वाराणसी: आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) को लेकर सरगर्मी बढ़ती जा रही है. वहीं खतरनाक कोरोना संक्रमण (Corona virus) की वजह से रैलियां, रोड शो व प्रचार के अन्य कई तरीके बंद हैं. इतिहास में भी ऐसा पहली बार हुआ है, जब चुनावी मौसम में जनता से नेतागणों को पूरी तरह से दूरी बनाए जाने के निर्देश दिए गए हैं. सभी राजनीतिक दलों के लिए सिर्फ और सिर्फ डिजिटल माध्यम ही प्रचार का जरिया बना हुआ है. यही वजह है कि डिजिटल प्रचार के चलते इंटरनेट की डिमांड पहले से डबल बढ़ गई है.
दरअसल, इंटरनेट ही इस समय चुनावों के लिए सबसे बड़ा हथियार है. वीवीआईपी से लेकर छोटे नेता भी अपने घरों में एक से ज्यादा इंटरनेट कनेक्शन ले रखे हैं. हाई स्पीड इंटरनेट के जरिए वर्चुअल रैली हो या फिर कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद, सब कुछ संभव हो पा रहा है. शायद यही वजह है कि नेताजी अपने घर या कार्यालय में इंटरनेट के एक नहीं, बल्कि 2 से 3 कनेक्शन ले रखे हैं.
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इंटरनेट प्रोवाइड करने वाली कंपनी के लोगों का कहना है कि वर्तमान समय में इंटरनेट की मांग दोगुनी हो गई है. दिसंबर में चुनावों की घोषणा के बाद इसमें उछाल देखने को मिला है. एक दिन में एक इंटरनेट प्रोवाइडर कंपनी 20 से 25 कनेक्शन प्रोवाइड करवा रही थी. वर्तमान में इसकी संख्या बढ़कर 50 से 55 हो गई है.
इंटरनेट प्रोवाइड करवाने वाली कंपनी के मैनेजर शरद त्रिपाठी ने बताया कि कोई नेता इस समय पीछे नहीं रहना चाह रहा है. यही वजह है कि हर नेता इंटरनेट के एक्स्ट्रा कनेक्शन ले रहा है. कार्यालय में 30 से 40 कार्यकर्ता इंटरनेट के जरिए प्रचार करने का काम कर रहे हैं.
उन्होंने बताया कि वर्चुअल रैली और सभाओं के लिए अलग कनेक्शन और एक एक्स्ट्रा कनेक्शन रखकर हर नेता इस वक्त काम कर रहा है. फिलहाल वर्चुअल चुनाव प्रचार के तरीकों ने निश्चित तौर पर इंटरनेट की डिमांड को बहुत तेजी से बढ़ाया है. जैसे-जैसे चुनावी दौड़ नजदीक आएगा वैसे वैसे इंटरनेट की डिमांड और भी बढ़ती जाएगी.
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