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डिजिटल दुनिया में दौड़ रही काशी की काष्ठ कला, लाभ संग लोगों को मिल रहा रोजगार

डिजिटल की दुनिया ने काशी को एक नई पहचान दी है. वैसे तो यहां की काष्ठ कला को विश्व स्तर पर जाना जाता है, लेकिन डिजिटल ने इसे एक नए आयाम पर पहुंचा दिया है. अब काशी के व्यापारी इनका निर्यात कर आसानी से अपने व्यापार को आगे बढ़ा रहे हैं.

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काष्ठ कला
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Published : Apr 1, 2022, 11:52 AM IST

Updated : Apr 1, 2022, 1:22 PM IST

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ और डिजिटल दुनिया के हाथ में काशी के काष्ठ कला को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिला दी है. यूं तो की यहां की काष्ठ कला को पूरे विश्व में जाना जाता है. लेकिन डिजिटल प्लेटफॉर्म ने इस कला को एक नई सौगात दी है और वह सौगात है- बढ़ते व्यापार की. जहां अब आसानी से सात समंदर पार से भी ऑर्डर मिल जाते हैं और काशी के व्यापारी इनका निर्यात कर आसानी से अपने व्यापार को आगे बढ़ा रहे हैं. खास बात यह है कि इस सुविधा से व्यापारियों के साथ कारीगरों को भी खासा लाभ मिल रहा है.

बता दें कि कोरोना काल में यह लकड़ी के खिलौने जहां बच्चों के चेहरे पर मुस्कान बिखेर रही थी, तो वहीं लोगों के घर की शोभा बढ़ा भी रही थी. इसके बाद टॉय फेस्टिवल के साथ ने इस कला को एक नया आयाम दिया, जिसके बाद काशी के शिल्पियों ने इसे विदेशों तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया. चूंकि लॉक डाउन में तीर्थयात्रियों, पर्यटकों का आना काशी में ना के बराबर था. ऐसे में इन शिल्पियों ने डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए इस कारोबार को शुरू किया, जिसके परिणाम बेहद सकारात्मक मिले. पहले जिन ऑर्डरों को पसंद कराने और भेजने में महीनों लग जाते थे, उसे अब डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए पसंद कराते हुए निर्यात कर दिए जाते हैं.

काशी की काष्ठ कला

यह भी पढ़ें: नेपाली PM काशी दौरे पर काल भैरव और विश्वनाथ मंदिर में करेंगे विशेष पूजा, अगवानी करेंगे CM योगी

महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर: काशी की काष्ठ कला से जुड़ी हुई महिला कारीगर बताती हैं कि प्रधानमंत्री के मुहिम के बाद अब इस कला को विदेशों में पहचान मिल रही है, जिसकी बदौलत अब काफी संख्या में ऑर्डर भी मिल रहे हैं और महिलाएं घर को संभालने के साथ-साथ रोजगार भी कर रही हैं. उन्होंने बताया कि महिलाएं सीख करके अपने आसपास के लोगों को भी सिखा रही हैं. अब हमारे पास ऑर्डरों की भरमार इतनी है कि हम कभी-कभी सही समय पर ऑर्डर पूरा भी नहीं कर पाते हैं.

करोड़ो का हो रहा मुनाफा: इस कला से जुड़े हुए नव उद्यमी शिल्पी राज बताते हैं कि उनकी पीढ़ियां इस कला से जुड़ी थी. उन्होंने अभी हाल ही में इस कला को जाना है और इस पर कार्य करना शुरू किया है, जिसका परिणाम बेहद सार्थक नजर आ रहा है. उन्होंने बताया कि कोरोना काल में हम लोगों को डिजिटली ऑर्डर मिले और इस ऑर्डर का सबसे बड़ा श्रेय टॉय फेस्टिवल को जाता है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा पर आयोजित किया गया था. टॉय फेस्टिवल में भाग लेने के दौरान उनके संपर्क बढ़े और उन्होंने डिजिटल रूप में इस कारोबार को स्थापित किया. जिसका परिणाम है कि उनके पास देश-विदेश के अलग-अलग हिस्सों से ऑर्डर आ रहे हैं, जिन्हें वह पूरा कर रहे हैं. डिजिटली अब तक एक करोड़ से ज्यादा का व्यापार हो चुका है.

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वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ और डिजिटल दुनिया के हाथ में काशी के काष्ठ कला को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिला दी है. यूं तो की यहां की काष्ठ कला को पूरे विश्व में जाना जाता है. लेकिन डिजिटल प्लेटफॉर्म ने इस कला को एक नई सौगात दी है और वह सौगात है- बढ़ते व्यापार की. जहां अब आसानी से सात समंदर पार से भी ऑर्डर मिल जाते हैं और काशी के व्यापारी इनका निर्यात कर आसानी से अपने व्यापार को आगे बढ़ा रहे हैं. खास बात यह है कि इस सुविधा से व्यापारियों के साथ कारीगरों को भी खासा लाभ मिल रहा है.

बता दें कि कोरोना काल में यह लकड़ी के खिलौने जहां बच्चों के चेहरे पर मुस्कान बिखेर रही थी, तो वहीं लोगों के घर की शोभा बढ़ा भी रही थी. इसके बाद टॉय फेस्टिवल के साथ ने इस कला को एक नया आयाम दिया, जिसके बाद काशी के शिल्पियों ने इसे विदेशों तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया. चूंकि लॉक डाउन में तीर्थयात्रियों, पर्यटकों का आना काशी में ना के बराबर था. ऐसे में इन शिल्पियों ने डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए इस कारोबार को शुरू किया, जिसके परिणाम बेहद सकारात्मक मिले. पहले जिन ऑर्डरों को पसंद कराने और भेजने में महीनों लग जाते थे, उसे अब डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए पसंद कराते हुए निर्यात कर दिए जाते हैं.

काशी की काष्ठ कला

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महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर: काशी की काष्ठ कला से जुड़ी हुई महिला कारीगर बताती हैं कि प्रधानमंत्री के मुहिम के बाद अब इस कला को विदेशों में पहचान मिल रही है, जिसकी बदौलत अब काफी संख्या में ऑर्डर भी मिल रहे हैं और महिलाएं घर को संभालने के साथ-साथ रोजगार भी कर रही हैं. उन्होंने बताया कि महिलाएं सीख करके अपने आसपास के लोगों को भी सिखा रही हैं. अब हमारे पास ऑर्डरों की भरमार इतनी है कि हम कभी-कभी सही समय पर ऑर्डर पूरा भी नहीं कर पाते हैं.

करोड़ो का हो रहा मुनाफा: इस कला से जुड़े हुए नव उद्यमी शिल्पी राज बताते हैं कि उनकी पीढ़ियां इस कला से जुड़ी थी. उन्होंने अभी हाल ही में इस कला को जाना है और इस पर कार्य करना शुरू किया है, जिसका परिणाम बेहद सार्थक नजर आ रहा है. उन्होंने बताया कि कोरोना काल में हम लोगों को डिजिटली ऑर्डर मिले और इस ऑर्डर का सबसे बड़ा श्रेय टॉय फेस्टिवल को जाता है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा पर आयोजित किया गया था. टॉय फेस्टिवल में भाग लेने के दौरान उनके संपर्क बढ़े और उन्होंने डिजिटल रूप में इस कारोबार को स्थापित किया. जिसका परिणाम है कि उनके पास देश-विदेश के अलग-अलग हिस्सों से ऑर्डर आ रहे हैं, जिन्हें वह पूरा कर रहे हैं. डिजिटली अब तक एक करोड़ से ज्यादा का व्यापार हो चुका है.

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Last Updated : Apr 1, 2022, 1:22 PM IST
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