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वेद ज्ञान का भंडार हैं, इसे सही तरीके से उपयोग करना चाहिए: प्रोफेसर सुभाष काका

वाराणसी के आईआईटी बीएचयू में वैदिक और आधुनिक विज्ञान के बीच दो दिवसीय संवाद कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ. इसमें बोलते हुए पद्मश्री विजेता वैज्ञानिक प्रोफेसर सुभाष काका ने कहा कि वेद ज्ञान का भंडार है. इसे सही तरीके से उपयोग करना चाहिए. वेद एवं आधुनिक विज्ञान के बीच संवाद समय की मांग है.

पद्मश्री विजेता वैज्ञानिक प्रोफेसर सुभाष काका.
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Published : Sep 22, 2019, 10:20 AM IST

वाराणसी: आईआईटी बीएचयू के गोपाल त्रिपाठी सभागार में वैदिक और आधुनिक विज्ञान के बीच संवाद कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ. इस दो दिवसीय संवाद कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य वैदिक विज्ञान और आधुनिक विज्ञान के बीच संवाद स्थापित करना है, ताकि दोनों के बीच सामंजस्य से सामाजिक उपयोगिता सिद्ध हो सके.

जानकारी देते पद्म श्री विजेता वैज्ञानिक.

देश भर से जुटे वैज्ञानिक

संवाद कार्यक्रम में देश के कोने-कोने से विद्वान और वैज्ञानिक जुटे. उन्होंने आधुनिक विज्ञान और वैदिक विज्ञान पर अपनी-अपनी बातें कही. कार्यक्रम का मात्र एक उद्देश्य था कि आधुनिक विज्ञान को वैदिक विज्ञान से जोड़ा जाए. भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय का भी यही मानना था कि आधुनिक विज्ञान का आधार वैदिक विज्ञान है.

कार्यक्रम में वैदिक विज्ञान क्षेत्र से विद्वानों ने अपनी बात रखी तो वहीं आधुनिक वैज्ञानिकों ने भी अपनी बात को सिद्ध किया। इन दोनों विज्ञानों में आपसी समन्वय बनाने का प्रयास किया. विज्ञान भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव जयंत सहस्त्र बुद्धदेव ने मंच से कहा कि स्वामी विवेकानंद ने 19 सितंबर 1893 में बताया था कि आधुनिक विज्ञान के मूल सिद्धांत वैदिक विज्ञान के ही हैं.

ये भी पढ़ें: ...न माइक, न लाइट और दूर-दूर तक गूंजते ये राम के संवाद

पद्मश्री विजेता वैज्ञानिक और प्रधानमंत्री के विज्ञान एवं नवाचार सलाहकार परिषद के सदस्य प्रोफेसर सुभाष काका ने बताया कि यह सेमिनार बहुत ही महत्वपूर्ण इसलिए है, क्योंकि जो आधुनिक साइंस है, इसमें इस समय काफी त्रुटियां हैं. आधुनिक साइंस आत्मा को कोई स्थान नहीं देती. साथ ही उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक संगोष्ठी होगी.

ये भी पढ़ें: वाराणसी: विश्व प्रसिद्ध रामलीला में बांटा गया गोस्वामी तुलसीदास अखाड़े का राम चरित्र मानस

मुझे लगता है कि आधुनिक विज्ञान और वैदिक विज्ञान को जोड़ने से साइंस भारत में और अन्य देशों में आगे बढ़ पाएगा. सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि जो बच्चे हैं. वह समझते हैं कि जीवन का क्या उद्देश्य है. मतलब क्या है तो वह इससे प्रेरित होंगे
-प्रोफेसर सुभाष काका, भारतीय अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक

वाराणसी: आईआईटी बीएचयू के गोपाल त्रिपाठी सभागार में वैदिक और आधुनिक विज्ञान के बीच संवाद कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ. इस दो दिवसीय संवाद कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य वैदिक विज्ञान और आधुनिक विज्ञान के बीच संवाद स्थापित करना है, ताकि दोनों के बीच सामंजस्य से सामाजिक उपयोगिता सिद्ध हो सके.

जानकारी देते पद्म श्री विजेता वैज्ञानिक.

देश भर से जुटे वैज्ञानिक

संवाद कार्यक्रम में देश के कोने-कोने से विद्वान और वैज्ञानिक जुटे. उन्होंने आधुनिक विज्ञान और वैदिक विज्ञान पर अपनी-अपनी बातें कही. कार्यक्रम का मात्र एक उद्देश्य था कि आधुनिक विज्ञान को वैदिक विज्ञान से जोड़ा जाए. भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय का भी यही मानना था कि आधुनिक विज्ञान का आधार वैदिक विज्ञान है.

कार्यक्रम में वैदिक विज्ञान क्षेत्र से विद्वानों ने अपनी बात रखी तो वहीं आधुनिक वैज्ञानिकों ने भी अपनी बात को सिद्ध किया। इन दोनों विज्ञानों में आपसी समन्वय बनाने का प्रयास किया. विज्ञान भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव जयंत सहस्त्र बुद्धदेव ने मंच से कहा कि स्वामी विवेकानंद ने 19 सितंबर 1893 में बताया था कि आधुनिक विज्ञान के मूल सिद्धांत वैदिक विज्ञान के ही हैं.

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पद्मश्री विजेता वैज्ञानिक और प्रधानमंत्री के विज्ञान एवं नवाचार सलाहकार परिषद के सदस्य प्रोफेसर सुभाष काका ने बताया कि यह सेमिनार बहुत ही महत्वपूर्ण इसलिए है, क्योंकि जो आधुनिक साइंस है, इसमें इस समय काफी त्रुटियां हैं. आधुनिक साइंस आत्मा को कोई स्थान नहीं देती. साथ ही उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक संगोष्ठी होगी.

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मुझे लगता है कि आधुनिक विज्ञान और वैदिक विज्ञान को जोड़ने से साइंस भारत में और अन्य देशों में आगे बढ़ पाएगा. सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि जो बच्चे हैं. वह समझते हैं कि जीवन का क्या उद्देश्य है. मतलब क्या है तो वह इससे प्रेरित होंगे
-प्रोफेसर सुभाष काका, भारतीय अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक

Intro:वाराणसी के आईआईटी बीएचयू गोपाल त्रिपाठी सभागार में वैदिक और आधुनिक विज्ञान के बीच संवाद कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। विज्ञान भारतीय वैदिक विज्ञान केंद्र के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय संवाद कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य वैदिक विज्ञान और आधुनिक विज्ञान के बीच संवाद स्थापित करना है ताकि दोनों के बीच सामंजस्य से सामाजिक उपयोगिता सिद्ध हो सके।


Body:संवाद कार्यक्रम में देश के कोने कोने से विद्वान जुटे वैज्ञानिक जुटे और उन्होंने आधुनिक विज्ञान और वैदिक विज्ञान पर अपनी अपनी बातें कहीं। कार्यक्रम का मात्र एक उद्देश्य था कि आधुनिक विज्ञान को वैदिक विज्ञान से जुड़ा जाए भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय का भी यही मानना था कि आधुनिक विज्ञान का आधार वैदिक विज्ञान है. कार्यक्रम में वैदिक विज्ञान क्षेत्र से विद्वानों ने अपनी बात रखी तो वही आधुनिक वैज्ञानिकों ने भी अपनी बात को सिद्ध किया। इन दोनों विज्ञानों में आपसी समन्वय बनाने का प्रयास किया।

देश के ख्याति प्राप्त विद्वानों ने इस प्रकार अपने बाती रखें

विज्ञान भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव जयंत सहस्त्र बुद्धदेव ने मंच से कहा स्वामी विवेकानंद 19 सितंबर 1893 में बताया कि आधुनिक विज्ञान के मूल सिद्धांत वैदिक विज्ञान के ही हैं।


Conclusion:वैज्ञानिक पद्मश्री सुभाष काका यह सेमिनार बहुत ही महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि जो आधुनिक साइंस है इसमें इस समय काफी त्रुटियां हैं। ऐसा लगता है वह इसलिए आए हैं कि आधुनिक साइंस आत्मा को स्थान नहीं देती और जो आता है वह हमारी वैदिक विज्ञान में है। मुझे लगता है कि इन दोनों जोड़ने से साइंस साइंस भारत में भारत में अन्य देशों में आगे बढ़ पाएगा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है। जो बच्चे हैं वह समझते हैं कि जीवन का क्या उद्देश्य है मतलब क्या है इससे प्रेरित होंगे। वेद ज्ञान का भंडार है इसे सही तरीके से उपयोग करना चाहिए वेद एवं आधुनिक विज्ञान के बीच संवाद समय की मांग है यह ऐतिहासिक संगोष्ठी होगी।

बाईट :-- वैज्ञानिक पद्मश्री प्रोफेसर सुभाष काका, भारतीय अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक, प्रधानमंत्री के विज्ञान एवं नवाचार सलाहकार परिषद के सदस्य।

अशुतोष उपध्याय

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