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बाबा विश्वनाथ ने यहां मां अन्नपूर्णा से मांगी थी भिक्षा, जानिए...क्या है पौराणिक मान्यता

बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में अन्नपूर्णा मंदिर (Annapurna Temple) का विशेष महत्वा है. मान्यता है कि यहां भगवान भोलेनाथ ने माता अन्नपूर्णा से काशी वासियों का पेट भरने के लिए भिक्षा मांगी थी. अन्नपूर्णा मंदिर (Annapurna Temple) में दर्शन के बगैर काशी का भ्रमण अधूरा माना जाता है.

स्पेशल रिपोर्ट
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Published : Aug 3, 2021, 6:42 AM IST

वाराणसी: बाबा विश्वनाथ (Baba Vishwanath) की नगरी काशी (Kashi) में कण-कण में शिव विराजते हैं. यही वजह है कि काशी के लिए शिव के अति प्रिय सावन (Sawan 2021) महीने का महत्व ज्यादा महत्वपूर्ण होता है. यहां पर बड़े-बड़े शिवालयों से लेकर छोटे-छोटे शिव मंदिरों (Shiv Temple) में भोलेनाथ के दर्शन पूजन के लिए भक्तों की भीड़ देखी जाती है, लेकिन क्या आपको पता है काशी में एक ऐसा मंदिर भी है. जिसके बिना शिव भी अधूरे हैं, तो आइए हम बताते हैं आपको उस अद्भुत और अलौकिक मंदिर के बारे में जो शिवालय तो नहीं है, लेकिन इस मंदिर में दर्शन पूजन के बिना आपकी काशी यात्रा भी अधूरी मानी जाती है.

मंदिरों का शहर कहे जाने वाले वाराणसी में अनेकों ऐसे मंदिर हैं जिसकी अपनी एक अलग महिमा है. इन्हीं में से एक है अन्नपूर्णा मंदिर (Annapurna Temple). माता अन्नपूर्णा पार्वती (Annapurna Temple) का वह स्वरूप हैं, जिनके आगे शिव खुद अपनी झोली फैलाते हैं. मान्यता है कि माता अन्नपूर्णा से भिक्षा लेने के बाद शिव अपना पेट भरते हैं और काशी वासियों की भी भूख मिटाते हैं. ऐसी मान्यता है कि जब शिव ने काशी का निर्माण किया और काशी को अपने त्रिशूल पर बसाया तब काशी वासियों की भूख मिटाने के लिए उन्होंने माता पार्वती से यह वचन लिया कि काशी में रहते हुए मैं मृत्यु उपरांत लोगों को मोक्ष देने का काम करूंगा, लेकिन जीवित रहते हुए प्रत्येक प्राणी की भूख को मिटाने का काम आप करेंगी.

स्पेशल रिपोर्ट
इस अन्नपूर्णा मंदिर का उल्लेख शिव पुराण (Shiv Puran) में भी मिलता है. मंदिर के गर्भ मां और भोलेनाथ की भव्य प्रतिमा है जिसमें मां अन्नपूर्णा भगवान शिव को भिक्षा देती नजर आ रही हैं. वहीं एक भव्य स्वरूप स्वर्ण प्रतिमा के रूप में अलग स्थापित है, जो सिर्फ दिवाली के दौरान भक्तों के दर्शनार्थ 3 से 4 दिन के लिए खोला जाता है. यहां भी माता अन्नपूर्णा के आगे भगवान शिव हाथों में पात्र लेकर अन्नपूर्णा माता से भिक्षा लेते नजर आ रहे हैं.

सावन के महीने में काशी आने वाले भक्त बाबा विश्वनाथ के दर्शन के बाद माता अन्नपूर्णा के आगे झोली फैलाकर घर को धन-धान्य से परिपूर्ण रखने की विनती करते हैं, क्योंकि यह वही माता अन्नपूर्णा है जिनके आगे खुद देवाधिदेव महादेव अपनी झोली फैलाते हैं. इसलिए काशी के इस अन्नपूर्णा मंदिर के बिना भगवान शिव भी अधूरे हैं और आपकी काशी यात्रा भी अधूरी मानी जाएगी.

इसे भी पढ़ें-काशी की गाथा सुनाएगा विश्वनाथ धाम, दीवारों पर उकेरी जाएगी बाबा की कथा

इस बारे में श्री विश्वनाथ मंदिर के मुख्य अर्चक श्रीकांत मिश्र का कहना है कि माता अन्नपूर्णा से प्रतिज्ञा लिए जाने के बाद भगवान शिव काशी में स्थापित हुए. काशी में रहते हुए उन्होंने जहां मृत्यु के बाद लोगों को मोक्ष देने का काम शुरू किया. वहीं माता अन्नपूर्णा ने हर किसी का पेट भरने की प्रतिज्ञा को पूर्ण करने का काम शुरू किया. यही वजह है कि आज काशी में शिव के साथ माता अन्नपूर्णा के इस मंदिर की अपनी महत्ता है.

वाराणसी: बाबा विश्वनाथ (Baba Vishwanath) की नगरी काशी (Kashi) में कण-कण में शिव विराजते हैं. यही वजह है कि काशी के लिए शिव के अति प्रिय सावन (Sawan 2021) महीने का महत्व ज्यादा महत्वपूर्ण होता है. यहां पर बड़े-बड़े शिवालयों से लेकर छोटे-छोटे शिव मंदिरों (Shiv Temple) में भोलेनाथ के दर्शन पूजन के लिए भक्तों की भीड़ देखी जाती है, लेकिन क्या आपको पता है काशी में एक ऐसा मंदिर भी है. जिसके बिना शिव भी अधूरे हैं, तो आइए हम बताते हैं आपको उस अद्भुत और अलौकिक मंदिर के बारे में जो शिवालय तो नहीं है, लेकिन इस मंदिर में दर्शन पूजन के बिना आपकी काशी यात्रा भी अधूरी मानी जाती है.

मंदिरों का शहर कहे जाने वाले वाराणसी में अनेकों ऐसे मंदिर हैं जिसकी अपनी एक अलग महिमा है. इन्हीं में से एक है अन्नपूर्णा मंदिर (Annapurna Temple). माता अन्नपूर्णा पार्वती (Annapurna Temple) का वह स्वरूप हैं, जिनके आगे शिव खुद अपनी झोली फैलाते हैं. मान्यता है कि माता अन्नपूर्णा से भिक्षा लेने के बाद शिव अपना पेट भरते हैं और काशी वासियों की भी भूख मिटाते हैं. ऐसी मान्यता है कि जब शिव ने काशी का निर्माण किया और काशी को अपने त्रिशूल पर बसाया तब काशी वासियों की भूख मिटाने के लिए उन्होंने माता पार्वती से यह वचन लिया कि काशी में रहते हुए मैं मृत्यु उपरांत लोगों को मोक्ष देने का काम करूंगा, लेकिन जीवित रहते हुए प्रत्येक प्राणी की भूख को मिटाने का काम आप करेंगी.

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इस अन्नपूर्णा मंदिर का उल्लेख शिव पुराण (Shiv Puran) में भी मिलता है. मंदिर के गर्भ मां और भोलेनाथ की भव्य प्रतिमा है जिसमें मां अन्नपूर्णा भगवान शिव को भिक्षा देती नजर आ रही हैं. वहीं एक भव्य स्वरूप स्वर्ण प्रतिमा के रूप में अलग स्थापित है, जो सिर्फ दिवाली के दौरान भक्तों के दर्शनार्थ 3 से 4 दिन के लिए खोला जाता है. यहां भी माता अन्नपूर्णा के आगे भगवान शिव हाथों में पात्र लेकर अन्नपूर्णा माता से भिक्षा लेते नजर आ रहे हैं.

सावन के महीने में काशी आने वाले भक्त बाबा विश्वनाथ के दर्शन के बाद माता अन्नपूर्णा के आगे झोली फैलाकर घर को धन-धान्य से परिपूर्ण रखने की विनती करते हैं, क्योंकि यह वही माता अन्नपूर्णा है जिनके आगे खुद देवाधिदेव महादेव अपनी झोली फैलाते हैं. इसलिए काशी के इस अन्नपूर्णा मंदिर के बिना भगवान शिव भी अधूरे हैं और आपकी काशी यात्रा भी अधूरी मानी जाएगी.

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इस बारे में श्री विश्वनाथ मंदिर के मुख्य अर्चक श्रीकांत मिश्र का कहना है कि माता अन्नपूर्णा से प्रतिज्ञा लिए जाने के बाद भगवान शिव काशी में स्थापित हुए. काशी में रहते हुए उन्होंने जहां मृत्यु के बाद लोगों को मोक्ष देने का काम शुरू किया. वहीं माता अन्नपूर्णा ने हर किसी का पेट भरने की प्रतिज्ञा को पूर्ण करने का काम शुरू किया. यही वजह है कि आज काशी में शिव के साथ माता अन्नपूर्णा के इस मंदिर की अपनी महत्ता है.

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