वाराणसी: आज की तारीख में पूरी दुनिया वैश्विक महामारी से परेशान है. कालरूपी कोरोना ने अबतक लाखों घरों के दिए बुझा दिए हैं. ऐसे में जहन में एक सवाल उठता है कि जिस वायरस से लोग मारे जा रहे हैं वह लगातार इतनी तेजी से पांव कैसे पसार रहा है. इसी बात को लेकर भारतीय जनता पार्टी प्रबुद्ध प्रकोष्ठ और गुरुवारीय अड़ी परिवार की ओर से गुरुवारीय अड़ी की 36वीं श्रृंखला का आयोजन 'कोविड काल व ज्योतिष गणना' विषय पर किया गया. परिचर्चा दो सत्रों में हुई. पहले सत्र में वक्ताओं ने विचार साझा किए और दूसरे में परिचर्चा में शामिल लोगों ने प्रश्नों के उत्तर प्राप्त किए.
'कोरोना का कारण मंगल है'
इस कार्यक्रम में महावीर पंचाग के सम्पादक व प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पं रामेश्वर ओझा ने कहा कि भारत की ज्योतिष गणना में 'संहिता ज्योतिष' में आकाशीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए भविष्यवाणी की गई है. मैं उसी को दृष्टिगत रखते हुए विषय को आगे बढ़ा रहा हूं. वर्तमान कोरोना का कारण मंगल है. 13 अप्रैल से मंगल वर्ष का राजा एवं मंत्री है और इसी का प्रभाव है कि वर्ष की शुरुआत में ही इम्यूनिटी कमजोर है जो पूरे साल भर रहेगी.
'चन्द्रमा की महादशा ने बढ़ाया कोरोना'
पं रामेश्वर ओझा ने कोरोना से मुक्ति के लिए देवोपासक चिकित्सा यानि हवन, हनुमान चालीसा, दुर्गा सप्तशती पाठ पर विस्तारपुर्वक प्रकाश डाला. इस परिचर्चा में वक्ता के रूप में विचार व्यक्त करते हुए प्रख्यात ज्योतिषाचार्य व मां काली के उपासक पं हरेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि चन्द्रमा की महादशा से उत्पन्न परिस्थितिजन्य वातावरण ने महामारी व अन्य आपदाओं को बढ़ाया है. चूंकि चन्द्रमा मन का प्रतिबिंब है, इसलिए इसके प्रभाव सीधे मनुष्य की संरचना में हलचल उत्पन्न करते हैं. उन्होंने बहुत विस्तार से स्वतंत्रता पूर्व से लेकर अब तक के भारत की ग्रह दशा पर प्रकाश डाला.
'धैर्य और संयम का करें पालन'
परिचर्चा में वक्ता के रूप में प्रो. विनय पाण्डेय, (विभागाध्यक्ष ज्योतिष विभाग, बीएचयू) ने कहा की मनुष्य ने विलासी जीवन की कल्पना से प्रकृति के साथ जो दूरी स्थापित की है, उसी का परिणाम कोरोना जैसी महामारी के रूप में सामने आता है. कोरोना महामारी का सामना हम धैर्य, संयम, विवेक, आस्था जैसे आत्मिक गुणों से कर सकते हैं. वास्तव में यही हमारी इम्यूनिटी के प्रमुख स्रोत हैं.
'कार्यक्रम में ये लोग रहे मौजूद'
कार्यक्रम का संयोजन व संचालन डॉ. सुनील मिश्र व धन्यवाद ज्ञापन विजय गुप्त ने किया. कार्यक्रम में प्रो. अरविंद जोशी, पं वेदमूर्ति शास्त्री, डॉ. रचना शर्मा, डॉ. एसके घोषाल ने प्रश्न पूछे. परिचर्चा में डॉ. कमलेश झा, प्रो. अरविंद पाण्डेय, नवरतन राठी, संतोष सोलापुरकर, गणपति यादव, सुनीता सिंह, पं श्रीकांत मिश्र, रतन मोर्य, विभूति मिश्रा सहित अन्य लोग उपस्थित थे.
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