ETV Bharat / state

मन्नतें पूरी करने के लिए काशी के इस मंदिर में श्रद्धालु लगाते हैं 'ताला' - Sheetla Ghat Varanasi

वाराणसी में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां पर श्रद्धालु अपनी मुरादें पूरी करने के लिए ताला चढ़ाते हैं. गंगा किनारे स्थित मंदिर के मुख्य द्वार पर लगे हजारों ताले इसके प्रतीक हैं. आइए जानते हैं मंदिर और ताले के पीछे की क्या कहानी है?

वाराणसी में अनोखा मंदिर.
वाराणसी में अनोखा मंदिर.
author img

By

Published : Apr 5, 2022, 5:48 PM IST

Updated : Apr 5, 2022, 6:00 PM IST

वाराणसी: कहते हैं धर्म और अध्यात्म की नगरी बनारस में 33 कोटि देवी-देवता वास करते हैं. यहां एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां पर श्रद्धालु अपनी मन्नतें पूरी करने के लिए ताला चढ़ाते हैं. गंगा किनारे स्थित मंदिर के मुख्य द्वार पर लगे हजारों ताले इसके प्रतीक हैं. शीतला घाट पर गंगा किनारे स्थापित बंदी माता का मंदिर है. ऐसी मान्यता है कि श्रद्धालु कोर्ट, कचहरी और बेवजह में फंसे मुकदमों से मुक्ति के लिए बंदी माता मंदिर में 41 दिनों का अनुष्ठान करते हैं और ताला चढ़ाते हैं.

वाराणसी में अनोखा मंदिर.

अहिरावण का वध कर श्रीराम को मुक्ति दिलाई
दरअसल, बंदी माता का प्राचीन मंदिर काशी खंड में पंचकोशी यात्रा के अंतर्गत आता है. यहां के प्रधान पुजारी सुधाकर दुबे बताते हैं कि बंदी माता को पाताल की देवी के रूप में पूजा जाता है. भगवान राम और लक्ष्मण को जब अहिरावण अपहरण करके पाताल लोक ले गया था. अहरिवाण जब श्री राम और लक्ष्मण को अपने इष्ट देवी के आगे बलि चढ़ाने के लिए तैयार कर रहा था. तब प्रभु राम ने बंदी माता के विनती की थी कि माता आपके आगे देवताओं की बलि दी जाने वाली है. हमारी रक्षा करिए और हमें बंधन से मुक्त कीजिए. तभी माता बंदी ने हनुमान जी को यहां पर मदद के लिए भेजा. इसके बाद श्री राम और लक्ष्मण को बंधन से मुक्त कराकर अहिरावण का वध किया.

भगवान शंकर ने माता बंदी को काशी में किया था आमंत्रित
पुजारी सुधाकर दुबे बताते हैं कि इसलिए माता को बंधनों से मुक्त करने वाली देवी के रूप में जाना जाता है. उन्होंने बताया कि जब काशी की स्थापना भगवान शंकर कर रहे थे, तब अलग-अलग देवी-देवताओं को यहां पर बसने का आमंत्रण दिया जा रहा था. तभी माता को आग्रह करके यहां पर स्थापित किया. तब से माता का यह प्राचीन मंदिर यहां पर स्थापित है और लोगों को बंधनों से मुक्त होने का आशीर्वाद दे रहा है.

मुख्य द्वार पर लगे हैं हजारों ताले
मुख्य पुजारी का कहना है कि मंदिर के मुख्य द्वार पर बंद हजारों ताले उन हजारों लोगों की आस्था का प्रतीक हैं, जो बंदी माता को अपनी कुलदेवी मानते हैं. उत्तर प्रदेश, बिहार झारखंड से बड़ी संख्या में लोग यहां पर आते हैं. अब तो विदेशों से भी लोग बड़ी संख्या में यहां आने लगे हैं. इस मंदिर में कोर्ट, कचहरी और बेवजह में फंसे मुकदमों से मुक्ति के लिए लोग 41 दिनों का अनुष्ठान करते हैं.

इसे भी पढ़ें-'चोर मटके' का पानी फ्रिज से भी ठंडा, क्यों मिट्टी चोरी कर बनाए जाते हैं मटके? हकीकत हैरान करने वाली


मुरादें पूरी होने के बाद ताला खोलते हैं श्रद्धालु
ऐसी मान्यता है कि 41 दिनों तक यहां नियमित दर्शन करने से मनचाही मुराद की पूर्ति होती है. इसी अनुष्ठान की पूर्ति की शुरुआत यहां पर लोग एक ताला बंद करके करते हैं. ताला बंद करने के बाद यहां पूजा करते हैं और अपनी मन्नत को मां के आगे रखते हैं. मन्नत पूरी होने के बाद लोग यहां आते हैं और ताला खोलते हैं और उसे चाबी के साथ गंगा में प्रवाहित करके माता का श्रृंगार और भोग करवाते हैं. यही वजह है कि अनादि काल से काशी में बंदी माता मंदिर को ताले वाली देवी के नाम से भी जाना जाता है. यहां आने वाले भक्तों का कहना है हमारी आस्था माता से अटूट है. हमारी मन्नतें यहां पूरी होती हैं. हम यहां पर आकर 41 दिनों का अनुष्ठान पूरा करके अपने जीवन को धन्य मानते हैं.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

वाराणसी: कहते हैं धर्म और अध्यात्म की नगरी बनारस में 33 कोटि देवी-देवता वास करते हैं. यहां एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां पर श्रद्धालु अपनी मन्नतें पूरी करने के लिए ताला चढ़ाते हैं. गंगा किनारे स्थित मंदिर के मुख्य द्वार पर लगे हजारों ताले इसके प्रतीक हैं. शीतला घाट पर गंगा किनारे स्थापित बंदी माता का मंदिर है. ऐसी मान्यता है कि श्रद्धालु कोर्ट, कचहरी और बेवजह में फंसे मुकदमों से मुक्ति के लिए बंदी माता मंदिर में 41 दिनों का अनुष्ठान करते हैं और ताला चढ़ाते हैं.

वाराणसी में अनोखा मंदिर.

अहिरावण का वध कर श्रीराम को मुक्ति दिलाई
दरअसल, बंदी माता का प्राचीन मंदिर काशी खंड में पंचकोशी यात्रा के अंतर्गत आता है. यहां के प्रधान पुजारी सुधाकर दुबे बताते हैं कि बंदी माता को पाताल की देवी के रूप में पूजा जाता है. भगवान राम और लक्ष्मण को जब अहिरावण अपहरण करके पाताल लोक ले गया था. अहरिवाण जब श्री राम और लक्ष्मण को अपने इष्ट देवी के आगे बलि चढ़ाने के लिए तैयार कर रहा था. तब प्रभु राम ने बंदी माता के विनती की थी कि माता आपके आगे देवताओं की बलि दी जाने वाली है. हमारी रक्षा करिए और हमें बंधन से मुक्त कीजिए. तभी माता बंदी ने हनुमान जी को यहां पर मदद के लिए भेजा. इसके बाद श्री राम और लक्ष्मण को बंधन से मुक्त कराकर अहिरावण का वध किया.

भगवान शंकर ने माता बंदी को काशी में किया था आमंत्रित
पुजारी सुधाकर दुबे बताते हैं कि इसलिए माता को बंधनों से मुक्त करने वाली देवी के रूप में जाना जाता है. उन्होंने बताया कि जब काशी की स्थापना भगवान शंकर कर रहे थे, तब अलग-अलग देवी-देवताओं को यहां पर बसने का आमंत्रण दिया जा रहा था. तभी माता को आग्रह करके यहां पर स्थापित किया. तब से माता का यह प्राचीन मंदिर यहां पर स्थापित है और लोगों को बंधनों से मुक्त होने का आशीर्वाद दे रहा है.

मुख्य द्वार पर लगे हैं हजारों ताले
मुख्य पुजारी का कहना है कि मंदिर के मुख्य द्वार पर बंद हजारों ताले उन हजारों लोगों की आस्था का प्रतीक हैं, जो बंदी माता को अपनी कुलदेवी मानते हैं. उत्तर प्रदेश, बिहार झारखंड से बड़ी संख्या में लोग यहां पर आते हैं. अब तो विदेशों से भी लोग बड़ी संख्या में यहां आने लगे हैं. इस मंदिर में कोर्ट, कचहरी और बेवजह में फंसे मुकदमों से मुक्ति के लिए लोग 41 दिनों का अनुष्ठान करते हैं.

इसे भी पढ़ें-'चोर मटके' का पानी फ्रिज से भी ठंडा, क्यों मिट्टी चोरी कर बनाए जाते हैं मटके? हकीकत हैरान करने वाली


मुरादें पूरी होने के बाद ताला खोलते हैं श्रद्धालु
ऐसी मान्यता है कि 41 दिनों तक यहां नियमित दर्शन करने से मनचाही मुराद की पूर्ति होती है. इसी अनुष्ठान की पूर्ति की शुरुआत यहां पर लोग एक ताला बंद करके करते हैं. ताला बंद करने के बाद यहां पूजा करते हैं और अपनी मन्नत को मां के आगे रखते हैं. मन्नत पूरी होने के बाद लोग यहां आते हैं और ताला खोलते हैं और उसे चाबी के साथ गंगा में प्रवाहित करके माता का श्रृंगार और भोग करवाते हैं. यही वजह है कि अनादि काल से काशी में बंदी माता मंदिर को ताले वाली देवी के नाम से भी जाना जाता है. यहां आने वाले भक्तों का कहना है हमारी आस्था माता से अटूट है. हमारी मन्नतें यहां पूरी होती हैं. हम यहां पर आकर 41 दिनों का अनुष्ठान पूरा करके अपने जीवन को धन्य मानते हैं.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

Last Updated : Apr 5, 2022, 6:00 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.