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केदारेश्वर महादेव मंदिर में होते हैं विशेष दर्शन, जानें भगवान राम के पूर्वज की तपस्या की अनोखी कहानी

मान्यता है कि वाराणसी के केदार घाट पर स्थित केदारेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन करने से केदारनाथ धाम का फल प्राप्त होता है. कहा जाता है कि यहां भगवान शिव पूरे परिवार के साथ दर्शन देते हैं.

Kedareshwar Mahadev Temple
Kedareshwar Mahadev Temple
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Published : Jul 12, 2023, 12:23 PM IST

Updated : Jul 12, 2023, 2:04 PM IST

केदारेश्वर महादेव मंदिर खिचड़ी से बने शिवलिंग की कहानी.

वाराणसीः धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में सावन के माह में भगवान शंकर का दर्शन करने के लिए भीड़ और बढ़ जाती है. इस दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग आते हैं. काशी में ऐसे बहुत से शिवलिंग है, जिनकी मान्यता अलौकिक है. इन्हीं में एक अति प्राचीन केदार घाट पर स्थित भगवान केदारेश्वर महादेव का मंदिर है. गंगा घाट के किनारे बसा यह मंदिर दक्षिण परंपरा के अनुसार बनी हुई है. हालांकि, यहां दुनियाभर से लोग पहुंचते हैं. लेकिन इनमें सबसे ज्यादा संख्या दक्षिण भारत के श्रद्धालुओं की होती है. मान्यता है कि यहां भगवान शिव अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं. इसके साथ ही इस मंदिर में स्थित शिवलिंग की कहानी बेहद रोचक है.

Kedareshwar Mahadev Temple
मंदिर के शिवलिंग में 5 देवी देवता के होते हैं दर्शन

काशी में तीन खण्डः माना जाता है कि काशी भगवान शंकर के त्रिशूल पर टिकी है. इसीलिए काशी तीन खंडों में बांटा गया है. ओमकारेश्वर खंड, विशेश्वर खंड, केदारेश्वर खंड. केदारेश्वर खंड में भगवान शंकर का केदारेश्वर मंदिर है. मान्यता है यहां दर्शन करने से भक्तों को उत्तराखंड में स्थित भगवान केदारनाथ के दर्शन का फल मिलता है.


भगवान राम के पूर्वज ने की थी तपस्याः मंदिर के महंत परिवार से जुड़े शुभम मिश्रा ने बताया कि उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ में भगवान शिव के पीठ का दर्शन होता है. पशुपतिनाथ में भगवान के सिर का दर्शन होता है और यहां पर उनके कमर से नीचे का भाग स्थित है. शुभम मिश्रा ने बताया कि भगवान राम के पूर्वज राजा मांधाता थे. उन्होंने 100 वर्षों तक हिमालय पर भगवान शंकर के दर्शन के लिए तपस्या की थी. मांधाता की तपस्या के समय एक आकाशवाणी हुई. उनसे कहा गया कि आप काशी में जाकर तपस्या करिए. हम आपको वहीं पर दर्शन देंगे.

Kedareshwar Mahadev Temple
खिचड़ी से बना शिवलिंग


खिचड़ी से बना शिवलिंगः शुभम मिश्रा ने बताया कि मांधाता काशी आ गए और यहां पर कई वर्षों तक तपस्या की. वह रोज खिचड़ी बनाते थे और भगवान को भोग लगाते थे और उसके दो भाग करते थे. एक वह खुद ग्रहण करते थे और दूसरा ब्राह्मणों को दान करते थे. एक दिन उन्होंने खिचड़ी बना कर उन्हें ब्राहम्णों को दान की. इस दौरान ब्राह्मण वहां से अचानक गायब हो गए और खिचड़ी का भोग पत्थर में बदल गया. वह बहुत ही परेशान हो गए और रोने लगे. इसके बाद भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिया और कहा कि यह पाषाण (पत्थर) जो खिचड़ी से बनी है. वही शिवलिंग है.

शिवलिंग में 5 देवी देवता के दर्शनः शुभम मिश्रा ने आगे बताया कि शिवलिंग ध्यान से देखने पर दो भागों में बटा हुआ है. एक में शिव पार्वती विराजमान हैं. वहीं दूसरे में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी हैं. अन्न से वह पत्थर बने होने के कारण मां अन्नपूर्णा भी इसमें विराजमान हैं. उसके साथ ही यहां नंदी और मां गंगा के भी दर्शन होते हैं. यह दुनिया का एकमात्र शिव मंदिर है, जहां भगवान शिव पूरे परिवार के साथ उपस्थित होकर आर्शीवाद देते हैं.

केदारखंड में नहीं मिलती भैरवी यातनाः कहा जाता है कि काशी का इतना ज्यादा महत्व है कि यहां रहने वालों को मरने के बाद सारा लेखा-जोखा यमराज नहीं, बल्कि यहां के देवता काल भैरव करते हैं. उन्हें भैरवी यातना मिलती है. लेकिन, जो केदारखंड में वास करता है उसे भैरवी यातना भी नहीं मिलती है. उसे सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है. दर्शन करने आए एक श्रद्धालु सुभाष चंद्र सोनकर ने बताया कि काशी का यह सबसे प्रसिद्ध मंदिर है. यहां पर सावन में ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है. यह बाबा साक्षात विराजमान है.

नोटः यह खबर धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है.

ये भी पढ़ेंः आम महोत्सव स्थल के लिए छह रूटों पर चलेंगी 54 सिटी बसें, जानिए टाइमिंग

केदारेश्वर महादेव मंदिर खिचड़ी से बने शिवलिंग की कहानी.

वाराणसीः धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में सावन के माह में भगवान शंकर का दर्शन करने के लिए भीड़ और बढ़ जाती है. इस दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग आते हैं. काशी में ऐसे बहुत से शिवलिंग है, जिनकी मान्यता अलौकिक है. इन्हीं में एक अति प्राचीन केदार घाट पर स्थित भगवान केदारेश्वर महादेव का मंदिर है. गंगा घाट के किनारे बसा यह मंदिर दक्षिण परंपरा के अनुसार बनी हुई है. हालांकि, यहां दुनियाभर से लोग पहुंचते हैं. लेकिन इनमें सबसे ज्यादा संख्या दक्षिण भारत के श्रद्धालुओं की होती है. मान्यता है कि यहां भगवान शिव अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं. इसके साथ ही इस मंदिर में स्थित शिवलिंग की कहानी बेहद रोचक है.

Kedareshwar Mahadev Temple
मंदिर के शिवलिंग में 5 देवी देवता के होते हैं दर्शन

काशी में तीन खण्डः माना जाता है कि काशी भगवान शंकर के त्रिशूल पर टिकी है. इसीलिए काशी तीन खंडों में बांटा गया है. ओमकारेश्वर खंड, विशेश्वर खंड, केदारेश्वर खंड. केदारेश्वर खंड में भगवान शंकर का केदारेश्वर मंदिर है. मान्यता है यहां दर्शन करने से भक्तों को उत्तराखंड में स्थित भगवान केदारनाथ के दर्शन का फल मिलता है.


भगवान राम के पूर्वज ने की थी तपस्याः मंदिर के महंत परिवार से जुड़े शुभम मिश्रा ने बताया कि उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ में भगवान शिव के पीठ का दर्शन होता है. पशुपतिनाथ में भगवान के सिर का दर्शन होता है और यहां पर उनके कमर से नीचे का भाग स्थित है. शुभम मिश्रा ने बताया कि भगवान राम के पूर्वज राजा मांधाता थे. उन्होंने 100 वर्षों तक हिमालय पर भगवान शंकर के दर्शन के लिए तपस्या की थी. मांधाता की तपस्या के समय एक आकाशवाणी हुई. उनसे कहा गया कि आप काशी में जाकर तपस्या करिए. हम आपको वहीं पर दर्शन देंगे.

Kedareshwar Mahadev Temple
खिचड़ी से बना शिवलिंग


खिचड़ी से बना शिवलिंगः शुभम मिश्रा ने बताया कि मांधाता काशी आ गए और यहां पर कई वर्षों तक तपस्या की. वह रोज खिचड़ी बनाते थे और भगवान को भोग लगाते थे और उसके दो भाग करते थे. एक वह खुद ग्रहण करते थे और दूसरा ब्राह्मणों को दान करते थे. एक दिन उन्होंने खिचड़ी बना कर उन्हें ब्राहम्णों को दान की. इस दौरान ब्राह्मण वहां से अचानक गायब हो गए और खिचड़ी का भोग पत्थर में बदल गया. वह बहुत ही परेशान हो गए और रोने लगे. इसके बाद भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिया और कहा कि यह पाषाण (पत्थर) जो खिचड़ी से बनी है. वही शिवलिंग है.

शिवलिंग में 5 देवी देवता के दर्शनः शुभम मिश्रा ने आगे बताया कि शिवलिंग ध्यान से देखने पर दो भागों में बटा हुआ है. एक में शिव पार्वती विराजमान हैं. वहीं दूसरे में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी हैं. अन्न से वह पत्थर बने होने के कारण मां अन्नपूर्णा भी इसमें विराजमान हैं. उसके साथ ही यहां नंदी और मां गंगा के भी दर्शन होते हैं. यह दुनिया का एकमात्र शिव मंदिर है, जहां भगवान शिव पूरे परिवार के साथ उपस्थित होकर आर्शीवाद देते हैं.

केदारखंड में नहीं मिलती भैरवी यातनाः कहा जाता है कि काशी का इतना ज्यादा महत्व है कि यहां रहने वालों को मरने के बाद सारा लेखा-जोखा यमराज नहीं, बल्कि यहां के देवता काल भैरव करते हैं. उन्हें भैरवी यातना मिलती है. लेकिन, जो केदारखंड में वास करता है उसे भैरवी यातना भी नहीं मिलती है. उसे सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है. दर्शन करने आए एक श्रद्धालु सुभाष चंद्र सोनकर ने बताया कि काशी का यह सबसे प्रसिद्ध मंदिर है. यहां पर सावन में ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है. यह बाबा साक्षात विराजमान है.

नोटः यह खबर धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है.

ये भी पढ़ेंः आम महोत्सव स्थल के लिए छह रूटों पर चलेंगी 54 सिटी बसें, जानिए टाइमिंग

Last Updated : Jul 12, 2023, 2:04 PM IST
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