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काशीः पंचकोसी परिक्रमा करके मिलती है पापों से मुक्ति, यात्रा शुरू - पंचकोसी परिक्रमा

यूपी के काशी में अन्तरगृह पंचकोसी परिक्रमा शुरू हो गई है. इस परिक्रमा को महिलाएं नंगे पैर ही पूरा करती हैं. वहीं मान्यता है कि इस परिक्रमा को लगाने से मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है.

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काशी में महिलाओं ने शुरू किया अंतर्जली यात्रा.
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Published : Dec 12, 2019, 8:23 PM IST

वाराणसी: धर्म की नगरी काशी में गुरुवार को हजारों महिलाएं अन्तरगृह परिक्रमा पर निकलीं. यहां महिलाओं ने मणिकर्णिका घाट पर स्नान करके यात्रा का शुभारंभ किया. मान्यता है कि सभी काशी निवासियों को इस परिक्रमा करने से ही पापों से मुक्ति मिल जाती है. वहीं इस यात्रा में महिलाएं पंचकोस की परिक्रमा करती है.

काशी में महिलाओं ने की अंतर्जली यात्रा.
  • जिले में अन्तरगृह पंचकोसी परिक्रमा का हुआ शुभारंभ.
  • यात्रा में काशी के बाहर स्थित मंदिरों पर दर्शन पूजन किया जाता है.
  • यह यात्रा पांच दिन की होती है. यात्रा को महिलाएं नंगे पैर ही पूरा करती हैं.
  • यात्रा में महिलाएं मणिकर्णिका घाट से जगन्नाथ मन्दिर होते हुए विभिन्न स्थानों का दर्शन करती हैं.


श्रद्धालु तिलका ने ईटीवी भारत से बताया कि पापों से मुक्ति के साथ ही घर परिवार सुख, शांति समृद्धि रहे. इस मान्यता को लेकर यह यात्रा करते हैं. सर्दी के दिनों में यह यात्रा बेहद कठिन है. नंगे पैर चलकर पांच कोस की यात्रा पूरी की जाती है. यह यात्रा सुबह से प्रारंभ होकर देर शाम मणिकर्णिका घाट पर पूर्ण होती है.

पढें: अस्सी घाट पर दिव्यांग छात्रों ने लगाया मेला, कबाड़ की वस्तुओं से बनाया समान

वाराणसी: धर्म की नगरी काशी में गुरुवार को हजारों महिलाएं अन्तरगृह परिक्रमा पर निकलीं. यहां महिलाओं ने मणिकर्णिका घाट पर स्नान करके यात्रा का शुभारंभ किया. मान्यता है कि सभी काशी निवासियों को इस परिक्रमा करने से ही पापों से मुक्ति मिल जाती है. वहीं इस यात्रा में महिलाएं पंचकोस की परिक्रमा करती है.

काशी में महिलाओं ने की अंतर्जली यात्रा.
  • जिले में अन्तरगृह पंचकोसी परिक्रमा का हुआ शुभारंभ.
  • यात्रा में काशी के बाहर स्थित मंदिरों पर दर्शन पूजन किया जाता है.
  • यह यात्रा पांच दिन की होती है. यात्रा को महिलाएं नंगे पैर ही पूरा करती हैं.
  • यात्रा में महिलाएं मणिकर्णिका घाट से जगन्नाथ मन्दिर होते हुए विभिन्न स्थानों का दर्शन करती हैं.


श्रद्धालु तिलका ने ईटीवी भारत से बताया कि पापों से मुक्ति के साथ ही घर परिवार सुख, शांति समृद्धि रहे. इस मान्यता को लेकर यह यात्रा करते हैं. सर्दी के दिनों में यह यात्रा बेहद कठिन है. नंगे पैर चलकर पांच कोस की यात्रा पूरी की जाती है. यह यात्रा सुबह से प्रारंभ होकर देर शाम मणिकर्णिका घाट पर पूर्ण होती है.

पढें: अस्सी घाट पर दिव्यांग छात्रों ने लगाया मेला, कबाड़ की वस्तुओं से बनाया समान

Intro:धर्म की नगरी काशी में आज हजारों महिलाएं अन्तरगृह यात्रा पर निकली । वाराणसी में मणिकर्णिका घाट पर स्नान और संकल्प के बाद महिलाएं नंगे पैर इस कठिन यात्रा पर निकली। मान्यता है कि काशी में रहने वाले सभी लोगो को इस यात्रा के करने के उनके जीवन मे उनके द्वारा किये गए पापों से मुक्ति मिलती है । इस यात्रा में महिलाएं पांच कोष की परिक्रमा करती है।

Body:वाराणसी में एक पंचकोशी यात्रा होती हैं जो बनारस के बाहर पढ़ने वाले सीमाओं में जो भी मंदिर है वहां पर दर्शन पूजन किया जाता है. 5 दिन की यात्रा होती है. ऐसे ही में आज की जो यात्रा है. यह अन्तरगृह यात्रा होती है नाम से ही है. कि जो हमारे गृह में पड़ने वाले मंदिर होते हैं.महिलाएं मार्ग में पड़ने वाले मन्दिर में दर्शन करती है।जिसमें मणिकर्णिका घाट से अस्सी घाट जगन्नाथ मन्दिर,चौका घाट होते हुए विभिन्न स्थानों तक दर्शन करती हैं।Conclusion:तिलका ने बताया कि पापों से मुक्ति के साथ ही घर परिवार सुख शांति समृद्धि रहे। इसके लिए यह यात्रा किया जाता है ठंडी के दिनों में है यात्रा बेहद कठिन है। क्योंकि नंगे पांव चल कर 5 कोस की दूरी मिस यात्रा को संपन्न किया जाता है यह यात्रा सुबह से प्रारंभ होकर देर शाम मणिकर्णिका घाट पर समाप्त होगी।

बाइट - तिलका - श्रद्धालु

आशुतोष उपाध्याय
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