वाराणसीः उत्तर और दक्षिण को जोड़ने के लिए काशी में काशी तमिल संगम का आगाज किया गया है. यहां पर उत्तर व दक्षिण की कला परंपरा वेशभूषा की स्टॉल लगाई गई है. ऐसे में यहां लगाए गए स्टॉल में भगवान राम की मूर्ति, झांकी और उनके दरबार की अच्छी डिमांड देखी जा रही है. तमिलनाडु से काशी आए लोग इसे पसंद कर रहे हैं और कारीगरों के पास ऑर्डर कर रहे हैं. बीते दो दिनों की बिक्री की बात करें तो अब तक स्टॉल लगाए कारीगरों को लगभग 200 पीस के आर्डर आ चुके हैं. भगवान राम पर आधारित अलग-अलग लीला और उनके अलग-अलग आकृतियों की यहां डिमांड है. जानते हैं कि आखिर ऐसा क्या है, इन कलाकृतियों में जो इनकी इतनी डिमांड बढ़ गई है.
काशी और तमिल के व्यापार के खुले द्वार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 दिसंबर को वाराणसी में काशी तमिल संगमम कार्यक्रम का उद्घाटन किया. इस आयोजन में काशी और तमिल के व्यापार के द्वार भी खोल दिए हैं. काशी में तमिलनाडु के मेहमानों के साथ ही वहां के व्यापारी और स्टार्ट अप के उद्यमी पहुंचे हुए हैं. यहां वे अपने उत्पदों को लोगों के बीच बेच रहे हैं. इसी बीच काशी की कला ने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया है. कार्यक्रम में लगे स्टॉल में एक स्टॉल काशी की काष्ठ कला के उत्पादों का भी है. यहां पर राम मंदिर से लेकर भगवान राम की अलग-अलग झांकियों और लीलाओं की काष्ठ की मूर्तियां तैयार करके बेची जा रही हैं. आलम यह है कि इनके इतने ऑर्डर मिल चुके हैं कि कारोबारी अब सोच रहे हैं कि इसे तैयार कैसे करेंगे.
राम मंदिर के शिलान्यास ने बदला भविष्य
काष्ठ कला के शिल्पी ओम प्रकाश शर्मा ने बताया कि काष्ठ कला काशी का बहुत पुराना आर्ट है. यह कला एकदम लुप्त होने के कगार पर थी. हम सभी आज तमिल संगमम में आए हुए हैं. यहां पर हमारी कला को लोग देख रहे हैं. यहां पर इसका काफी प्रचार-प्रसार भी हो रहा है. लोग इसकी सराहना भी कर रहे हैं. जब से राम मंदिर का शिलान्यास हुआ है. उस समय से राम पर आधारित लीलाओं के बहुत सारे ऑर्डर मिल रहे हैं, जोकि हमारी ये कला जितनी लुप्त हो गई थी, अब वह काफी पसंद किया जा रहा है. लोग हमारे आर्ट को देखना चाह रहे हैं. काशी-तमिल संगमम में राम दरबार की भी काफी डिमांड हो रही है.
ऐसा पहले कभी देखने को नहीं मिला
ओम प्रकाश शर्मा ने बताया कि राम दरबार के साथ ही और भी जो रामायण और भगवान राम से संबंधित दृश्य हैं, जैसे भरत मिलाप, लक्ष्मण शक्ति आदि के ऑर्डर उन्हें मिल रहे हैं. इस मेले के माध्यम से हमारी कला को काफी विस्तार मिल रहा है. हैंडीक्राफ्ट में ऐसा पहले कभी देखने को नहीं मिला था. लोग यहां पर आ रहे हैं, जिन्हें पसंद आ रहा है वो हमारी मूर्तियों को खरीद रहे हैं. इसके साथ ही कुछ लोग ऐसे भी आ रहे हैं जो हमारा कॉन्टैक्ट नंबर ले जा रहे हैं. वे ऑर्डर दे भी रहे हैं और कुछ ऑर्डर देने की बात कह रहे हैं. अभी तक जितने भी ऑर्डर मिले हैं वह ये सोच रहे हैं कि अब ये ऑर्डर पूरा कैसे करेंगे. उन्होंने बताया कि आर्टिजन तो अब बढ़ रहे हैं. पहले खत्म हो गए थे, लेकिन जो मांग है, उस हिसाब से वह सप्लाई नहीं दे पा रहे हैं. अब वह यही सोच रहे हैं कि आर्टिजन बढ़ें और उनकी सप्लाई पूरी करें.
काष्ठ की यूनीक मूर्तियां लोगों को पसंद हैं
वहीं, काशी-तमिल संगमम के स्टॉल पर आई प्रीती ने बताया कि, हमें यहां पर काष्ठ कला से बनी मूर्तियां काफी अच्छी लग रही हैं. देखने में आकर्षक भी लग रही हैं. नई-नई और यूनीक चीजें देखने को मिल रही हैं. राम मंदिर की अगर बात करें तो घर के लिए भी यह बहुत ही अच्छी चीज है. मैं यहां पर पहली बार आई हूं तो मुझे यह बहुत अच्छा लग रहा है. यहां का माहौल भी बहुत अच्छा है.
काशी की कला का दुनियाभर में प्रचार
काशी की कला को दुनिया के सामने ले जाने का श्रेय यहां के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही जाता है. पीएम मोदी ने पद संभालने के बाद से ही यहां की कलाओं को सबसे पहली प्राथमिकता दी. उन्होंने राज्य सरकार के साथ मिलकर यहां बंद होने के कगार पर पहुंची गुलाबी मीनाकारी, काष्ठ कला के कारोबार को फिर से एक मौका दिया. इससे जुड़े लगभग 2000 लोगों को वापस इस काम में लगाया. जी-20 आदि जैसे आयोजनों में स्टॉल लगवाए, जिससे इन उत्पादों की मांग विदेश में भी खूब बढ़ी. इसके साथ ही काशी के उत्पादों को जीआई क्राफ्ट लिस्ट में भी शामिल किया. आज इनका अच्छा खासा कारोबार हो रहा है.
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