वाराणसी: बाबा काशी विश्वनाथ की पंचबदन रजत प्रतिमा बंसत पंचमी पर तिलकोत्सव के बाद परंपरानुसार शिव-विवाह के लिये मंगलवार को तेल-हल्दी की रस्म के बाद गुरुवार को महाशिवरात्रि पर बाबा काशी विश्वनाथ और माता गौरा की प्रतिमा का विशेष वर-वधु के रूप मे श्रृंगार किया गया. दुल्हा बने बाबा विश्वनाथ की प्रतिमा को सेहरा लगाया गया था. वहीं माता गौरा विशेष गुजरात से आये गुलाबी लहंगे को पहन कर दुल्हन बनीं थीं.
महाशिवरात्रि पर बाबा विश्वनाथ का भव्य श्रृंगार
काशी में बाबा विश्वनाथ का विवाहोत्सव मनाने की यह परंपरा 357 वर्षों से चली आ रही है. जिसका इस साल भी पूरे विधि-विधान से निर्वहन किया गया. दोपहर में भोग आरती के बाद संजीव रत्न मिश्र ने बाबा काशी विश्वनाथ और माता दौरा की प्रतिमा का श्रृंगार किया कर आरती की. इसके बाद टेढीनीम महंत आवास पर लोकपरंपरा के अनुसार काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने सायंकाल 8 से 9 के बीच परम्परागत तरीके से बाबा विश्वनाथ और माता गौरा की प्रतिमा का विवाहोत्सव संपन्न कराया और आरती दी. इस मौके पर उपस्थित महिला श्रृद्धालुओं ने मंगलगीत गाकर माहौल को भक्तिमय कर दिया.
महंत डॉ. कुलपति तिवारी के अनुसार महाशिवरात्रि पर महंत परिवार ने बाबा विश्वनाथ और माता गौरा की रजत प्रतिमाओं के साथ सभी निजी प्रतिमाओं की विधि-विधान से पूजा अर्चना की. इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें महेंद्र प्रसन्ना ने शहनाई बजाई. इसके अलावा डॉ. अमलेश शुक्ल, स्नेहा अवस्थी ने गायन की प्रस्तुति दी. इसके साथ ही संतोष ने माउथ आर्गन, विवेक ने पैड, भोला ने ढोलक के साथ कन्हैया दुबे केडी और संजीव रत्न मिश्र के संयोजन में प्रस्तुति दी. कार्यक्रम के बाद रात्रि में मंदिर में चारों प्रहर की विशेष आरती पंडित शशिभूषण त्रिपाठी उर्फ गुड्डू महाराज ने संपन्न कराई. अब रंगभरी (अमला) एकादशी पर माता के गौने की रस्म निभाई जायेंगी.