने का आज माता के इस स्वरूप के दर्शन के दरबार को बंद कर दिया जाएगा. पूरे 1 साल बाद अगले वर्ष दिवाली से पहले धनतेरस पर माता के दर्शन का सौभाग्य भक्तों को मिल पाएगा.
विश्वनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित माता अन्नपूर्णा मंदिर मठ में स्थापित माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा के दर्शन वैसे तो रोज होते हैं, लेकिन ऊपर प्रथम तल पर स्थित माता अन्नपूर्णा की स्वर्ण प्रतिमा का दर्शन वर्ष में सिर्फ 4 दिनों तक धनतेरस से अन्नकूट तक भक्तों को मिलता है. इस दिन माता का विशेष प्रसाद और खजाना भी भक्त पाते हैं और पूरे वर्ष अपने घर में सुख समृद्धि की कामना करते हैं. इस वर्ष माता अन्नपूर्णा के दर्शन धनतेरस पर शुरू हुए तो 25 तारीख को ग्रहण की वजह से लगभग 5 घंटे माता का दरबार बंद रहा था और आज अन्नकूट पर्व के मौके पर रात 11 बजे तक माता अन्नपूर्णा के स्वरूप के दर्शन संपन्न होंगे और फिर मंदिर के कपाट 1 वर्ष के लिए बंद कर दिए जाएंगे.
देवी अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा का दर्शन-पूजन बीती 23 अक्टूबर की भोर से शुरू हुआ था. ऐसी मान्यता है और पुराणों के अनुसार, देवी अन्नपूर्णा तीनों लोकों की अन्न की माता हैं. मां अन्नपूर्णा ने स्वयं भोलेनाथ को भोजन कराया था. अन्नपूर्णा मंदिर में आदि शंकराचार्य ने अन्नपूर्णा स्त्रोत की रचना करने के बाद ज्ञान वैराग्य प्राप्ति की कामना की थी. मंदिर से जुड़ी यह मान्यता भी है कि काशी में भीषण अकाल पड़ा था तो भगवान शिव ने मां अन्नपूर्णा का ध्यान कर उनसे भिक्षा मांगी थी. तब मां अन्नपूर्णा ने यह कहा था कि काशी में अब कोई भूखा नहीं सोएगा.
मंदिर के महंत शंकर पुरी के अनुसार, यह देश का इकलौता मंदिर है जो श्रीयंत्र के आकार का है. साथ ही यह एक अकेला ऐसा मंदिर भी है जहां माता अन्नपूर्णेश्वरी देवी, माता भूमि देवी और माता लक्ष्मी देवी एक साथ स्वर्णमयी स्वरूप में विराजमान हैं. उनके पास ही भोलेनाथ की चांदी की प्रतिमा है. इन तीनों देवियों के एक साथ दर्शन से सुख-समृद्धि मिलती है.
इसे भी पढे़ं- वाराणसी: काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी विवाद में आज आ सकता है फैसला