वाराणसी: दांत हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है, लेकिन इनकी देखरेख न कर पाने की वजह से आगे कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हालांकि आज के दौर में कई डेंटिस्ट दांतों के इंप्लांटेशन की सलाह भी देते हैं.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दंत चिकित्सा विज्ञान के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर टीपी चतुर्वेदी नेचुरल दांतों को ही सबसे अच्छा मानते हैं. उनका साफ तौर पर कहना है कि आज के दौर में डेंटिस्ट इंप्लांट को तो काफी तवज्जो देते हैं, नेचुरल दांतों को बचाना ही सबसे बेहतर विकल्प है. उन्होंने प्राकृतिक दांतों को लेकर इन पांच बड़ी वजहों के बारे में भी बताया...
1- प्राकृतिक दांत आपके शरीर की हड्डियों से सीधे जुड़ा होता है और हर हड्डी में कुछ इलास्टिक होती हैं, उसका कुछ रिसेप्शन होता है जिसको डेंटिस्ट ब्रेन से इंटरप्रेट करते हैं. इस वजह से दांत की फंक्शन अच्छी होती है. जबकि इसे प्लांट करने में यह चीजें नहीं हो सकती हैं और दांत में दिक्कत होने पर यह ब्रेन तक संदेश नहीं पहुंचा सकता.
2- प्राकृतिक दांतो की हड्डी बहुत अच्छी होती है और यह जबड़े की पूरी फंक्शनिंग में काफी मददगार होती है. इस वजह से दांत मेंटेन रहते हैं और मुंह भी स्वस्थ रहता है जबकि इसे प्लांट करने में सबसे बड़ी परेशानी होती है कि इसमें मेटल का प्रयोग किया जाता है जो किसी को सूट करता है और किसी को सूट नहीं करता है. इसके लिए प्रॉपर सेटिंग होनी भी जरूरी है, जरा सी गड़बड़ी आपको परेशान कर सकती हैं.
3- प्राकृतिक दांतों में प्रॉब्लम होने पर अगर रूट कनाल की मदद से इसको ठीक किया जाए तो आगे आने वाले वक्त में परेशानी का कम सामना करना पड़ सकता है. सबसे बड़ी बात यह हैकि रूट कैनाल करने पर विकल्प के तौर पर बाद में इसे प्लांट किया जा सकता है, लेकिन अगर छोटी सी दिक्कत में सीधे इसे प्लांट किया जाए तो फिर कोई विकल्प नहीं बचता और आपके दांत खराब हो जाएंगे.
4- प्राकृतिक दांत में रूट कनाल होने की कंडीशन में दांतो का मूवमेंट प्रॉपर रहता है और रूट कनाल होने की कंडीशन में खराब दांत को कोशिश करके बचाया जा सकता है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आप के दांतो की जिंदगी इस प्रयास से बच सकती है. जबकि रूट कनाल के अलावा इम्प्लांटेशन करने पर आपके ओरिजिनल दांत को हटाना पड़ता है और मेटल लगाकर नकली दांत लगाने पड़ते हैं जो कम ही सक्सेस हो पाते हैं.
5- नेचुरल दांतो की अगर बात की जाए तो इसमें तीन से चार अलग-अलग रूट होते हैं, जो सीधे ब्रेन से जुड़े होते हैं. दांतो में कड़ी से कड़ी चीजें खाने पर यदि कोई समस्या होती है तो वह सीधे ब्रेन को मैसेज भेजते हैं. इस वजह से इसको तत्काल रोका जा सकता है, ताकि दांत से होते हुए यह समस्या आगे न बढ़ सके.
वहीं शहर के दंत विशेषज्ञ डॉक्टर अमर अनुपम का कहना है कि सच तो यह है कि नेचुरल दांतो का कोई विकल्प है ही नहीं. आज के दौर में बहुत से डॉक्टर ऐसे हैं जो सीधे दांत में दिक्कत होने पर इंप्लांटेशन की बात कहते हैं लेकिन इसका विकल्प रूट कैनाल है. अगर रूट कैनाल की मदद से दांतो को पहले बचाने की कोशिश की जाए तो निश्चित तौर पर रिजल्ट बेहतर हो सकते हैं.