वाराणसी: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से पूरा विश्व जूझ रहा है. भारत भी इससे अछूता नहीं है. सरकार कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए अनेक प्रयास कर रही है. सरकार ऐसी तमाम योजनाएं ला रही है, जिससे कोई भी गरीब भूखा न सोए. सरकार की इस पहल में समाज व राजनीतिक दल के बहुत सारे लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा भी ले रहे हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो लगातार गरीबों का हक काटने के लिए आमादा है.
ऐसा ही एक नजारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के सुजाबाद गांव में देखने को मिला, जहां गांव के कोटेदार द्वारा गरीबों को कम राशन दिया जा रहा है. वहीं जब गरीब कोटेदार से शिकायत करते हैं कि उनको राशन कार्ड में अंकित यूनिट से भी कम राशन क्यों दिया जा रहा तो कोटेदार उनको धमका करके चुप करा देता है.
कोटेदार से लोग परेशान
सुजाबाद गांव में राशन वितरण कोटेदार का पुत्र श्याम किशोर के द्वारा किया जाता है. इसी क्रम में कोटेदार द्वारा सरकारी राशन की दुकान पर कुछ महिलाओं को राशन बांटा जा रहा था. जब ईटीवी भारत की टीम ने उन महिलाओं से बातचीत की तो की तो उन्होंने बताया कि कोटेदार द्वारा यूनिट में कटौती की रही है, जिससे हम सब बहुत परेशान हैं.
ऊपर से कट कर आता है राशन
राशन लेने पहुंची प्रिया श्रीवास्तव ने बताया कि पांच लोगों का नाम राशन कार्ड पर है, लेकिन चार लोगों का ही राशन दिया जाता है. इससे उन्हें काफी दिक्कत हो रही है. वहीं रुबीना खातून ने अपना राशन कार्ड दिखाते हुए बताया कि कोटेदार द्वारा उन्हें सिर्फ चार यूनिट का राशन दिया जाता है, जबकि राशन कार्ड में छह लोगों का नाम है. महिलाओं द्वारा कोटेदार से पूछने पर जवाब मिलता है कि आपका राशन ऊपर से कट कर आता है.
कोटेदार के बेटे ने मांगी माफी
कोटेदार का पुत्र श्याम किशोर ने कैमरे के आगे अपनी गलती को स्वीकार करते हुए कहा कि हम इस गलती के लिए माफी मांगते हैं. आगे से ऐसी गलती नहीं होगी. वहीं जब एडीएम आपूर्ति एन.के. सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा, 'हमें अभी इसकी सूचना मिली है. हमने सप्लाई इंस्पेक्टर को त्वरित जांच के आदेश दे दिए हैं. यदि कोटेदार दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी.'
बहरहाल यह सोचने वाली बात है कि गलती एक बार किसी से होती है, बार-बार नहीं. कोटेदार ने कहा कि उससे गलती हो गई है, लेकिन पिछले कई सालों से वह जनता के हक का राशन काट रहा है. अनजाने में ऐसी गलती होना कई सारे सवालों को खड़ा करता है. इस आपदा में गरीबों की मदद के बजाय उनके हक का राशन काटना, यह उदाहरण केवल एक ही कोटेदार का नहीं है. बल्कि शहर में ऐसे तमाम कोटेदार हैं, जो अनियमितता कर रहे हैं.
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