वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी केस में वाराणसी की जिला अदालत ने सोमवार को अपना फैसला सुना दिया. अदालत ने कहा है कि श्रृंगार गौरी से जुड़ी याचिका सुनवाई योग्य है. हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन और हरिशंकर जैन ने बताया कि कोर्ट ने यह फैसला सबूतों के आधार पर दिया है. अब श्रृंगार गौरी की रोजाना पूजा को लेकर दायर की गई याचिका पर नियमित सुनवाई होगी. हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने फैसले के बारे में बताते हुए दावा किया कि ज्ञानवापी पर प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट (places of worship act 1991) लागू नहीं होता है. इस कारण ज्ञानवापी मामले में पूजास्थल का धार्मिक कैरेक्टर बदलने की गुंजाइश है. इस मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी. मुस्लिम पक्ष ने इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देने का ऐलान किया है.
गौरतलब है कि ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी केस (Gyanvapi Shringar Gauri Case) में सोमवार को वाराणसी जिला अदालत में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वाराणसी की जिला अदालत (Varanasi District court) को यह फैसला करना था कि श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन-पूजन मामले में आगे सुनवाई की जा सकती है या नहीं. जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सोमवार को इस केस में फैसला सुना दिया. हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन कोर्ट ने बताया कि हिंदू पक्ष की दलील को मानते हुए लीगल टीम को श्रृंगार गौरी के निरीक्षण की अनुमति दे दी गई है. साथ ही कोर्ट ने माना है कि ज्ञानवापी मामले में पूजास्थल का धार्मिक कैरेक्टर बदलने की गुंजाइश है.
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मुकदमे की सुनवाई जारी रहेगी. जिला अदालत ने कहा है कि श्रृंगार गौरी से जुड़ी याचिका सुनवाई योग्य है. 27 पन्नों के फैसले में जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने बताया कि अब तक वादी (हिंदू) पक्ष की ओर से पेश किए गए सबूत के आधार पर केस को सुनवाई योग्य माना गया है. सोमवार को दोपहर 2 बजे से शुरू सुनवाई में अदालत ने अपना फैसला सुनाया और 22 सितंबर को सुनवाई की अगली तारीख नियत की है. फैसले के दौरान श्रृंगार गौरी की पूजा करने की इजाजत को लेकर याचिका दायर करने वाली मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक भी कोर्ट रूम में मौजूद रही.