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वाराणसीः दीपावली निशा पूजन के बाद मां काली की प्रतिमाओं का हुआ विसर्जन - मां काली की प्रतिमा को स्थापित

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में दीवाली के दिन बंगाली रिति रिवाज से मां काली की प्रतिमा को स्थापित किया गया था. मंगलवार को भक्तों ने पदयात्रा कर मां काली की प्रतिमा को विसर्जित किया.

मां काली के प्रतिमाओं का विसर्जन.
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Published : Oct 29, 2019, 11:05 PM IST

वाराणसीः उत्तर भारत में दीपावली के दिन लक्ष्मी गणेश की पूजा का विधान है. वहीं दूसरी तरफ पूर्वी भारत में मां काली के पूजा का विधान है, लेकिन शिव की नगरी काशी में सारे रंग एक साथ देखने को मिलते हैं. दरअसल दीपावली के दिन जिले में बंगीय समाज के लोगों ने मां काली की प्रतिमा को स्थापित किया था. मंगलवार को तीन दिवसीय काली पूजा का समापन कर मां काली की प्रतिमा को विसर्जित किया गया.

तीन दिवसीय काली पूजा का समापन
मिनी बंगाल कहे जाने वाली काशी नगरी में दीपावली के दिन स्थापित की गई मां काली की प्रतिमा को मंगलवार को विसर्जित किया गया. दरअसल बंगाली रिती रिवाज से दीपावली के दिन मां काली की प्रतिमा को स्थापित किया गया था. मान्यता है कि इस पूजा में शामिल होने से राहु और केतु ग्रह के दोषों से मुक्ति मिलती हैं.

मां काली के प्रतिमाओं का विसर्जन.

अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए गए
मंगलवार देर शाम ढोल की थाप के बीच भक्तों ने पदयात्रा कर मां काली की प्रतिमा को सरोवर तक ले गए, फिर पूजा और आरती के बाद मां की विदाई की गई. अलग-अलग पूजा पंडालों में तीन दिनों तक अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए गए. कहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम की बहार रही. कहीं भंडारे के साथ गरीबों को कंबल बांटा गया. जिले के भेलूपुर स्थित प्राचीन शंकुधारा कुंड में देर शाम से ही मां काली के प्रतिमाओं का विसर्जन का क्रम जारी रहा.

इसे भी पढ़ें- समाज में उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रपति ने दिया CSR अवॉर्ड

तीन दिवसीय मां काली की पूजन के बाद लोगों ने पूरे विधि विधान से मां की विदाई की. साथ ही लोगों ने विभिन्न स्थानों से होते हुए शोभायात्रा निकाली. इसके बाद पवित्र कुंड में मां की प्रतिमा को विसर्जित किया गया.
-अहिन्दर नारायण भट्टाचार्य, श्रद्धालु

वाराणसीः उत्तर भारत में दीपावली के दिन लक्ष्मी गणेश की पूजा का विधान है. वहीं दूसरी तरफ पूर्वी भारत में मां काली के पूजा का विधान है, लेकिन शिव की नगरी काशी में सारे रंग एक साथ देखने को मिलते हैं. दरअसल दीपावली के दिन जिले में बंगीय समाज के लोगों ने मां काली की प्रतिमा को स्थापित किया था. मंगलवार को तीन दिवसीय काली पूजा का समापन कर मां काली की प्रतिमा को विसर्जित किया गया.

तीन दिवसीय काली पूजा का समापन
मिनी बंगाल कहे जाने वाली काशी नगरी में दीपावली के दिन स्थापित की गई मां काली की प्रतिमा को मंगलवार को विसर्जित किया गया. दरअसल बंगाली रिती रिवाज से दीपावली के दिन मां काली की प्रतिमा को स्थापित किया गया था. मान्यता है कि इस पूजा में शामिल होने से राहु और केतु ग्रह के दोषों से मुक्ति मिलती हैं.

मां काली के प्रतिमाओं का विसर्जन.

अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए गए
मंगलवार देर शाम ढोल की थाप के बीच भक्तों ने पदयात्रा कर मां काली की प्रतिमा को सरोवर तक ले गए, फिर पूजा और आरती के बाद मां की विदाई की गई. अलग-अलग पूजा पंडालों में तीन दिनों तक अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए गए. कहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम की बहार रही. कहीं भंडारे के साथ गरीबों को कंबल बांटा गया. जिले के भेलूपुर स्थित प्राचीन शंकुधारा कुंड में देर शाम से ही मां काली के प्रतिमाओं का विसर्जन का क्रम जारी रहा.

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तीन दिवसीय मां काली की पूजन के बाद लोगों ने पूरे विधि विधान से मां की विदाई की. साथ ही लोगों ने विभिन्न स्थानों से होते हुए शोभायात्रा निकाली. इसके बाद पवित्र कुंड में मां की प्रतिमा को विसर्जित किया गया.
-अहिन्दर नारायण भट्टाचार्य, श्रद्धालु

Intro:धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में आयोजित तीन दिवसीय काली पूजा का समापन हो गया। बंगीय समाज द्वारा शहर के अलग-अलग जगह पर दीपावली पर स्थापित मां काली की प्रतिमा का आज विसर्जन हुआ।




Body:हम आपको बताते चलें कि उत्तर भारत में दीपावली के दिन लक्ष्मी गणेश की पूजा का विधान है तो उसी तरह पूर्वी भारत में मां काली के पूजा का विधान है लेकिन शिव की नगरी काशी में सारे रंग एक साथ ही दिखाई देते हैं ।बनारस को मिनी बंगाल कहा जाता है इसलिए यहां पर बंगाली रिती रिवाज से दीपावली के दिन मां काली की प्रतिमा का विधि विधान से तांत्रिक विधि द्वारा पूजन पाठ किया जाता है। बंगीय समाज द्वारा यह पूजा किया जाता है मान्यता यह भी पूजा में शामिल होने से राहु और केतु ग्रह के दोषों से मुक्ति मिलती हैं।


देर शाम ढोल की थाप के बीच भक्तों ने पदयात्रा कर मां काली की प्रतिमा को सरोवर तक ले गए फिर पूजा और आरती के बाद मां की विदाई हुई अलग-अलग पूजा पंडालों में 3 दिनों तक अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित हुए कहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम की बयार रही तो कहीं साथ भंडारे और गरीबों को कंबल का वितरण का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिले के भेलूपुर स्थित प्राचीन शंकुधारा कुंड में देर शाम से ही मां काली के प्रतिमाओं का विसर्जन का क्रम जारी रहा।




Conclusion:अहिन्दर नारायण भट्टाचार्य ने बताया कि तीन दिवसीय मां काली की पूजन के बाद आज हम लोगों ने पूरे विधि विधान से मां की विदाई की महिलाओं ने सिंदूर खेला उसके साथी हम लोगों ने विभिन्न स्थानों से होते हुए शोभायात्रा के रूप में इस पवित्र कुंड में मां की प्रतिमा को विसर्जित किया।

बाईट :-- अहिन्दर नारायण भट्टाचार्य , श्रद्धालु
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