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Aditya L-One: चंद्रयान की सफलता के बाद आदित्य एल-वन के लिए जुटा इसरो, टीम में बीएचयू के भी वैज्ञानिक शामिल

चंद्रयान 3 को सफल करने के बाद इसरो सूर्य का अध्ययन करने वाले आदित्य एल वन मिशन में जुट गया है. जिसमें बीएचयू के वैज्ञानिक भी शामिल है. जो इस मिशन को सफल बनाने के लिए काम कर रहे हैं.

आदित्य एल-वन के लिए जुटा इसरो,
आदित्य एल-वन के लिए जुटा इसरो,
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 25, 2023, 6:33 PM IST

Updated : Aug 25, 2023, 8:07 PM IST

मिशन आदित्य एल-वन की तैयारी में शामिल बीएचयू के वैज्ञानिक

वाराणसी: भारत ने चंद्रयान-3 मिशन को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. इससे इसरो के वैज्ञानिकों के साथ ही देशवासियों में भी खुशी देखी जा रही है. चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो ने एक और एलान कर दिया है. वैज्ञानिक अब आदित्य-एल 1 मिशन पर काम करेंगे. आदित्य-एल वन सूर्य पर अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन है. इस मिशन में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के IIT के वैज्ञानिक भी शामिल है. ये वैज्ञानिकों की टीम सूर्य की सतह पर जाने वाले आदित्य एल-वन का विश्लेषण करेगी. आदित्य-एलवन के साथ कई उपकरण भी भेजे जा रहे हैं. इस मिशन से जुड़े डॉ. अलकेंद्र सिंह ने यह जानकारी दी है.

इसरो का आदित्य एल-वन मिशन
इसरो का आदित्य एल-वन मिशन


बंगलुरू स्थित डीप स्पेस नेटवर्क को भेजा जाएगा डाटा: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के भौतिकी विज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अलकेंद्र सिंह ने बताया कि उनकी टीम सूर्य के कई पक्षों की निगरानी करेगी. वह इस सौर मिशन के सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप टीम का हिस्सा हैं. उनकी टीम नियमित रूप से उपग्रह की निगरानी करने के साथ ही बंगलुरु में स्थित डीप स्पेस नेटवर्क टीम को सारी जानकारी भेजेगी. देश के अलग-अलग हिस्सों में बैठे वैज्ञानिक सूर्य की सतह पर हो रही हलचल की निगरानी करेंगे.

आदित्य एल-वन के लिए जुटा इसरो
आदित्य एल-वन के लिए जुटा इसरो.
उपग्रह के साथ भेजे जा रहे हैं ये उपकरण: डॉ. अलकेंद्र सिंह ने बताया कि आदित्य एल-वन के साथ सात तरीके के उपकरण भेजे जा रहे हैं. इसमें विजिबल इमिशन लाइन कोरोनाग्राफी है, जो सूर्य के कोरोना की जांच करेगा. इसके साथ ही सोलर अल्ट्रावायलेट इनेजिंग टेलिस्कोप है, जो सूर्य के फोटोस्फीयर और क्रोमोस्फीयर की निगरानी करेगा. आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एस्पेरिमेंट सौर वायु की जांच करेगा. वहीं, प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य, सूर्य पर प्लाज्मा की प्रवाह की जांच करेगा. साथ ही सोलर लो एनर्जी एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर और हाई एनर्जी एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा तरंगों की जांच करेगा. उपग्रह के साथ भेजा जा रहा मैगनोमीटर सूर्य और ग्रहों के बीच के मैगनेटिक फील्ड की निगरानी करेगा.

सूर्य और पृथ्वी के बीच हैं पांच लैंगरेज बिंदु:
डॉ. अलकेंद्र ने बताया कि इसरो ने आदित्य एल-वन उपग्रह की स्थापना के लिए सूर्य और पृथ्वी के बीच लैगरेंज-1 यानी एल-वन को चुना है. उन्होंने बताया कि सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में ऐसे पांच बिंदु हैं, जिन्हें एल-1 से एल-5 तक का नाम दिया गया है. एल-1 सूर्य के सामने है. इसकी पृथ्वी से दूरी 15 लाख किलोमीटर की है. इस बिन्दु पर उपग्रह के होने से सूर्य में होने वाली हलचल पर सीधे निगरानी रखी जा सकेगी. डॉ. अलकेंद्र सिंह ने बताया कि इस मिशन को लेकर वैज्ञानिक दिन रात काम कर रहे हैं. सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन है.

बीएचयू से तीन वैज्ञानिकों का नाम शामिल:
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के आईआईटी से इस मिशन के लिए तीन नाम शामिल किए गए हैं. इसमें डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव, डॉ. विद्या विहान और डॉ. अलकेंद्र सिंह हैं. ये सभी इसरो के साथ जुड़कर सूर्य की सतह पर होने वाली हलचल पर नजर रखेंगे. इस मिशन को सफल बनाने में अपना सहयोग देंगे. इसके साथ ही इन वैज्ञानिकों की मदद से सूर्य के कई रहस्यों का भी पता लगाया जा सकेगा. सूर्य के सामने जाने वाला उपग्रह आदित्य एल-वन वहां की गतिविधियों का डाटा इकट्ठा करेगा और वैज्ञानिकों तक भेजेगा.

यह भी पढ़ें: चंद्रयान-3 की लैंडिंग का अंतिम चरण था मिर्जापुर के आलोक पांडेय के हाथ, सफल लैडिंग से माता-पिता खुश

यह भी पढ़ें: BHU ने खोज निकाला सबसे बड़े सवाल का जवाब, ऐसे तैयार होगा हाइड्रोजन

मिशन आदित्य एल-वन की तैयारी में शामिल बीएचयू के वैज्ञानिक

वाराणसी: भारत ने चंद्रयान-3 मिशन को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. इससे इसरो के वैज्ञानिकों के साथ ही देशवासियों में भी खुशी देखी जा रही है. चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो ने एक और एलान कर दिया है. वैज्ञानिक अब आदित्य-एल 1 मिशन पर काम करेंगे. आदित्य-एल वन सूर्य पर अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन है. इस मिशन में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के IIT के वैज्ञानिक भी शामिल है. ये वैज्ञानिकों की टीम सूर्य की सतह पर जाने वाले आदित्य एल-वन का विश्लेषण करेगी. आदित्य-एलवन के साथ कई उपकरण भी भेजे जा रहे हैं. इस मिशन से जुड़े डॉ. अलकेंद्र सिंह ने यह जानकारी दी है.

इसरो का आदित्य एल-वन मिशन
इसरो का आदित्य एल-वन मिशन


बंगलुरू स्थित डीप स्पेस नेटवर्क को भेजा जाएगा डाटा: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के भौतिकी विज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अलकेंद्र सिंह ने बताया कि उनकी टीम सूर्य के कई पक्षों की निगरानी करेगी. वह इस सौर मिशन के सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप टीम का हिस्सा हैं. उनकी टीम नियमित रूप से उपग्रह की निगरानी करने के साथ ही बंगलुरु में स्थित डीप स्पेस नेटवर्क टीम को सारी जानकारी भेजेगी. देश के अलग-अलग हिस्सों में बैठे वैज्ञानिक सूर्य की सतह पर हो रही हलचल की निगरानी करेंगे.

आदित्य एल-वन के लिए जुटा इसरो
आदित्य एल-वन के लिए जुटा इसरो.
उपग्रह के साथ भेजे जा रहे हैं ये उपकरण: डॉ. अलकेंद्र सिंह ने बताया कि आदित्य एल-वन के साथ सात तरीके के उपकरण भेजे जा रहे हैं. इसमें विजिबल इमिशन लाइन कोरोनाग्राफी है, जो सूर्य के कोरोना की जांच करेगा. इसके साथ ही सोलर अल्ट्रावायलेट इनेजिंग टेलिस्कोप है, जो सूर्य के फोटोस्फीयर और क्रोमोस्फीयर की निगरानी करेगा. आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एस्पेरिमेंट सौर वायु की जांच करेगा. वहीं, प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य, सूर्य पर प्लाज्मा की प्रवाह की जांच करेगा. साथ ही सोलर लो एनर्जी एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर और हाई एनर्जी एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा तरंगों की जांच करेगा. उपग्रह के साथ भेजा जा रहा मैगनोमीटर सूर्य और ग्रहों के बीच के मैगनेटिक फील्ड की निगरानी करेगा.

सूर्य और पृथ्वी के बीच हैं पांच लैंगरेज बिंदु:
डॉ. अलकेंद्र ने बताया कि इसरो ने आदित्य एल-वन उपग्रह की स्थापना के लिए सूर्य और पृथ्वी के बीच लैगरेंज-1 यानी एल-वन को चुना है. उन्होंने बताया कि सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में ऐसे पांच बिंदु हैं, जिन्हें एल-1 से एल-5 तक का नाम दिया गया है. एल-1 सूर्य के सामने है. इसकी पृथ्वी से दूरी 15 लाख किलोमीटर की है. इस बिन्दु पर उपग्रह के होने से सूर्य में होने वाली हलचल पर सीधे निगरानी रखी जा सकेगी. डॉ. अलकेंद्र सिंह ने बताया कि इस मिशन को लेकर वैज्ञानिक दिन रात काम कर रहे हैं. सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन है.

बीएचयू से तीन वैज्ञानिकों का नाम शामिल:
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के आईआईटी से इस मिशन के लिए तीन नाम शामिल किए गए हैं. इसमें डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव, डॉ. विद्या विहान और डॉ. अलकेंद्र सिंह हैं. ये सभी इसरो के साथ जुड़कर सूर्य की सतह पर होने वाली हलचल पर नजर रखेंगे. इस मिशन को सफल बनाने में अपना सहयोग देंगे. इसके साथ ही इन वैज्ञानिकों की मदद से सूर्य के कई रहस्यों का भी पता लगाया जा सकेगा. सूर्य के सामने जाने वाला उपग्रह आदित्य एल-वन वहां की गतिविधियों का डाटा इकट्ठा करेगा और वैज्ञानिकों तक भेजेगा.

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Last Updated : Aug 25, 2023, 8:07 PM IST
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