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जानिए होली में क्यों करते हैं ठंडाई का सेवन, क्या है इसकी मान्यता - बनारस की होली

वाराणसी में होली की शुरुआत महादेव के चरणों मे गुलाल अर्पित कर प्रिय भोग ठंडाई और भांग भी चढ़ाया होता है. आइए जानते हैं, आखिर क्यों होली में ठंडाई एवं भांग का सेवन क्यों किया जाता है?

वारासी में होली.
वारासी में होली.
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Published : Mar 16, 2022, 10:29 PM IST

Updated : Mar 17, 2022, 10:53 AM IST

वाराणसीः भांग पान और ठंडाई के साथ अल्हड़ मस्ती और हुल्लड़बाजी के रंग में सराबोर बनारस की होली की बात ही निराली है. फागुन का महीना काशी की मस्ती और यहां के जिंदादिली के एहसास को और भी ज्यादा जीवंतता प्रदान करता है. कहते हैं कि काशी में महादेव के आशीर्वाद और प्रसाद से हर त्यौहार की शुरुआत होती है. ऐसे में होली की शुरुआत महादेव के चरणों मे गुलाल अर्पित कर प्रिय भोग ठंडाई और भांग भी चढ़ाया होता है. आइए जानते हैं, आखिर क्यों होली में ठंडाई एवं भांग का सेवन क्यों किया जाता है और क्या इसकी मान्यता है?


ऐसे तैयार होता है ठंडाई
ठंडाई की बात करें तो यह एक तरीके का शीतल पेय पदार्थ होता है और वाराणसी के अलग-अलग जगहों पर मिलता है. लेकिन बनारस की धड़कन गोदौलिया में इसकी काफी सारी दुकाने सजती हैं.यहां कई दशकों से लोग अपनी दुकान संचालित कर रहे हैं. एक दुकानदार ने बताया कि बनारसी ठंडाई काजू, बादाम,पिस्ता, खरबूजे का बीज,लौंग, इलायची, काली मिर्च, केसर,दूध,मलाई इन सब चीजों से तैयार होती हैं. इसे बनाने के लिए लगभग 2 दिन भांग को भिगोकर बीज निकाला जाता है. इसके बाद साफ पानी से कई बार साफ किया जाता है. भांग के साथ खरबूजे के बीज़ व अन्य सभी मेवों को साफ कर सिलबट्टे पर बारीक पिसा जाता है.

वाराणसी में होली महोत्सव.
महादेव को इसलिए पसंद है ठंडाई धार्मिक मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान जो विष महादेव ने सेवन किया था उसे वह गले के नीचे नहीं उतरने दिये और यह विष बेहद गर्म था. जब उन्होंने इसका सेवन किया तो उन्हें उनके शरीर का तापमान काफी बढ़ गया. इस दौरान विष की गर्मी को कम करने के लिए महादेव ने भांग का सेवन किया था. भांग को ठंडा माना जाता है और इसके बाद से इसे महादेव की पूजा में शामिल किया गया.
ठंडाई बनाता दुकानदार.
ठंडाई बनाता दुकानदार.
इसलिए भी पढ़ें-मुस्लिम महिलाओं ने हिंदू बहनों के साथ खेली होली, मोहब्बत का अबीर लगाकर दिया भाईचारे का संदेश


इसलिए होली पर किया जाता है ठंडाई का सेवन
मान्यताओं के अनुसार होली पर भांग पीने की परंपरा बेहद प्राचीन हैं. इसको लेकर के कई सारी धार्मिक किंवदंतिया हैं. होली के दिन को भगवान शिव और विष्णु के दोस्ती के प्रतीक के रूप मे देखा जाता है. क्योंकि इस पर्व पर हिरण्यकश्यप का संहार करने के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया था. संहार के बाद वो बेहद क्रोधित थे तो उनके क्रोध को शांत करने के लिए भगवान शिव ने अपना शरभ अवतार लिया. तब से होली पर भांग व ठंडाई का प्रचलन शुरू हो गया. काशी में इसे लोग महादेव का आशीर्वाद समझ कर सेवन करते हैं. काशीवासियों का कहना है कि बिना भांग ठंडाई के महादेव की भक्ति नहीं होती न ही होली का रंग जमता हैं.

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ठंडाई पीते लोग.

सेहत के लिए भी फायदेमंद
उल्लेखनीय है दें कि भांग व ठंडाई शीतल होने के साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद होती है. ऐसा माना जाता है कि होली के दिन हर्षोल्लास के कारण शरीर का तापमान बढ़ा होता है और इस समय मौसम भी गर्म होता है. इसके साथ ही केमिकल युक्त रंग गुलाल इस तापमान को और बढ़ाते हैं. इससे कपोल गर्म हो जाता है और मानसिक बीमारियों की समस्या हो सकती है. इसलिए इस समय भांग व ठंडाई का सेवन करने से शरीर व मस्तिष्क में शीतलता रहती है.

वाराणसीः भांग पान और ठंडाई के साथ अल्हड़ मस्ती और हुल्लड़बाजी के रंग में सराबोर बनारस की होली की बात ही निराली है. फागुन का महीना काशी की मस्ती और यहां के जिंदादिली के एहसास को और भी ज्यादा जीवंतता प्रदान करता है. कहते हैं कि काशी में महादेव के आशीर्वाद और प्रसाद से हर त्यौहार की शुरुआत होती है. ऐसे में होली की शुरुआत महादेव के चरणों मे गुलाल अर्पित कर प्रिय भोग ठंडाई और भांग भी चढ़ाया होता है. आइए जानते हैं, आखिर क्यों होली में ठंडाई एवं भांग का सेवन क्यों किया जाता है और क्या इसकी मान्यता है?


ऐसे तैयार होता है ठंडाई
ठंडाई की बात करें तो यह एक तरीके का शीतल पेय पदार्थ होता है और वाराणसी के अलग-अलग जगहों पर मिलता है. लेकिन बनारस की धड़कन गोदौलिया में इसकी काफी सारी दुकाने सजती हैं.यहां कई दशकों से लोग अपनी दुकान संचालित कर रहे हैं. एक दुकानदार ने बताया कि बनारसी ठंडाई काजू, बादाम,पिस्ता, खरबूजे का बीज,लौंग, इलायची, काली मिर्च, केसर,दूध,मलाई इन सब चीजों से तैयार होती हैं. इसे बनाने के लिए लगभग 2 दिन भांग को भिगोकर बीज निकाला जाता है. इसके बाद साफ पानी से कई बार साफ किया जाता है. भांग के साथ खरबूजे के बीज़ व अन्य सभी मेवों को साफ कर सिलबट्टे पर बारीक पिसा जाता है.

वाराणसी में होली महोत्सव.
महादेव को इसलिए पसंद है ठंडाई धार्मिक मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान जो विष महादेव ने सेवन किया था उसे वह गले के नीचे नहीं उतरने दिये और यह विष बेहद गर्म था. जब उन्होंने इसका सेवन किया तो उन्हें उनके शरीर का तापमान काफी बढ़ गया. इस दौरान विष की गर्मी को कम करने के लिए महादेव ने भांग का सेवन किया था. भांग को ठंडा माना जाता है और इसके बाद से इसे महादेव की पूजा में शामिल किया गया.
ठंडाई बनाता दुकानदार.
ठंडाई बनाता दुकानदार.
इसलिए भी पढ़ें-मुस्लिम महिलाओं ने हिंदू बहनों के साथ खेली होली, मोहब्बत का अबीर लगाकर दिया भाईचारे का संदेश


इसलिए होली पर किया जाता है ठंडाई का सेवन
मान्यताओं के अनुसार होली पर भांग पीने की परंपरा बेहद प्राचीन हैं. इसको लेकर के कई सारी धार्मिक किंवदंतिया हैं. होली के दिन को भगवान शिव और विष्णु के दोस्ती के प्रतीक के रूप मे देखा जाता है. क्योंकि इस पर्व पर हिरण्यकश्यप का संहार करने के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया था. संहार के बाद वो बेहद क्रोधित थे तो उनके क्रोध को शांत करने के लिए भगवान शिव ने अपना शरभ अवतार लिया. तब से होली पर भांग व ठंडाई का प्रचलन शुरू हो गया. काशी में इसे लोग महादेव का आशीर्वाद समझ कर सेवन करते हैं. काशीवासियों का कहना है कि बिना भांग ठंडाई के महादेव की भक्ति नहीं होती न ही होली का रंग जमता हैं.

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ठंडाई पीते लोग.

सेहत के लिए भी फायदेमंद
उल्लेखनीय है दें कि भांग व ठंडाई शीतल होने के साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद होती है. ऐसा माना जाता है कि होली के दिन हर्षोल्लास के कारण शरीर का तापमान बढ़ा होता है और इस समय मौसम भी गर्म होता है. इसके साथ ही केमिकल युक्त रंग गुलाल इस तापमान को और बढ़ाते हैं. इससे कपोल गर्म हो जाता है और मानसिक बीमारियों की समस्या हो सकती है. इसलिए इस समय भांग व ठंडाई का सेवन करने से शरीर व मस्तिष्क में शीतलता रहती है.

Last Updated : Mar 17, 2022, 10:53 AM IST
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