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कोरोना की तीसरी लहर के लिए तैयार है होम्योपैथी!

कोरोना की तीसरी लहर की आशंका व्यक्त की जा रही है. इसे लेकर एलोपैथी(Allopathy), आयुर्वेद (Ayurveda) के साथ-साथ होम्योपैथी (Homeopathy) भी तैयारियों में जुट गया है. वर्तमान में होम्योपैथी की क्या तैयारी है, इसे लेकर ईटीवी भारत ने होम्योपैथी चिकित्साधिकारी डॉ. अनिल गुप्ता से खास बातचीत की. देखिए ये रिपोर्ट...

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होम्योपैथी चिकित्साधिकारी डॉ अनिल गुप्ता .
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Published : Jun 17, 2021, 12:01 PM IST

वाराणसी: देशभर में कोरोना की दूसरी लहर के बाद अब तीसरी लहर के खतरे को लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरीके से अलर्ट हैं. तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की आशंका को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय व सभी विभागों के द्वारा हर संभव कोशिश की जा रही है, जिससे कि तीसरी लहर से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके. इसी क्रम में आयुर्वेद (Ayurveda), एलोपैथी (Allopathy) के साथ-साथ होम्योपैथी (Homeopathy) भी अपनी तैयारी कर रहा है कि किस तरीके से तीसरी लहर के नुकसान को कम किया जा सके. साथ ही कोरोना महामारी से जंग जीती जा सके.

होम्योपैथी चिकित्साधिकारी से बातचीत करतीं संवाददाता.

बता दें, कोरोना महामारी से जंग लड़ने में एलोपैथी, आयुर्वेद के साथ-साथ होम्योपैथी ने भी बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभाई और लोगों की इम्यूनिटी स्ट्रांग करने के साथ संक्रमण से भी उन्हें सुरक्षित रखने का कार्य किया. वर्तमान में होम्योपैथी की क्या तैयारी है, इसको लेकर होम्योपैथी चिकित्साधिकारी डॉ. अनिल गुप्ता से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

'दो तरह से होम्योपैथी में होता है इलाज'

डॉ. अनिल गुप्ता ने बताया, हम दो तरीके से मरीजों का इलाज करते हैं. एक तो प्रोफाइलेक्सिस होता है, दूसरा होता है क्यूरेटिव. प्रोफाइलेक्सिस में हम एक स्वस्थ व्यक्ति को ट्रीट करते हैं, जिनमें उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने हेतु आर्सेनिक एल्बम 30 जैसी दवाएं दी जाती हैं. इसके साथ ही उन्हें गाइडलाइन का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाता है, जिससे वह नियम के अनुसार इन दवाओं का सेवन करके कोरोना से सुरक्षित रहें. दूसरे क्यूरेटिव पार्ट में हम संक्रमित व्यक्तियों का इलाज करते हैं.

इसे भी पढ़ें: यूपी में अगस्त से अक्टूबर तक कोरोना की तीसरी लहर की आशंका

उन्होंने बताया कि हमारा होम्योपैथी सिद्धांत (Homeopathy Principles) हैं. बीमारियों का इलाज करने की अलग पद्धति है. इसी प्रकार कोरोना संक्रमित व्यक्ति के इलाज की भी अलग पद्धति है. जैसे इसमें कुछ एसिम्टोमैटिक हैं, कुछ में पूरे पूरे लक्षण दिखते हैं तो कुछ में ऑक्सीजन की कमी होती है. हमारे यहां इन तीनों प्रकार के व्यक्तियों के लिए अलग-अलग तरह का इलाज किया जाता है. होम्योपैथी में मर्ज के साथ दिखने वाले लक्षण के आधार पर मरीजों को दवाएं दी जाती हैं और वर्तमान में हम अलग-अलग दवाइयों का उपयोग अपने डेली रूटीन में मरीजों का ट्रीटमेंट करने में कर रहे हैं, जिसका रिस्पांस भी अच्छा मिल रहा है.

'नहीं होता कोई साइड इफेक्ट'

डॉ. अनिल गुप्ता ने बताया, सबसे खास बात यह है कि होम्योपैथी का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता. वर्तमान में जो बीमारी ब्लैक फंगस (Black Fungus) आई है, वह दवाओं के साइड इफेक्ट से बढ़ रही है. हमारे होम्योपैथी में इस तरीके का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता. हमारे यहां ब्लैक फंगस का इलाज जरूर होता है, लेकिन हमारे यहां दी जाने वाली दवाइयों का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता.

इसे भी पढ़ें: एंटीबायोटिक की ओवरडोज मार रही गुड बैक्टीरिया, बढ़ रहा ब्लैक फंगस

'तीसरी लहर के लिए तैयार हैं हम'

उन्होंने बताया कि आयुष मंत्रालय द्वारा दिए गए निर्देशों का हम लगातार पालन कर रहे हैं और होम्योपैथी भी कोरोना की तीसरी लहर के लिए पूरी तरीके से तैयार है. इलाज में इजाफा करना हो या फिर नई तकनीकों का प्रयोग करना हो हम सभी को शामिल करके तीसरी लहर की तैयारी कर रहे हैं, जिससे कि तीसरी लहर में संक्रमण की रफ्तार को कम किया जा सके. लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सके. साथ ही लोगों को सुरक्षित रखा जा सके.

वाराणसी: देशभर में कोरोना की दूसरी लहर के बाद अब तीसरी लहर के खतरे को लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरीके से अलर्ट हैं. तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की आशंका को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय व सभी विभागों के द्वारा हर संभव कोशिश की जा रही है, जिससे कि तीसरी लहर से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके. इसी क्रम में आयुर्वेद (Ayurveda), एलोपैथी (Allopathy) के साथ-साथ होम्योपैथी (Homeopathy) भी अपनी तैयारी कर रहा है कि किस तरीके से तीसरी लहर के नुकसान को कम किया जा सके. साथ ही कोरोना महामारी से जंग जीती जा सके.

होम्योपैथी चिकित्साधिकारी से बातचीत करतीं संवाददाता.

बता दें, कोरोना महामारी से जंग लड़ने में एलोपैथी, आयुर्वेद के साथ-साथ होम्योपैथी ने भी बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभाई और लोगों की इम्यूनिटी स्ट्रांग करने के साथ संक्रमण से भी उन्हें सुरक्षित रखने का कार्य किया. वर्तमान में होम्योपैथी की क्या तैयारी है, इसको लेकर होम्योपैथी चिकित्साधिकारी डॉ. अनिल गुप्ता से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

'दो तरह से होम्योपैथी में होता है इलाज'

डॉ. अनिल गुप्ता ने बताया, हम दो तरीके से मरीजों का इलाज करते हैं. एक तो प्रोफाइलेक्सिस होता है, दूसरा होता है क्यूरेटिव. प्रोफाइलेक्सिस में हम एक स्वस्थ व्यक्ति को ट्रीट करते हैं, जिनमें उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने हेतु आर्सेनिक एल्बम 30 जैसी दवाएं दी जाती हैं. इसके साथ ही उन्हें गाइडलाइन का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाता है, जिससे वह नियम के अनुसार इन दवाओं का सेवन करके कोरोना से सुरक्षित रहें. दूसरे क्यूरेटिव पार्ट में हम संक्रमित व्यक्तियों का इलाज करते हैं.

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उन्होंने बताया कि हमारा होम्योपैथी सिद्धांत (Homeopathy Principles) हैं. बीमारियों का इलाज करने की अलग पद्धति है. इसी प्रकार कोरोना संक्रमित व्यक्ति के इलाज की भी अलग पद्धति है. जैसे इसमें कुछ एसिम्टोमैटिक हैं, कुछ में पूरे पूरे लक्षण दिखते हैं तो कुछ में ऑक्सीजन की कमी होती है. हमारे यहां इन तीनों प्रकार के व्यक्तियों के लिए अलग-अलग तरह का इलाज किया जाता है. होम्योपैथी में मर्ज के साथ दिखने वाले लक्षण के आधार पर मरीजों को दवाएं दी जाती हैं और वर्तमान में हम अलग-अलग दवाइयों का उपयोग अपने डेली रूटीन में मरीजों का ट्रीटमेंट करने में कर रहे हैं, जिसका रिस्पांस भी अच्छा मिल रहा है.

'नहीं होता कोई साइड इफेक्ट'

डॉ. अनिल गुप्ता ने बताया, सबसे खास बात यह है कि होम्योपैथी का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता. वर्तमान में जो बीमारी ब्लैक फंगस (Black Fungus) आई है, वह दवाओं के साइड इफेक्ट से बढ़ रही है. हमारे होम्योपैथी में इस तरीके का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता. हमारे यहां ब्लैक फंगस का इलाज जरूर होता है, लेकिन हमारे यहां दी जाने वाली दवाइयों का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता.

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'तीसरी लहर के लिए तैयार हैं हम'

उन्होंने बताया कि आयुष मंत्रालय द्वारा दिए गए निर्देशों का हम लगातार पालन कर रहे हैं और होम्योपैथी भी कोरोना की तीसरी लहर के लिए पूरी तरीके से तैयार है. इलाज में इजाफा करना हो या फिर नई तकनीकों का प्रयोग करना हो हम सभी को शामिल करके तीसरी लहर की तैयारी कर रहे हैं, जिससे कि तीसरी लहर में संक्रमण की रफ्तार को कम किया जा सके. लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सके. साथ ही लोगों को सुरक्षित रखा जा सके.

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