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प्राकृतिक दांतों का नहीं है कोई जोड़, इम्प्लांटेशन से बेहतर है रूट कनाल - वाराणसी न्यूज

दांतों के इंप्लांटेशन को लेकर वाराणसी के दंत चिकित्सकों का कहना है कि प्राकृतिक दांतों को बचाना ही सबसे बेहतर उपाय है.

देखें रिपोर्ट.
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Published : Feb 6, 2019, 11:55 PM IST

वाराणसी: दांत हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है, लेकिन इनकी देखरेख न कर पाने की वजह से आगे कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हालांकि आज के दौर में कई डेंटिस्ट दांतों के इंप्लांटेशन की सलाह भी देते हैं.


काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दंत चिकित्सा विज्ञान के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर टीपी चतुर्वेदी नेचुरल दांतों को ही सबसे अच्छा मानते हैं. उनका साफ तौर पर कहना है कि आज के दौर में डेंटिस्ट इंप्लांट को तो काफी तवज्जो देते हैं, नेचुरल दांतों को बचाना ही सबसे बेहतर विकल्प है. उन्होंने प्राकृतिक दांतों को लेकर इन पांच बड़ी वजहों के बारे में भी बताया...

देखें वीडियो.
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1- प्राकृतिक दांत आपके शरीर की हड्डियों से सीधे जुड़ा होता है और हर हड्डी में कुछ इलास्टिक होती हैं, उसका कुछ रिसेप्शन होता है जिसको डेंटिस्ट ब्रेन से इंटरप्रेट करते हैं. इस वजह से दांत की फंक्शन अच्छी होती है. जबकि इसे प्लांट करने में यह चीजें नहीं हो सकती हैं और दांत में दिक्कत होने पर यह ब्रेन तक संदेश नहीं पहुंचा सकता.


2- प्राकृतिक दांतो की हड्डी बहुत अच्छी होती है और यह जबड़े की पूरी फंक्शनिंग में काफी मददगार होती है. इस वजह से दांत मेंटेन रहते हैं और मुंह भी स्वस्थ रहता है जबकि इसे प्लांट करने में सबसे बड़ी परेशानी होती है कि इसमें मेटल का प्रयोग किया जाता है जो किसी को सूट करता है और किसी को सूट नहीं करता है. इसके लिए प्रॉपर सेटिंग होनी भी जरूरी है, जरा सी गड़बड़ी आपको परेशान कर सकती हैं.


3- प्राकृतिक दांतों में प्रॉब्लम होने पर अगर रूट कनाल की मदद से इसको ठीक किया जाए तो आगे आने वाले वक्त में परेशानी का कम सामना करना पड़ सकता है. सबसे बड़ी बात यह हैकि रूट कैनाल करने पर विकल्प के तौर पर बाद में इसे प्लांट किया जा सकता है, लेकिन अगर छोटी सी दिक्कत में सीधे इसे प्लांट किया जाए तो फिर कोई विकल्प नहीं बचता और आपके दांत खराब हो जाएंगे.

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4- प्राकृतिक दांत में रूट कनाल होने की कंडीशन में दांतो का मूवमेंट प्रॉपर रहता है और रूट कनाल होने की कंडीशन में खराब दांत को कोशिश करके बचाया जा सकता है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आप के दांतो की जिंदगी इस प्रयास से बच सकती है. जबकि रूट कनाल के अलावा इम्प्लांटेशन करने पर आपके ओरिजिनल दांत को हटाना पड़ता है और मेटल लगाकर नकली दांत लगाने पड़ते हैं जो कम ही सक्सेस हो पाते हैं.


5- नेचुरल दांतो की अगर बात की जाए तो इसमें तीन से चार अलग-अलग रूट होते हैं, जो सीधे ब्रेन से जुड़े होते हैं. दांतो में कड़ी से कड़ी चीजें खाने पर यदि कोई समस्या होती है तो वह सीधे ब्रेन को मैसेज भेजते हैं. इस वजह से इसको तत्काल रोका जा सकता है, ताकि दांत से होते हुए यह समस्या आगे न बढ़ सके.

वहीं शहर के दंत विशेषज्ञ डॉक्टर अमर अनुपम का कहना है कि सच तो यह है कि नेचुरल दांतो का कोई विकल्प है ही नहीं. आज के दौर में बहुत से डॉक्टर ऐसे हैं जो सीधे दांत में दिक्कत होने पर इंप्लांटेशन की बात कहते हैं लेकिन इसका विकल्प रूट कैनाल है. अगर रूट कैनाल की मदद से दांतो को पहले बचाने की कोशिश की जाए तो निश्चित तौर पर रिजल्ट बेहतर हो सकते हैं.

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वाराणसी: दांत हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है, लेकिन इनकी देखरेख न कर पाने की वजह से आगे कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हालांकि आज के दौर में कई डेंटिस्ट दांतों के इंप्लांटेशन की सलाह भी देते हैं.


काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दंत चिकित्सा विज्ञान के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर टीपी चतुर्वेदी नेचुरल दांतों को ही सबसे अच्छा मानते हैं. उनका साफ तौर पर कहना है कि आज के दौर में डेंटिस्ट इंप्लांट को तो काफी तवज्जो देते हैं, नेचुरल दांतों को बचाना ही सबसे बेहतर विकल्प है. उन्होंने प्राकृतिक दांतों को लेकर इन पांच बड़ी वजहों के बारे में भी बताया...

देखें वीडियो.
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1- प्राकृतिक दांत आपके शरीर की हड्डियों से सीधे जुड़ा होता है और हर हड्डी में कुछ इलास्टिक होती हैं, उसका कुछ रिसेप्शन होता है जिसको डेंटिस्ट ब्रेन से इंटरप्रेट करते हैं. इस वजह से दांत की फंक्शन अच्छी होती है. जबकि इसे प्लांट करने में यह चीजें नहीं हो सकती हैं और दांत में दिक्कत होने पर यह ब्रेन तक संदेश नहीं पहुंचा सकता.


2- प्राकृतिक दांतो की हड्डी बहुत अच्छी होती है और यह जबड़े की पूरी फंक्शनिंग में काफी मददगार होती है. इस वजह से दांत मेंटेन रहते हैं और मुंह भी स्वस्थ रहता है जबकि इसे प्लांट करने में सबसे बड़ी परेशानी होती है कि इसमें मेटल का प्रयोग किया जाता है जो किसी को सूट करता है और किसी को सूट नहीं करता है. इसके लिए प्रॉपर सेटिंग होनी भी जरूरी है, जरा सी गड़बड़ी आपको परेशान कर सकती हैं.


3- प्राकृतिक दांतों में प्रॉब्लम होने पर अगर रूट कनाल की मदद से इसको ठीक किया जाए तो आगे आने वाले वक्त में परेशानी का कम सामना करना पड़ सकता है. सबसे बड़ी बात यह हैकि रूट कैनाल करने पर विकल्प के तौर पर बाद में इसे प्लांट किया जा सकता है, लेकिन अगर छोटी सी दिक्कत में सीधे इसे प्लांट किया जाए तो फिर कोई विकल्प नहीं बचता और आपके दांत खराब हो जाएंगे.

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4- प्राकृतिक दांत में रूट कनाल होने की कंडीशन में दांतो का मूवमेंट प्रॉपर रहता है और रूट कनाल होने की कंडीशन में खराब दांत को कोशिश करके बचाया जा सकता है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आप के दांतो की जिंदगी इस प्रयास से बच सकती है. जबकि रूट कनाल के अलावा इम्प्लांटेशन करने पर आपके ओरिजिनल दांत को हटाना पड़ता है और मेटल लगाकर नकली दांत लगाने पड़ते हैं जो कम ही सक्सेस हो पाते हैं.


5- नेचुरल दांतो की अगर बात की जाए तो इसमें तीन से चार अलग-अलग रूट होते हैं, जो सीधे ब्रेन से जुड़े होते हैं. दांतो में कड़ी से कड़ी चीजें खाने पर यदि कोई समस्या होती है तो वह सीधे ब्रेन को मैसेज भेजते हैं. इस वजह से इसको तत्काल रोका जा सकता है, ताकि दांत से होते हुए यह समस्या आगे न बढ़ सके.

वहीं शहर के दंत विशेषज्ञ डॉक्टर अमर अनुपम का कहना है कि सच तो यह है कि नेचुरल दांतो का कोई विकल्प है ही नहीं. आज के दौर में बहुत से डॉक्टर ऐसे हैं जो सीधे दांत में दिक्कत होने पर इंप्लांटेशन की बात कहते हैं लेकिन इसका विकल्प रूट कैनाल है. अगर रूट कैनाल की मदद से दांतो को पहले बचाने की कोशिश की जाए तो निश्चित तौर पर रिजल्ट बेहतर हो सकते हैं.

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Intro:नोट- विशेष स्टोरी श्री आशुतोष सहाय सर के निर्देश पर।

एंकर- वाराणसी: आज के भागदौड़ भरे जीवन में हर कोई बेहतर की चाह करता है इसके लिए इंसान अपने शरीर पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे पाता जिसकी वजह से उसकी सेहत दिन पर दिन बिगड़ती जाती है इसके साथ ही उसको तरह तरह की दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है और इसी भाग दौड़ का नतीजा होता है कि उसका स्वास्थ्य प्रभावित होता है, इन सब का असर आप की दिनचर्या की वजह से जीवन पर पड़ता है और शरीर के अलग-अलग अंग प्रभावित होते हैं. इन सब के बीच अगर हम सबसे ज्यादा किसी चीज को एवाइड करते हैं तो वह है हमारे दांत, जो होते हैं शरीर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा लेकिन इनकी प्रॉपर देखरेख ना करने की वजह से परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है. हालांकि आज के दौर में तेजी से गली गली में बैठने वाले डेंटिस्ट दांतो के खराब होने पर इंप्लांटेशन की सलाह देते हैं लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या आज के दौर में छोटी-छोटी परेशानियों में नेचुरल दांतो को हटाकर इन प्लांट करना उचित है. इन्हीं सवालों का जवाब तलाशने की कोशिश हमने की और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दंत चिकित्सा विज्ञान के साथ ही शहर के नामी दंत विशेषज्ञ से इस बारे में चर्चा की. उन्होंने जो बातें बताएं आप भी जानिए और वह पांच बातें जो यह साफ करती हैं कि नेचुरल दांत सबसे बेहतर है ना कि इंप्लांट्स.


Body:वीओ-01 काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दंत चिकित्सा विज्ञान के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर टीपी चतुर्वेदी नेचुरल दांतो को ही सबसे बेस्ट मानते हैं उनका साफ तौर पर कहना है कि आज के दौर में डेंटिस्ट इन प्लांट को तो काफी तवज्जो देते हैं लेकिन सच तो यह है दिक्कत या परेशानी के दौर में रूट कैनाल करते हुए नेचुरल दांतो को बचाना ही सबसे बेहतर ऑप्शन है क्योंकि नेचुरल दाग का कोई भी ऑप्शन नहीं है इसकी बड़ी वजह इन 5 कारणों में स्पष्ट हो रही है जो इस प्रकार है.

1- नेचुरल डेथ आपके शरीर की हड्डियों से सीधे जुड़ा होता है और हर हड्डी में कुछ इलास्टिक होती हैं उसका कुछ रिसेप्शन होता है जिस को डेंटिस्ट ब्रेन से इंटरप्रेट करते हैं. जिसकी वजह से दांत की फंक्शन अच्छी होती है जबकि इन प्लांट करने में यह चीजें नहीं हो सकती हैं और दांत में दिक्कत होने पर यह ब्रेन तक संदेश नहीं पहुंचा सकता.

2- नेचुरल दांतो की हड्डी बहुत अच्छी होती है और यह जबड़े की पूरी फंक्शनिंग में काफी मददगार होती है जिसकी वजह से दांत मेंटेन रहते हैं और मुंह भी स्वस्थ रहता है जबकि इन प्लांट करने में सबसे बड़ी परेशानी होती है कि इसमें मेटल का प्रयोग किया जाता है जो किसी को सूट करता है और किसी को सूट नहीं करता है जिसके लिए प्रॉपर सेटिंग होनी भी जरूरी है जरा सी गड़बड़ी आपको परेशान कर सकती हैं.

3- नेचुरल दांतों में प्रॉब्लम होने पर अगर रूट कनाल की मदद से इसको ठीक किया जाए तो आगे आने वाले वक्त में परेशानी का कम सामना करना पड़ सकता है सबसे बड़ी बात यह है कि रूट कैनाल करने पर विकल्प के तौर पर बाद में इन प्लांट किया जा सकता है लेकिन अगर छोटी सी दिक्कत में सीधे इन प्लांट किया जाए तो फिर कोई विकल्प नहीं बचता और आपके दांत खराब हो जाएंगे.

4- नेचुरल दांत में रूट कनाल होने की कंडीशन में दांतो का मूवमेंट प्रॉपर रहता है और रूट कनाल होने की कंडीशन में खराब दांत को कोशिश करके बचाया जा सकता है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आप के दांतो की जिंदगी इस प्रयास से बच सकती है जबकि रूट कनाल के अलावा इम्प्लांट करने पर आपके ओरिजिनल दांत को हटाना पड़ता है और मेटल लगाकर नकली दांत लगाने पड़ते हैं जो सक्सेस कम ही हो पाते हैं.

5- नेचुरल दांतो की अगर बात की जाए तो इसमें तीन से चार अलग-अलग रूट होते हैं जो सीधे ब्रेन से जुड़े होते हैं दांतों में कड़ी से कड़ी चीजें खाने पर यदि कोई समस्या होती है तो वह सीधे ब्रेन को मैसेज भेजते हैं जिसकी वजह से तत्काल इन को रोका जा सकता है ताकि दांत से होते हुए यह समस्या आगे ना बढ़ सके लेकिन इन प्लांट की कंडीशन में इसका ब्रेन से कोई कनेक्शन नहीं होता और यह आपको किसी तरह का संदेश देने में असफल होते हैं.

बाईट- टीपी चतुर्वेदी, एक्स डीन दंत चिकित्सा विज्ञान, काशी हिंदू विश्वविद्यालय


Conclusion:वीओ-02 वहीं शहर के नामी दंत विशेषज्ञ डॉक्टर अमर अनुपम का कहना है कि सच तो यह है कि नेचुरल दांतो का कोई विकल्प है ही नहीं. आज के दौर में बहुत से डॉक्टर ऐसे हैं जो सीधे दांत में दिक्कत होने पर इंप्लांटेशन की बात कहते हैं लेकिन इसका विकल्प रूट कैनाल है. अगर रूट कैनाल की मदद से दांतो को पहले बचाने की कोशिश की जाए तो निश्चित तौर पर रिजल्ट बेहतर हो सकते हैं. इसकी बड़ी वजह यह है कि नेचुरल दांत आपका जीवन है. इसके अंदर एनामेल डेंटल पर्ल और कई अन्य तरह की चीजें होती हैं जो आपको कुछ भी खाने-पीने के दौरान इसका एहसास कराती हैं और ओरिजिनल दांतो के होने की वजह से इस के अगल-बगल की मसल्स भी मूवमेंट करती हैं जो हर दांत से जुड़ी होती हैं. इसलिए हर डॉक्टर को पहले दांत में समस्या होने पर रूट कनाल का ही सहारा लेना चाहिए. इम्प्लांट दूसरी बार होना चाहिए क्योंकि हर दांत में तीन से चार रूट होते हैं जबकि इम्प्लांट में टाइटेनियम स्क्रु को बोन में प्लेस किया जाता है और इसी के सपोर्ट से ग्राउड लगाया जाता है लेकिन दांत अगर नेचुरल है तो यह आपके अलग अलग शरीर के अंगों से हड्डियों से और ब्रेन से कनेक्ट हो जाते हैं जिसका कोई भी विकल्प नहीं हो सकता.

बाईट- डॉ अमर अनुपम, डेंटिस्ट इंडियन डेंटल एसोसियेशन वाराणसी ब्रांच संयुक्त सचिव

गोपाल मिश्र

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