वाराणसी: कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देश में लाॅकडाउन की घोषणा की गई और इसके तहत देश के सभी मंदिरों और धार्मिक स्थलों को बंद कर दिया गया. इसके बाद अनलाॅक में गाइडलाइन की शर्तों के साथ केंद्र और राज्य सरकार ने मंदिरों को खोलने की छूट दे दी, लेकिन बड़े धार्मिक आयोजनों पर लगी पाबंधी को अभी तक नहीं हटाया गया है.
इस कारण वाराणसी में 200 सालों से चली रही भगवान जगन्नाथ का रथ यात्रा मेले को रद्द कर दिया गया. देश के कई राज्यों में रथ यात्रा का पावन पर्व मनाया जा रहा है. आयोजकों और स्थानीय प्रशासन ने कोरोना के कारण इस बार रथ यात्रा और इस अवसर पर लगने वाले मेले को रद्द करने का फैसला किया.
दर्शन के लिए रखा जाता था रथ
भगवान जगन्नाथ का रथ हर साल खींचकर भक्त शहर के चौराहें पर लाते थे और तीन दिनों तक श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए रखा जाता था. मौजूदा कोरोना संकट के कारण 200 सालों से चली आ रही रथ खींचने की परंपरा इस बार टूट गई. इससे पहले अस्सी क्षेत्र में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर से जगन्नाथ की पालकी यात्रा 2 दिन पहले निकाल कर शहर में भ्रमण कराने की परंपरा रही है.
यात्रा रद्द होने से छोटे दुकानदार निराश
सिगरा इलाके में यात्रा के बाद भगवान जगन्नाथ के रथ को साल भर के लिए खड़ा किया जाता है. यात्रा रद्द होने के कारण रथ ताले में ही बंद है और उस स्थान की सफाई भी नहीं हो पाई. वहीं रथ यात्रा होने रद्द होने के बाद स्थानीय लोगों का कहना है कि तीन दिन का मेला, जहां भक्तों को भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के दर्शन का अवसर देता था. वहीं इस अवसर पर लगने वाले मेले से रोजगार भी चलता था. मेले में छोटी- छोटी दुकान लगाकर कमाई करने वाले लोग मेले के रद्द होने के कारण निराश हैं.