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Varanasi News : विश्व जल दिवस पर बनाई गई मानव श्रृंखला, गंगा को सुरक्षित रखने का लिया गया संकल्प - मानव श्रृंखला

धर्म नगरी काशी में बुधवार को विश्व जल दिवस को मनाया गया. इस दौरान भारी संख्या में लोग मौजूद (Varanasi News) रहे. तुलसी घाट पर स्कूली बच्चे, महिलाओं व काशी के प्रबुद्ध लोगों ने मानव श्रृंखला बनाकर के गंगा के संरक्षण व सहयोग को लेकर संकल्प लिया

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Published : Mar 22, 2023, 1:02 PM IST

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लखनऊ : जहां पूरी दुनिया में आज विश्व जल दिवस मनाया जा रहा है, वहीं धर्म नगरी काशी में भी परंपरागत तरीके से विश्व जल दिवस को मनाया गया. जहां बकायदा तुलसी घाट पर स्कूली बच्चे, महिलाओं व काशी के प्रबुद्ध लोगों ने मानव श्रृंखला बनाकर के गंगा के संरक्षण व सहयोग को लेकर संकल्प लिया. बता दें कि वाराणसी के तुलसी घाट पर संकट मोचन फाउंडेशन के द्वारा संकट मोचन के महंत पंडित विशंभर नाथ मिश्र के नेतृत्व में काशी के प्रबुद्ध जन व अन्य लोगों ने मानव श्रृंखला बनाकर के गंगा के संरक्षण का संकल्प लिया. इस दौरान सभी लोगों ने हाथों में पत्र के साथ यह संकल्प लिया कि वह गंगा को संरक्षित रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.

गंगा संरक्षण का लिया गया संकल्प : इस बारे में संकट मोचन के महंत पंडित विशंभर नाथ मिश्र ने बताया कि 'सन 2000 से वाराणसी के तुलसी घाट पर जल दिवस पर गंगा के संरक्षण को लेकर कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में महिला पुरुष प्रबुद्ध जन के साथ स्कूली बच्चे भी अपनी सहभागिता दर्ज कराते हैं. उन्होंने बताया कि स्कूली बच्चों को हम इसमें इसलिए शामिल करते हैं कि यदि वह चैतन्य हो जाएंगे तो वर्तमान समय में गंगा को लेकर के स्वच्छता व सुरक्षा को लेकर जो तनाव हो रहा है वह तनाव समाप्त होगा और गंगा सुरक्षित व संरक्षित रहेंगी, क्योंकि यदि गंगा जी स्वस्थ रहेंगी तो मानव जीवन भी स्वस्थ व सुरक्षित रहेगा.'

प्लान को हकीकत में इम्प्लीमेंट करना है जरूरी : उन्होंने बताया कि इस वर्ष का थीम एक्सीलरेटेड चेंज, द मैनेजमेंट ऑफ सीवेज एंड ड्रिंकिंग वाटर है. वर्तमान समय में जो परिवर्तन हो रहा है, उसको लेकर के ज्यादा समय नहीं देना चाहिए, बल्कि उसका तुरंत समाधान करना चाहिए, क्योंकि समस्या तेजी से बढ़ रही है आज यह उचित समय है यदि आज संरक्षण नहीं होगा तो समय हाथ से निकल जाएगा और जल को लेकर के एक बड़ी समस्या होगी. उन्होंने बताया कि प्लान बनाने से कुछ नहीं होता, प्लान को हकीकत के धरातल पर इंप्लीमेंट करने की जरूरत है. बनारस में तमाम एसटीपी लगाए गए हैं, गंगा को सुरक्षित रखने का दावा किया गया है, लेकिन वर्तमान समय में अभी भी गंगा प्रदूषित हो रही है. लगातार सीवरेज गिराया जा रहा है, ऐसे में सचेत रहने की जरूरत है.

1993 में हुई शुरुआत : गौरतलब हो कि,विश्व जल दिवस की शुरुआत 22 दिसंबर 1992 को संयुक्त राष्ट्र एसेम्बली में प्रस्ताव के जरिए हुई थीजिसमें यह घोषणा हुई थी कि 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाएगा और इसके बाद 1993 में से दुनिया भर में 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है. हर साल इसकी अलग अलग थीम होती है और इसको लेकर के पूरी दुनिया में अलग-अलग कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है.

यह भी पढ़ें : नवरात्रि का पहला दिन : बड़ी काली माता के मंदिर में रही भीड़, भक्तों ने किया कीर्तन भजन

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लखनऊ : जहां पूरी दुनिया में आज विश्व जल दिवस मनाया जा रहा है, वहीं धर्म नगरी काशी में भी परंपरागत तरीके से विश्व जल दिवस को मनाया गया. जहां बकायदा तुलसी घाट पर स्कूली बच्चे, महिलाओं व काशी के प्रबुद्ध लोगों ने मानव श्रृंखला बनाकर के गंगा के संरक्षण व सहयोग को लेकर संकल्प लिया. बता दें कि वाराणसी के तुलसी घाट पर संकट मोचन फाउंडेशन के द्वारा संकट मोचन के महंत पंडित विशंभर नाथ मिश्र के नेतृत्व में काशी के प्रबुद्ध जन व अन्य लोगों ने मानव श्रृंखला बनाकर के गंगा के संरक्षण का संकल्प लिया. इस दौरान सभी लोगों ने हाथों में पत्र के साथ यह संकल्प लिया कि वह गंगा को संरक्षित रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.

गंगा संरक्षण का लिया गया संकल्प : इस बारे में संकट मोचन के महंत पंडित विशंभर नाथ मिश्र ने बताया कि 'सन 2000 से वाराणसी के तुलसी घाट पर जल दिवस पर गंगा के संरक्षण को लेकर कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में महिला पुरुष प्रबुद्ध जन के साथ स्कूली बच्चे भी अपनी सहभागिता दर्ज कराते हैं. उन्होंने बताया कि स्कूली बच्चों को हम इसमें इसलिए शामिल करते हैं कि यदि वह चैतन्य हो जाएंगे तो वर्तमान समय में गंगा को लेकर के स्वच्छता व सुरक्षा को लेकर जो तनाव हो रहा है वह तनाव समाप्त होगा और गंगा सुरक्षित व संरक्षित रहेंगी, क्योंकि यदि गंगा जी स्वस्थ रहेंगी तो मानव जीवन भी स्वस्थ व सुरक्षित रहेगा.'

प्लान को हकीकत में इम्प्लीमेंट करना है जरूरी : उन्होंने बताया कि इस वर्ष का थीम एक्सीलरेटेड चेंज, द मैनेजमेंट ऑफ सीवेज एंड ड्रिंकिंग वाटर है. वर्तमान समय में जो परिवर्तन हो रहा है, उसको लेकर के ज्यादा समय नहीं देना चाहिए, बल्कि उसका तुरंत समाधान करना चाहिए, क्योंकि समस्या तेजी से बढ़ रही है आज यह उचित समय है यदि आज संरक्षण नहीं होगा तो समय हाथ से निकल जाएगा और जल को लेकर के एक बड़ी समस्या होगी. उन्होंने बताया कि प्लान बनाने से कुछ नहीं होता, प्लान को हकीकत के धरातल पर इंप्लीमेंट करने की जरूरत है. बनारस में तमाम एसटीपी लगाए गए हैं, गंगा को सुरक्षित रखने का दावा किया गया है, लेकिन वर्तमान समय में अभी भी गंगा प्रदूषित हो रही है. लगातार सीवरेज गिराया जा रहा है, ऐसे में सचेत रहने की जरूरत है.

1993 में हुई शुरुआत : गौरतलब हो कि,विश्व जल दिवस की शुरुआत 22 दिसंबर 1992 को संयुक्त राष्ट्र एसेम्बली में प्रस्ताव के जरिए हुई थीजिसमें यह घोषणा हुई थी कि 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाएगा और इसके बाद 1993 में से दुनिया भर में 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है. हर साल इसकी अलग अलग थीम होती है और इसको लेकर के पूरी दुनिया में अलग-अलग कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है.

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