वाराणसी: आईआईटी बीएचयू (IIT BHU) की AVERERA ने एक बार फिर शेल इको-मैराथन 2022(Shell Eco-Marathon 2022) में विश्व स्तर पर तीसरा और एशिया-प्रशांत और मध्य-पूर्व में प्रथम स्थान प्राप्त कर देश का नाम गौरवान्वित किया है. शेल इको-मैराथन एक वैश्विक प्रतियोगिता है जिसमे दुनिया भर के अग्रणी छात्र इंजीनियरिंग प्रतियोगिताओं में भाग लेते है. यह कार्यक्रम 35 वर्षो से भी अधिक समय से हो रहा है और अब इस प्रतियोगिता का ध्यान इलेक्ट्रिक वाहनों के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा समाधान प्रदान करने पर केंद्रित है. इस साल 37 देशों की 157 टीमों ने भाग लिया.
आईआईटी (बीएचयू) वाराणसी के निदेशक प्रो. प्रमोद कुमार जैन ने प्रतियोगिता में सफलता और आईआईटी (बीएचयू) वाराणसी और देश को गौरवान्वित करने के लिए टीम को बधाई दी. उन्होंने कहा कि टीम अवेरा लगातार ख्याति ला रही है और नई ऊंचाइयां हासिल कर रही है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि एवरेरा द्वारा निर्मित EV कार्बन फाइबर से बना है और बेहद हल्का है.
मोटर को छोड़कर, IIT (BHU) वाराणसी के IC इंजन लैब में छात्रों द्वारा EV के सभी प्रमुख उपकरणों को इन-हाउस बनाया गया है. सिमुलेशन परिणामों के अनुसार यह वाहन लगभग 200km/KwH का माइलेज देगा. छात्रों की ये पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इनोवेट इंडिया और मेक इन इंडिया के विजन को बढ़ावा देगी. शेल इको-मैराथन क्षेत्रीय स्तर पर आयोजित प्रतियोगिताओं की एक श्रृंखला है. सीजन के अंत में अंतिम रैंकिंग पूरे वर्ष में हासिल की गई सभी प्रतियोगिताओं के अंकों के संचयन पर आधारित होती है. IIT (BHU) वाराणसी की टीम AVERERA एशिया प्रशांत और मध्य पूर्व क्षेत्र में भाग लेती है. जहां यह पिच द फ्यूचर, सिमुलेट टू इनोवेट ऑफ-ट्रैक अवार्ड और शेल इको-मैराथन क्विज में विजेता चयनित हुई है.
टीम ने ऑटोनॉमस प्रोग्रामिंग कॉम्पिटिशन, फ्यूचर राइडर, और कम्युनिकेशन, डेटा और टेलीमेट्री के लिए वर्चुअल ऑफ-ट्रैक अवार्ड्स और कार्बन फुटप्रिंट रिडक्शन में भी शानदार प्रदर्शन किया. इससे टीम को विश्व स्तर पर तीसरा स्थान हासिल करने में मदद मिली. टीम अवेरा को शैल से US$4750 (लगभग INR 3.8 लाख) की पुरस्कार राशि प्राप्त होगी. अब टीम इंडोनेशिया के लैम्बोक में अक्टूबर में होने वाले शेल इको-मैराथन के ऑन-ट्रैक इवेंट के लिए कमर कस रही है. टीम AVERERA ने अर्बन कॉन्सेप्ट वाहन श्रेणी में शेल इको-मैराथन में भाग लिया. वाहन चालक सुरक्षा से समझौता किए बिना शरीर के वजन को कम करने के लिए कार्बन फाइबर का इस्तेमाल किया गया है. इस गाड़ी अत्यधिक वायु गतिकीय, एर्गोनोमिक और हल्का वजन बनाया गया है ताकि विद्युत दक्षता के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके.
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टीम अवेरा में प्रमुख लोगों में अथर्व जमशांडेकर, जयनील सेठ, नचिकेता, नैतिक सिंह, प्रणव सुरेश, प्रतीक, प्रतीक अग्रवाल, प्रथमेश अधव, राहुल गोयल, सारा गुप्ता, शुभ खंडेलवाल, सिद्धांत दाश, स्वीकर राजेश बंथिया, उत्कर्ष वर्मा, विकास शामिल हैं. गोयत और यश शिम्पी जिन्होंने इस उत्कृष्ट परिणाम को प्राप्त करने में मदद की. प्रोफेसर विकास कुमार दुबे, डीन (आर एंड डी), डॉ अमितेश कुमार (मैकेनिकल इंजीनियरिंग), डॉ संदीप घोष (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग), डॉ. श्याम कमल (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग) सहित आईआईटी (बीएचयू) वाराणसी के समर्पित संकाय सदस्यों की एक टीम, AVERERA को उनके प्रौद्योगिकी विकास में निरंतर मदद कर रहा है.
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