वाराणसी: जिले के प्रसिद्ध तुलसी घाट पर महाराजा बनारस विद्या न्यास मंदिर और ध्रुपद समिति के तत्वाधान में 46वां अंतरराष्ट्रीय ध्रुपद मेले का शुभारंभ हुआ. कार्यक्रम का शुभारंभ महाराजा बनारस अनंत नारायण सिंह, महंत प्रो. विशंभर नाथ मिश्र, पद्मश्री राजेश्वर आचार्य ने दीप प्रज्वलित कर किया. अंतरराष्ट्रीय ध्रुपद मेला 1975 से लेकर अब तक निरंतर चला आ रहा है. यह आयोजन 18 फरवरी से प्रारंभ होकर 21 फरवरी तक चलता है.
शुरू हुआ अंतरराष्ट्रीय ध्रुपद मेला
अंतरराष्ट्रीय ध्रुपद मेले में पहली प्रस्तुति लखनऊ के आगत पखावज वादक राज खुशीराम ने दी. चौताल की प्रस्तुति कर उन्होंने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया. इसके बाद उन्होंने अपने 4 गुरुओं को स्मरण करते हुए गुरु परन 'जय गुरुवर जय' प्रस्तुत किया. दूसरी प्रस्तुति में उन्होंने गंगाधर और द्वादश ज्योतिर्लिंग परन के साथ समापन किया.
प्रोफेसर मिश्र ने अंतरराष्ट्रीय ध्रुपद मेले का उद्देश्य बताते हुए मंच से कहा कि एक समय ऐसा भी था, जब ध्रुपद के लिए कलाकार नहीं मिलते थे, मगर आज कलाकारों की बाढ़ सी आ गई है. उन्होंने कहा कि महाराजा बनारस ने इसे संरक्षण दिया है और आज चौथी पीढ़ी इसे चला रही है. करीब 60 देशों के स्रोता इसे सुनने पहुंचते हैं, यही इसकी व्यापकता है. उन्होंने बताया कि पिछले 5 सालों में ध्रुपद में काफी परिवर्तन हुआ है.
अंतरराष्ट्रीय ध्रुपद मेला महाराजा बनारस में स्व. विभूति नारायण सिंह और महंत स्वर्गीय वीरभद्र मिश्र ने 1975 में प्रारंभ किया था. यह कार्यक्रम शास्त्रीय संगीत से पूर्व जो दैवीय संगीत की विधा है, ध्रुपद उसके संरक्षण के लिए शुरू किया गया है. यह 46वां अंतरराष्ट्रीय ध्रुपद मेला है. इस बार इस कार्यक्रम में 50 से ज्यादा कलाकार सभा गीत करेंगे. यह रातभर चलने वाला कार्यक्रम है. 21 फरवरी तक यह कार्यक्रम चलेगा.
- सौरव चक्रवर्ती, सदस्य, अंतरराष्ट्रीय ध्रुपद मेला