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ज्येष्ठ पूर्णिमा 2021 : भगवान विष्णु की आराधना से मिलेगा विशेष फल, जानें स्नान-दान का महत्व

ज्येष्ठ मास को धर्म कर्म की दृष्टि से विशेष माना गया है. पंचांग के अनुसार 24 जून 2021 गुरुवार को ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है. इसी तिथि को ज्येष्ठ पूर्णिमा कहा जाता है. ज्येष्ठ पूर्णिमा के व्रत को बेहद पवित्र माना गया है. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना की जाती है.

ज्येष्ठ पूर्णिमा 2021
ज्येष्ठ पूर्णिमा 2021
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Published : Jun 24, 2021, 5:43 AM IST

Updated : Jun 24, 2021, 9:12 AM IST

वाराणसी : बृहस्पतिवार का दिन विष्णु जी को समर्पित होने के कारण इस वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा विशेष है. इसके अतिरिक्त पूर्णिमा के दिन सूर्य और चंद्रमा, मिथुन एवं वृश्चिक राशि में होंगे, जिस कारण संयोग अतिविशिष्ट हो गया है. पूर्णिमा की तिथि 24 जून को प्रातः 3:32 बजे से शुरू होकर 25 जून को 12ः09 बजे रात्रि तक रहेगी. व्रत का विधान 24 जून को है. मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन प्रातः काल पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. यदि नदियों तक जाना सम्भव न हो, तो घर पर ही नहाने के जल में गंगा जल मिलाकर भी स्नान किया जा सकता है.

12 महीनों की पूर्णिमा का विशेष स्थान होता है, जिसमें जेष्ठ पूर्णिमा का विशेष स्थान माना जाता है, क्योंकि 4 माह जिसमें श्रीहरि चातुर्मास में शयन के लिए चले जाते हैं, वहीं देखा जाए तो चातुर्मास से पूर्व पड़ने वाली जेष्ठ पूर्णिमा और चातुर्मास के बाद पड़ने वाली कार्तिक पूर्णिमा का अपना एक विशिष्ट महत्व होता है. जेष्ठ पूर्णिमा को ही देव स्नान पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन भगवान जगन्नाथ को विधिवत अत्यधिक स्नान कराया जाता है. अत्यधिक स्नान कर लेने की वजह से भगवान बीमार पड़ जाते हैं.

व्रत रखने का है विधान

धर्मशास्त्रों के अनुसार, ज्येष्ठ पूर्णिमा के व्रत का स्थान सात विशेष पूर्णिमाओं में आता है. इस दिन विधिपूर्वक भगवान विष्णु का व्रत एवं पूजन करने तथा रात्रि में चंद्रमा को दूध और शहद मिलाकर अर्घ्य देने से सभी रोग एवं कष्ट दूर हो जाते हैं. इस दिन प्रातः काल स्नान आदि कार्यों से निवृत्त होकर भगवान विष्णु का पूजन करें तथा यदि संभव हो तो संकल्प लेकर दिन भर फलाहार करते हुए व्रत रखने का विधान है. ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि जेष्ठ पूर्णिमा 24 जून को प्रातः 3:32 बजे से शुरू होकर 25 जून को 12ः09 तक रहेगी.

इसे भी पढ़ें- निर्जला एकादशी: 24 एकादशी का फल देता है एक अकेला यह व्रत, जानें इसका महत्व

करें यह कार्य

पंडित ऋषि के मुताबिक इस दिन गंगा स्नान के ससाथ ही दान करनें का विशेष महत्व होता है. इस दिन व्रत रहकर भगवान विष्णु की पूजन कर दान करने से अमोघ पुण्य की प्राप्ति होती है और अंत में भगवान विष्णु के वैकुंठ लोक में व्रती जनों को स्थान प्राप्त होता है. मान्यता है कि आज के दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की आराधना का विशेष फल मिलता है. भगवान विष्णु की आराधना के लिए सत्यनारायण व्रत कथा का श्रवण अति उत्तम बताया गया है. वहीं माता लक्ष्मी के पूजन में खीर का भोग लगाना विशेष फलदाई होता है

चंद्रमा होगा लालिमा से युक्त

पंडित द्विवेदी ने बताया कि आज पड़ने वाली पूर्णिमा चन्द्रमा को भी अलग रूप में प्रकृति के सामने लाती है. पूर्ण चन्द्रमा 16 कालाओं से युक्त होकर तेज रोशनी के साथ आसमान में एक अलग ही रूप में नजर आता है. इस खगोलीय घटना को ज्योतिष शास्त्र में महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन खगोल विद इसे अपने ही नजरिए से देखते हैं, जिसे सुपरमून या रेड मून के नाम से जाना जाता है.

वाराणसी : बृहस्पतिवार का दिन विष्णु जी को समर्पित होने के कारण इस वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा विशेष है. इसके अतिरिक्त पूर्णिमा के दिन सूर्य और चंद्रमा, मिथुन एवं वृश्चिक राशि में होंगे, जिस कारण संयोग अतिविशिष्ट हो गया है. पूर्णिमा की तिथि 24 जून को प्रातः 3:32 बजे से शुरू होकर 25 जून को 12ः09 बजे रात्रि तक रहेगी. व्रत का विधान 24 जून को है. मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन प्रातः काल पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. यदि नदियों तक जाना सम्भव न हो, तो घर पर ही नहाने के जल में गंगा जल मिलाकर भी स्नान किया जा सकता है.

12 महीनों की पूर्णिमा का विशेष स्थान होता है, जिसमें जेष्ठ पूर्णिमा का विशेष स्थान माना जाता है, क्योंकि 4 माह जिसमें श्रीहरि चातुर्मास में शयन के लिए चले जाते हैं, वहीं देखा जाए तो चातुर्मास से पूर्व पड़ने वाली जेष्ठ पूर्णिमा और चातुर्मास के बाद पड़ने वाली कार्तिक पूर्णिमा का अपना एक विशिष्ट महत्व होता है. जेष्ठ पूर्णिमा को ही देव स्नान पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन भगवान जगन्नाथ को विधिवत अत्यधिक स्नान कराया जाता है. अत्यधिक स्नान कर लेने की वजह से भगवान बीमार पड़ जाते हैं.

व्रत रखने का है विधान

धर्मशास्त्रों के अनुसार, ज्येष्ठ पूर्णिमा के व्रत का स्थान सात विशेष पूर्णिमाओं में आता है. इस दिन विधिपूर्वक भगवान विष्णु का व्रत एवं पूजन करने तथा रात्रि में चंद्रमा को दूध और शहद मिलाकर अर्घ्य देने से सभी रोग एवं कष्ट दूर हो जाते हैं. इस दिन प्रातः काल स्नान आदि कार्यों से निवृत्त होकर भगवान विष्णु का पूजन करें तथा यदि संभव हो तो संकल्प लेकर दिन भर फलाहार करते हुए व्रत रखने का विधान है. ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि जेष्ठ पूर्णिमा 24 जून को प्रातः 3:32 बजे से शुरू होकर 25 जून को 12ः09 तक रहेगी.

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करें यह कार्य

पंडित ऋषि के मुताबिक इस दिन गंगा स्नान के ससाथ ही दान करनें का विशेष महत्व होता है. इस दिन व्रत रहकर भगवान विष्णु की पूजन कर दान करने से अमोघ पुण्य की प्राप्ति होती है और अंत में भगवान विष्णु के वैकुंठ लोक में व्रती जनों को स्थान प्राप्त होता है. मान्यता है कि आज के दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की आराधना का विशेष फल मिलता है. भगवान विष्णु की आराधना के लिए सत्यनारायण व्रत कथा का श्रवण अति उत्तम बताया गया है. वहीं माता लक्ष्मी के पूजन में खीर का भोग लगाना विशेष फलदाई होता है

चंद्रमा होगा लालिमा से युक्त

पंडित द्विवेदी ने बताया कि आज पड़ने वाली पूर्णिमा चन्द्रमा को भी अलग रूप में प्रकृति के सामने लाती है. पूर्ण चन्द्रमा 16 कालाओं से युक्त होकर तेज रोशनी के साथ आसमान में एक अलग ही रूप में नजर आता है. इस खगोलीय घटना को ज्योतिष शास्त्र में महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन खगोल विद इसे अपने ही नजरिए से देखते हैं, जिसे सुपरमून या रेड मून के नाम से जाना जाता है.

Last Updated : Jun 24, 2021, 9:12 AM IST
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