लखनऊ: सीएसआईआर-सेंट्रल ड्रग्स रिसर्च इंस्टिट्यूट (CDRI) देश का प्रतिष्ठित ड्रग्स रिसर्च केंद्र है. यहां पर न सिर्फ दवाओं पर रिसर्च होता है, बल्कि फेलोशिप भी कराई जाती है. आज सीडीआरआई का स्थापना दिवस है. ऐसे में हम आपको बता रहे है कि कैसे सीडीआरआई प्रशिक्षण कार्यक्रमों से युवा वैज्ञानिकों की खेप तैयार की जा रही है? यहां के वैज्ञानिक देश-दुनिया में नाम रोशन कर रहे हैं. बता दें कि भारत के प्रमुख औषधि अनुसंधान संस्थानों में एक केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (CSIR-CDRI) की स्थापना 17 फरवरी 1951 को लखनऊ में हुई थी. आज संस्थान के 74 साल पूरे हो गए हैं.
सीएसआईआर-सीडीआरआई की निदेशक डॉ. राधा रंगराजन ने बताया कि यह एक रिसर्च इंस्टिट्यूट है. यह कोई शैक्षिक संस्थान नहीं है. यहां पर फेलोशिप के तहत युवा साइंटिस्ट रिसर्च के लिए आते हैं. यहां अत्याधुनिक लैब है, जहां पर शोधकर्ता शोध करते हैं, प्रैक्टिस करते हैं. उन्होंने बताया कि वर्तमान में संस्थान अपने नए परिसर से कार्य कर रहा है.
संस्थान नई दवाओं, नई फार्मास्युटिकल प्रौद्योगिकियों और नए मॉडल सिस्टम के विकास के लिए फार्मा उद्योगों, शैक्षणिक संस्थानों, फंडिंग एजेंसियों के साथ सहयोग करता है. पिछले साढ़े छह दशकों में सीएसआईआर-सीडीआरआई ने भारत में दवा अनुसंधान के लिए एक अनूठा मॉडल बनाया है. जिसमें संश्लेषण, स्क्रीनिंग से लेकर विकास अध्ययन तक सब कुछ एक ही छत के नीचे है. एक व्यापक आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नियामक दिशा-निर्देशों के अनुसार सभी आधुनिक सुविधाओं और तौर-तरीकों से सुसज्जित यहां विश्व स्तरीय दवा अनुसंधान प्रयोगशाला का निर्माण किया गया है.
जानिए कैसे मिलता है यहां अवसर: एकेडमिक एचओडी सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. रितु त्रिवेदी ने बताया कि अब 12वीं के बाद भी बहुत सारे ऐसे कार्यक्रम और योजनाएं हैं, जिसके जरिए युवा किसी भी साइंटिफिक एप्टीट्यूट में जा सकते हैं. सबसे पहले एंट्री लेवल अब हो गया है. जिसमें हम लोग स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम और समर ट्रेनिंग कराते हैं. समर ट्रेनिंग दो महीने की भी होती है और छह महीने की भी होती है.
जो उम्मीदवार इस ट्रेनिंग में होते हैं, वह हमारे यहां जो शोधकर्ता काम कर रहे हैं, उनके बीच में रहते हैं. स्टूडेंट की तरह काम करते हैं. जब वो ऐसा करते हैं तो उनके अंदर विज्ञान के प्रति रुचि पैदा होने लगती है. उन्हें साइंस में आगे बढ़ना है या नहीं बढ़ना है, यह भी क्लियर हो जाता है. साइंस का रास्ता छोटा-मोटा नहीं है बहुत लंबा रास्ता है. इसके लिए ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन में विज्ञान होना जरूरी है.
जब कैंडिडेट विज्ञान से पोस्ट ग्रेजुएट करता है, तो सबसे अच्छा और आसान तरीका उनके लिए यह होता है, कि वह नेट का एग्जाम दे. यह एक्जाम ऑलओवर इंडिया होता है. सरकार इन कैंडिडेट को पीएचडी करने के लिए फैलोशिप उपलब्ध कराती है. नेट एग्जाम पास होने के बाद अलग-अलग इंस्टिट्यूट में कैंडिडेट इंटरव्यू देते हैं. कैंडिडेट इस बात को जरूर ध्यान दें कि उनका रुझान किस क्षेत्र में है, जिस क्षेत्र में उनकी रुचि है.
प्रोजेक्ट असिस्टेंट के तौर पर कर सकते हैं ज्वाइन: डॉ. रितु त्रिवेदी ने बताया कि बहुत सारे प्रोजेक्ट होते हैं, जिसमें प्रोजेक्ट अस्सिटेंट की रिक्तियां निकलती है. कैंडिडेट आवेदन कर सकते हैं. उनका सेलेक्शन इंटरव्यू के आधार पर होता है. प्रोजेक्ट अस्सिटेंट के तौर पर उन्हें सीखने का सुनहरा मौका मिलता है. इन सब के अलावा ऐसे कैंडिडेट या शोधकर्ता जिनका पीएचडी में इनरोल है, या लगभग पीएचडी हो चुके है. उसके बारे में पोस्ट डॉक्टर फैलोशिप की तरह पर किसी भी इंस्टिट्यूट को ज्वाइन करने का विकल्प होता है. इसके अलावा इन सब क्वालिफिकेशन और इन सब एक्सपीरियंस के बाद बहुत सारे आवेदन निकलते हैं. जिसमें वह साइंटिस्ट के पोस्ट के लिए आवेदन करके साइंटिस्ट बन सकते हैं.
शिक्षा और प्रशिक्षण के कार्यक्रम: डॉ. रितु त्रिवेदी ने बताया कि जेआरएफ के अलावा कोई रनिंग प्रोजेक्ट है, उसमें शोधकर्ता प्रोजेक्ट अस्सिटेंट के तौर पर ज्वाइन कर सकते हैं. इसके बाद स्कीम्स होती है. एसआरएफ यानी सीनियर रिसर्च फैलोशिप भी कर सकते हैं. यह प्रक्रिया सीनियर रिसर्च फेलोशिप के लिए है. वैज्ञानिक पद के लिए रिक्तियां निकलती रहती हैं. हालांकि यह रिक्तियां बहुत जल्दी नहीं निकलती. जैसे-जैसे पद खाली होते हैं, उन फैकल्टी में रिक्तियां निकाली जाती है. जिसकी जानकारी सीएसआईआर-सीडीआरआई के पोर्टल पर होती है. इसकी प्रक्रिया थोड़ी लंबी है.
समर ट्रेनिंग की प्रक्रिया: डॉ. रितु ने बताया कि ऐसे बच्चे जो पूरी तरह से विज्ञान से दूर हैं, या कह सकते हैं, कि बिल्कुल फ्रेश हैं. वह सीएसआईआर-सीडीआरआई के पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं. ऑनलाइन पोर्टल में आवेदन करने के लिए जिस जगह से उन्होंने अपनी पढ़ाई की है, वहां के प्रिंसिपल से लेटर लिखवाना होता है, वहां से परमिशन लेनी होती है कि वह यहां पर समर ट्रेनिंग करना चाहते हैं. उसके आधार पर हमारे पोर्टल पर एक लंबी लिस्ट तैयार होती है. वह लिस्ट संस्थान के सभी वैज्ञानिकों को भेज दी जाती है.
किसी ने माइक्रोबायोलॉजी में आवेदन किया है, तो किसी ने कैंसर बायोलॉजी में किया होता है. अपनी रुचि के आधार पर आवेदक फार्म भरते हैं. जब कैंडिडेट बिल्कुल फ्रेश लैब में आते हैं, तो उनको उन शोधकर्ताओं के साथ जोड़ दिया जाता है, जो पीएचडी कर रहे हैं. ऐसे में जब मैं उनके साथ रहते हैं तो शोधकर्ता की दिनचर्या को वह हर दिन फॉलो करते हैं. साधारण सॉल्यूशन किस तरह से बनते, यह सीखते हैं. एनिमल हाउस में एनिमल हैंडलिंग कैसे कर सकते हैं. सीनियर्स किस तरह से एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं, उनको कैंडिडेट देखते हैं. उनसे सीखने हैं, तो उन्हें अच्छा अनुभव मिलता है.
कैंपस में इस समय करीब 1 हजार स्टूडेंट्स: डॉ. रितु ने बताया कि वर्तमान में करीब हजार स्टूडेंट्स इस कैंपस में मौजूद हैं. जिसमें लगभग 500 से ज्यादा पीएचडी स्टूडेंट्स है. बाकी जो हैं, वह प्रोजेक्ट अस्सिटेंट होंगे या समर ट्रेनिंग के कैंडिडेट होंगे. कोई डॉक्टर फैलोशिप भी होगी. डॉ. रितु त्रिवेदी ने बताया कि क्लीनिकल परीक्षण के लिए पीजीआईएमईआर (चंडीगढ़), केजीएमयू (लखनऊ) और केईएम (मुंबई) है. यह तीनों संस्थान सीडीआरआई से जुड़े हुए हैं. किसी भी औषधि या कंपोनेंट के क्लीनिकल परीक्षण के लिए इन तीनों ही संस्थान का सहयोग लिया जाता है.
युवाओं वैज्ञानिकों के लिए अवसर: एकेडमिक एचओडी सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. रितु त्रिवेदी ने बताया कि बहुत से ऐसे युवा है जिनका विज्ञान में रुचि है और वह वैज्ञानिक बनना चाहते हैं. उनके लिए सीडीआरआई सबसे अच्छा संस्थान है. इस संबंध में युवाओं के लिए कई वैज्ञानिक समर प्रोग्राम आयोजित होते हैं. इसके बारें में सीएसआईआर-सीडीआरआई पोर्टल पर सारी इनफार्मेशन होती है. कैंडिडेट वहां से समर प्रोग्राम में जुड़ सकते हैं. आवेदन कर सकते हैं, उन्हें वैज्ञानिकों के बीच में रहने का विज्ञान को समझने का मौका मिलता है. इसके अलावा भी केंद्र सरकार के कई मानक होते हैं. जिसमें जेआरएफ व एसआरएफ शामिल है जो कैंडिडेट यह पात्रता पास होकर आता है. उसके लिए सीडीआरआई में बेहतर दिशा मिलती है.
पूर्व वैज्ञानिक ने कही यह बात: सीडीआरआई की पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रंजना श्रीवास्तव ने कहा कि विश्व का नंबर वन रिसर्च सेंटर सेंट्रल ड्रग्स रिसर्च इंस्टिट्यूट है. ऐसे बच्चे, जिन्होंने विज्ञान से अपनी पूरी पढ़ाई की है, उसके बाद वह जेआरएफ पास होकर सीडीआरआई में प्रवेश करते हैं. उन्हें एक अच्छा मंच मिलता है. जहां से वह शोध कर सकते हैं. अत्याधुनिक उपकरण है, अत्याधुनिक लैब है और बेहतर सुविधा है. ऐसी लैब विश्व के किसी भी संस्थान में नहीं है. यहां पर कोई शोधकर्ता रिसर्च करता है, तो उसे फंड की चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती है. वैज्ञानिकों के बीच में रहते हुए शोधकर्ता विज्ञान की बारीकियां को समझता है शोध के बारे में को समझता है. इससे बेहतर कोई संस्थान युवाओं के लिए विज्ञान जगत में नहीं हो सकता.
करियर के अवसर
पीएचडी एवं पोस्ट-डॉक्टोरल अनुसंधान
स्नातकोत्तर प्रशिक्षण
प्रोजेक्ट फेलोशिप
उद्योग कार्मिकों के लिए प्रायोजित प्रशिक्षण
द्विपक्षीय सहयोग के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण
बायो-फार्मा क्षेत्र के लिए कौशल विकास
विशिष्ट तकनीकों में व्यावहारिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम
सीडीआरआई में शोधकर्ता का अवसर
आईपीआर और वित्तीय लाभ साझाकरण के साथ संयुक्त अनुसंधान एवं विकास.
उम्मीदवार दवाओं व सीसा अणुओं का लाइसेंस
कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास का अनुबंध
परामर्श सेवाएं उपलब्ध है.
कुछ सुविधाओं का लाइसेंस
मिलती है ये सेवाएं
आधुनिक औषधि खोज सेवाएं
प्री-क्लिनिकल नियामक अध्ययन
परिष्कृत विश्लेषणात्मक इंस्ट्रुमेंटेशन सेवाएं
जैविक स्क्रीनिंग
पशु प्रयोगशाला सुविधा
संस्थान के कार्यक्रम का उद्देश्य
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नेतृत्व प्रदान करने के उद्देश्य से अंतर अनुशासनात्मक ज्ञान के साथ उच्चतम गुणवत्ता वाले कर्मियों का निर्माण करना.
एक अनुसंधान-प्रेरित, प्रौद्योगिकी-सक्षम, बायो-फार्मा उद्योग से जुड़े, सामाजिक रूप से जागरूक उच्च शिक्षा मंच का पोषण करें.
जन केंद्रित फोकस के साथ मौजूदा बाजार की जरूरतों के साथ बौद्धिक शक्तियों का सहज एकीकरण हासिल करना.
भविष्य के विज्ञान में अनुसंधान प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक विशिष्ट क्षमता विकसित करना.
उच्च मानकों के साथ ज्ञान के आधार और कौशल के माध्यम से सशक्तिकरण का एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना