वाराणसी: वाराणसी के काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी. इससे अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था चरमार कई. मरीज परेशान रहे और डॉक्टर हड़ताल पर बैठे रहे. जैसे तैसे कुछ सीनियर डॉक्टर्स ने व्यवस्था संभाली, लेकिन जहां देशभर के कई राज्यों से लोग इलाज के लिए आए हुए हैं वहां उनके बस का कितना संभालना था. ओपीडी में मरीज नहीं दिखाई दे रहे थे. कुछ सीनियर डॉक्टरों की ओपीडी भी बंद करा दी गई. वहीं पहले से तय करीब 50 फीसदी सामान्य ऑपरेशन टल गए. ऐसे में मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा.
बीएचयू स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल में बुधवार की रात जूनियर डॉक्टरों के साथ कुछ युवकों ने मारपीट की थी. उस समय लगभग 5 डॉक्टरों को चोट आई थी, जिसमें 2 महिला डॉक्टर भी थीं. ऐसे में अस्पताल की इमरजेंसी में डॉक्टर व कर्मचारी के साथ मारपीट के मामले में लंका थाने में अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. वहीं पुलिस सीसीटीवी फुटेज से आरोपियों की पहचान में जुटी है. आरोप है कि इस मामले में बीएचयू के पूर्व छात्र शामिल हैं. ये सभी आरोपी इमरजेंसी वार्ड में अपने परिजन के इलाज के लिए दबाव बना रहे थे, जिस दौरान ये मामला हुआ था.
हड़ताल के बाद डॉक्टर के कमरों में बंद रहा ताला: गुरुवार को इसी मामले को लेकर जूनियर डॉक्टर्स ने हड़ताल कर दी है. उनकी मांग है कि आरोपियों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी की जाए. वहीं इस हड़ताल से अस्पताल की व्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है. ओपीडी में हृदय रोग, न्यूरोलॉजी, मेडिसिन, टीबी एंड चेस्ट सहित कई विभागों में पहुंचकर जूनियर डॉक्टरों ने सीनियर डॉक्टरों से ओपीडी में न बैठने की अपील की थी. हालांकि सीनियर डॉक्टरों ने मरीजों को देखा. दोपहर में ओपीडी हॉल में अधिकांश कुर्सियां खाली रहीं. मरीज और तीमारदार भी कम ही दिखे. अस्पताल के मेडिसिन विभाग की ओपीडी में जूनियर और सीनियर रेजिडेंट के कमरों में ताला बंद रहा.
7000 मरीज प्रभावित, 24 बिना सर्जरी के लौटे: जनरल सर्जरी विभाग में 25 सर्जरी होनी थी. सुबह एक मरीज की सर्जरी चल रही थी. इस दौरान हड़ताल की घोषणा हो गई. डॉक्टरों ने किसी तरह से एक मरीज का सर्जरी की. उसके बाद सर्जरी के लोगों को इंतजार करना पड़ा. सामान्य दिनों में अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर में रोज करीब 10,100 मरीज ओपीडी, इमरजेंसी में इलाज के लिए आते हैं. वहीं आज हड़ताल की वजह से 3100 से मरीज ही आए. यानी कि लगभग 7000 मरीजों को इलाज नहीं मिल सका या तो वे लौट गए. जहां 100 से 150 सर्जरी होती थी, उसकी संख्या 80 तक रही. 24 मरीजों को बिना सर्जरी के लौटना पड़ा.
स्ट्रेचर पर ही हो रहा था मरीजों का इलाज: बताया जा रहा है कि यूरोलॉजी विभाग में भी 7 में से सिर्फ एक की सर्जरी हो पायी. कॉर्डियोथोरेसिक, न्यूरो सर्जरी, अन्य विभाग में भी कई मरीज बिना सर्जरी के लौट गए. हालांकि आंकोलॉजी विभाग, एमआरआई, एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड पर असर नहीं दिखा. इंडोस्कोपी, क्लोनोस्कोपी सहित अन्य जांच प्रभावित रही. हड़ताल की वजह से ओपीडी से लेकर इमरजेंसी के बाहर तक मरीज स्ट्रेचर पर ही पड़े रहे. सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक के नीचे तल पर ओपीडी के बाहर मरीजों के तीमारदार नीचे जमीन पर बैठे रहे. अधिकांश मरीजों को डॉक्टर स्ट्रेचर पर ही इलाज दे रहे थे. यहां बिहार, झारखंड आदि जिलों से भी मरीज आते हैं.
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