वाराणसी: दीपावली का पर्व पूरे देश में धूम-धाम के साथ मनाया गया. वहीं शिव की नगरी काशी में बंगाली समाज की ओर से काली पूजन का आयोजन किया गया. उत्तर भारत में लक्ष्मी-गणेश की पूजा जितनी महत्वपूर्ण है, उतना ही पूर्वी भारत में काली पूजा का महत्व है. मां काली की पूजा के दौरान काशी में एक मिनी बंगाल की झलक देखने को मिलती है.
काली पूजा का किया गया आयोजन
- कार्तिक अमावस्या की रात में होने वाली काली पूजा कहानी को 'निशा पूजा' के नाम से भी जाना जाता हैं.
- काशी के देवनाथपुर में स्थित नौसंग पूजा पंडाल में भव्य काली माता के पंडाल को सजाया जाता है.
- पिछले 51 सालों से यह परंपरा अनवरत चली आ रही है.
- पूरे बनारस में यह प्रतिमा खास है, क्योंकि प्रतिमा लगभग 30 फीट ऊंची होती है.
- इस मूर्ति की स्थापना मुस्लिम बाहुल्य इलाके में की जाती है.
इसे भी पढ़ें:- दीपावली 2019: मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए इन मुहूर्त का रखें ध्यान, ऐसे करें पूजा-पाठ
- जिला प्रशासन ने इस पूजा के लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए थे.
- अतीस कुमार दास ने बताया कि यह पूजा करते हुए उन्हें 50 वर्ष बीत गए हैं.
- दीपावली के दिन शुभ मुहूर्त में माता की स्थापना की जाती है.