वाराणसी: जिले के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय के तत्वाधान में कोरोना जैसे महामारी से बचाव और चिकित्सा में आयुष की भूमिका विषय पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया. वर्चुअल सेमिनार का शुभारंभ सोमवार को किया गया जो 2 मई तक चलेगा.
अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन
स्टे होम का पालन करते हुए वेबिनार का आयोजन किया गया. इस दौरान देश सहित विश्व के कोने-कोने से विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी. इसके साथ ही सबने कहा कि कोरोना के इस जंग में सब साथ हैं, हमें इस बात पर चर्चा करना है कि आयुर्वेद के किस पद्धति से इस जंग को समाप्त कर सकते हैं.
आयुर्वेद संकाय की अब तक की यात्रा के बारे में चर्चा
संकाय प्रमुख प्रो. यामिनी भूषण त्रिपाठी ने वेबिनार में शामिल हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया और आयुर्वेद संकाय की अब तक की यात्रा के बारे में चर्चा की. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद विधा के क्षेत्र में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय अग्रणी भूमिका निभाता आ रहा है. वर्तमान में अष्टांग आयुर्वेद की स्थापना करते हुए एक नई शुरुआत की गई है.
कुलपति बीएचयू प्रो. राकेश भटनागर ने ने की चर्चा
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति बीएचयू प्रो. राकेश भटनागर ने कहा कि कोरोना की चुनौती के मद्देनजर समय की मांग है कि शिक्षाविदए क्लिनिशियन और विशेषज्ञ विश्व भर में लोगों से संवाद करें. साथ ही उन्हें इस महामारी के विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरूक करें.
उन्होंने उम्मीद जताई कि दुनिया भर से प्रतिभागी इस वेबिनार में हिस्सा लेंगे. इस दौरान होने वाली चर्चाएं और विमर्श लोगों को आयुर्वेद के लाभों के बारे में जागरूक करने में काफी महत्वपूर्ण साबित हो. साथ ही साथ कोरोना के संदर्भ में आयुर्वेद के माध्यम से लाभांवित होने के बारे में उनका मार्गदर्शन करेगा.
देश भर से 3600 सुझाव आए हैं
राजेश कोटेचा सचिव आयुष भारत सरकार ने बीएचयू की सराहना की और कहा कि प्रधानमंत्री की तरफ से मार्च में विडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के माघ्यम से आयुष चिकित्सकों के साथ विचार विमर्श किया गया. इसके बाद कोरोना से बचाव के लिए एडवाइजरी जारी की गई. साथ ही मन की बात में भी उन्होंने आयुष विधा की जमकर सराहना की. इसके निमित 3600 सुझाव देश भर से आए हैं. इस संदर्भ में एक टास्क फोर्स का भी गठन किया गया है.
इंग्लैण्ड के रार्बट जोहन्सन ने जानकारी देते हुए बताया
इस महामारी में आयुष मंत्रालय की तरफ से दी गई सलाह, मेडिटेसन, डाईट, व्यायाम और आयुर्वेदिक तैयारी अत्यंत लाभकारी हो सकता है. इन सब औषधियों को आधुनिक चिकित्सा पद्धति के साथ दिया जाना चाहिए.