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लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डे पर अपग्रेड नहीं हो सका आईएलएस

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Published : Dec 7, 2020, 6:09 PM IST

यूपी के वाराणसी में लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा आईएलएस सिस्टम अपग्रेड नहीं होने पर खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसके चलते कई बार विमान हवा में ही घूमते रहते हैं और लैंड नहीं कर पाते हैं.

कोहरे से हवाई सेवा प्रभावित.
कोहरे से हवाई सेवा प्रभावित.

वाराणसीः ठंड के दिनों में कोहरे के चलते हवाई यात्रा अक्सर बाधित होती है. कोहरा अधिक होने के चलते दृष्यता कम हो जाती है, जिससे विमानों को रनवे पर उतारने में समस्या होती है. खास तौर पर उन हवाई अड्डों पर अधिक समस्या होती है जहां आईएलएस (इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम) अपग्रेड नहीं होता है. वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भी आने-जाने वाले विमानों पर इसका साफ असर दिखाई पड़ रहा है. यहां अभी आईएलएस अपग्रेड नहीं हुआ है.

कोहरे से बाधित हो रहीं विमान सेवाएं
अभी भी लालबहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कैट वन प्रणाली का आईएलएस ही इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे कोहरे के दिनों में विमान सेवाएं ​बाधित हो रही हैं. आलम यह है कि हवा में चक्कर लगाने के बाद विमान लखनऊ और कोलकाता एयरपोर्ट पर डायवर्ट कर दिए जा रहे हैं.

आधे घंटे तक हवा में चक्कर लगाता रहा विमान
पिछले दिनों अहमदाबाद से वाराणसी एयरपार्ट पर पहुंचा स्पाईसजेट एयरलाइंस का विमान दृष्यता कम होने पर आधे घंटे तक वाराणसी हवाई क्षेत्र में ही चक्कर लगाता रहा. बाद में ईंधन कम होने पर उसे लखनऊ भेजा गया. इसी तरह मुंबई से वाराणसी पहुंचा विस्तारा एयरलाइंस का विमान करीब एक घंटे तक हवा में चक्कर लगाने क बाद वाराणसी एयरपोर्ट पर उतर सका.

रनवे बढ़े तो बात बने
अधिकारियों का कहना है कि देश के सभी मेट्रो एयरपोर्ट पर कैट थ्री 'ए' व कैट थ्री 'बी' प्रणाली के आइएलएस लागए जा चुके हैं. 50 मीटर दृष्यता होने पर भी विमानों की लैंडिंग और टेकआफ आसानी से हो जाता है. वाराणसी में रनवे छोटा होने के चलते आईएलएस को अपग्रेड करने में समस्या हो रही है. कम जगह होने के चलते आईएलएस के साथ लगने वाले उपकरणों को स्थापित नहीं किया जा सकता है. यदि भूमि अधिग्रहण का कार्य हो जाता तो रनवे की लंबाई भी बढ़ जाएगी और आईएलएस भी अपग्रेड हो जाता है.

आइएलएस और उसकी क्षमता जानें
कैट वन प्रणाली के आईएलएस जिन एयरपोर्ट पर स्थापित हैं, वहां 800 मीटर से कम दृष्यता होने पर विमानों की लैंडिंग और टेकआफ नहीं हो सकती है. वहीं कैट सेकेंड में 300 मीटर से कम होने पर, कैट थ्री 'ए' में 180 मीटर, कैट थ्री 'बी' में दृष्यता 46 मीटर और कैट थ्री 'सी' प्रणाली में शुन्य दृष्यता पर भी विमानों की लैंडिंग टेकआफ आसानी से हो सकती है.

वाराणसीः ठंड के दिनों में कोहरे के चलते हवाई यात्रा अक्सर बाधित होती है. कोहरा अधिक होने के चलते दृष्यता कम हो जाती है, जिससे विमानों को रनवे पर उतारने में समस्या होती है. खास तौर पर उन हवाई अड्डों पर अधिक समस्या होती है जहां आईएलएस (इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम) अपग्रेड नहीं होता है. वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भी आने-जाने वाले विमानों पर इसका साफ असर दिखाई पड़ रहा है. यहां अभी आईएलएस अपग्रेड नहीं हुआ है.

कोहरे से बाधित हो रहीं विमान सेवाएं
अभी भी लालबहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कैट वन प्रणाली का आईएलएस ही इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे कोहरे के दिनों में विमान सेवाएं ​बाधित हो रही हैं. आलम यह है कि हवा में चक्कर लगाने के बाद विमान लखनऊ और कोलकाता एयरपोर्ट पर डायवर्ट कर दिए जा रहे हैं.

आधे घंटे तक हवा में चक्कर लगाता रहा विमान
पिछले दिनों अहमदाबाद से वाराणसी एयरपार्ट पर पहुंचा स्पाईसजेट एयरलाइंस का विमान दृष्यता कम होने पर आधे घंटे तक वाराणसी हवाई क्षेत्र में ही चक्कर लगाता रहा. बाद में ईंधन कम होने पर उसे लखनऊ भेजा गया. इसी तरह मुंबई से वाराणसी पहुंचा विस्तारा एयरलाइंस का विमान करीब एक घंटे तक हवा में चक्कर लगाने क बाद वाराणसी एयरपोर्ट पर उतर सका.

रनवे बढ़े तो बात बने
अधिकारियों का कहना है कि देश के सभी मेट्रो एयरपोर्ट पर कैट थ्री 'ए' व कैट थ्री 'बी' प्रणाली के आइएलएस लागए जा चुके हैं. 50 मीटर दृष्यता होने पर भी विमानों की लैंडिंग और टेकआफ आसानी से हो जाता है. वाराणसी में रनवे छोटा होने के चलते आईएलएस को अपग्रेड करने में समस्या हो रही है. कम जगह होने के चलते आईएलएस के साथ लगने वाले उपकरणों को स्थापित नहीं किया जा सकता है. यदि भूमि अधिग्रहण का कार्य हो जाता तो रनवे की लंबाई भी बढ़ जाएगी और आईएलएस भी अपग्रेड हो जाता है.

आइएलएस और उसकी क्षमता जानें
कैट वन प्रणाली के आईएलएस जिन एयरपोर्ट पर स्थापित हैं, वहां 800 मीटर से कम दृष्यता होने पर विमानों की लैंडिंग और टेकआफ नहीं हो सकती है. वहीं कैट सेकेंड में 300 मीटर से कम होने पर, कैट थ्री 'ए' में 180 मीटर, कैट थ्री 'बी' में दृष्यता 46 मीटर और कैट थ्री 'सी' प्रणाली में शुन्य दृष्यता पर भी विमानों की लैंडिंग टेकआफ आसानी से हो सकती है.

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