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पुरानी किताबों के बदले देते हैं हेलमेट, एक हादसे ने बदल दी जिंदगी

वाराणसी शहर में एक व्यक्ति इस समय पुरानी किताबों के बदले हेलमेट दे रहा है. इनके स्टॉल पर लिखा है- 'पुस्तक लाओ बदले में हेलमेट ले जाओ'. इसके अलावा लिखा है कि 'यमराज ने भेजा है बचाने के लिए, ऊपर जगह नहीं है जाने के लिए'. इन सबके के पीछे एक बड़ी प्रेरणा काम कर रही है, जिस वजह से राघवेंद्र लोगों को पुस्तक के बदले हेलमेट दे रहे हैं.

helmet man
हेलमेट मैन
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Published : Jan 21, 2021, 4:05 PM IST

वाराणसीः शहर के लंका चौराहे पर एक व्यक्ति कार में रंग-बिरंगे हेलमेट रखकर लोगों को किताब के बदले हेलमेट दे रहा है. इसके बारे में जब ईटीवी भारत की टीम ने जानने की कोशिश कि तो पता चला कि यह व्यक्ति पूरे भारत में अब तक 48 हजार लोगों को किताब के बदले हेलमेट दे चुका है. हेलमेट देने के पीछे एक बड़ी वजह भी है, जो राघवेंद्र ने खुद मीडिया के सामने बताया.

किताबों के बदले हेलमेट.

राघवेंद्र ने बताया कि 2014 में हेलमेट नहीं लगाने की वजह से उनके दोस्त की मौत हो गई थी, तभी से उन्होंने लोगों को फ्री में हेलटमेट देने और जागरूक करने की ठान लिया. वहीं दोस्त के घर में जो पुरानी पुस्तक रखी हुई थी, उसको एक जरूरतमंद को दे दिया था. 2 साल बाद उसकी मां का फोन आया और उसने बताया कि आपने जो पुस्तक दिया था उसे पढ़ने से मेरे बेटे का जिले में दूसरा स्थान आया है. तब से राघवेंद्र ने प्रण लिया कि जो कोई उनको पुस्तक देगा उन्हें वह हेलमेट देंगे.

पुस्तक के बदले देते हैं हेलमेट
हेलमेट मैन ने बताया कि वह भारत के 22 राज्यों में 6 लाख बच्चों को पुस्तक दे चुके हैं. राघवेंद्र का कहना है कि बहुत से लोगों के पास पुरानी पुस्तकें पड़ी हैं, जिनका कोई उपयोग नहीं होता. ऐसी पुस्तकों को हम उनसे लेते हैं और उसके बदले में हम लोगों को हेलमेट देते हैं. जिले के विभिन्न स्थानों में पुरानी पुस्तकों के बदले नया हेलमेट देने का कार्य कर रहे हैं. उनका कहना है कि पढ़े-लिखे लोग ही सबसे ज्यादा ट्रैफिक रूल तोड़ते हैं. ऐसे में उनके घरों में धूल खा रही पुस्तक किसी के काम आ सकती हैं.

जरूरत की ले सकते हैं पुस्तक
राघवेंद्र ने बताया कि उनका सपना है कि वह बहुत बड़ी लाइब्रेरी बनाएं, जहां हर प्रकार की पुस्तक उपलब्ध हो. उसके साथ ही जहां भी वह अपना स्टॉल लगाते हैं. लोग दो पुरानी पुस्तक देकर अपनी जरूरत की पुस्तक भी ले सकते हैं. इनका संकल्प है कि हेलमेट की वजह से किसी भी व्यक्ति की सड़क दुर्घटना में मौत न हो और पूरा भारत 100 प्रतिशत साक्षर हो. वाराणसी में राघवेंद्र ने इस कार्यक्रम के तहत लगभग 400 लोगों को पुस्तक के बदले हेलमेट दिया.

नितिन गडकरी कर चुके हैं सराहना
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी राघवेंद्र के कार्य की सराहना करते हुए ट्विटर के माध्यम से उनका हौसला अफजाई कर चुके हैं. राघवेंद्र बिहार के कैमूर जिले के रहने वाले हैं. राघवेंद्र जिनका हेलमेट की वजह से चालान हुआ है, उनको भी हेलमेट देते हैं. वहीं कोई बी 20 पुस्तक देने पर हेलमेट देते हैं.

पुस्तक देकर लिया हेलमेट
शहर के रहने वाले अशोक पांडेय ने बताया कि राघवेंद्र की एक्टिविटी से शहर के लोगों को काफी फायदा हो रहा है. ट्रैफिक रूल के पालन के लिए भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है. घर में बहुत सी पुरानी पुस्तक रखी हुई हैं, उसको यहां पर दीजिए और नया हेलमेट लीजिए. इसका दो फायदा होगा जहां पुस्तक किसी जरुतमन्द को पढ़ने में सहायक होगी. वहीं हेलमेट से आपकी जीवन रक्षा होगी. अशोक ने बताया कि उन्होंने भी पुस्तक देकर हेलमेट प्राप्त किया.

वाराणसीः शहर के लंका चौराहे पर एक व्यक्ति कार में रंग-बिरंगे हेलमेट रखकर लोगों को किताब के बदले हेलमेट दे रहा है. इसके बारे में जब ईटीवी भारत की टीम ने जानने की कोशिश कि तो पता चला कि यह व्यक्ति पूरे भारत में अब तक 48 हजार लोगों को किताब के बदले हेलमेट दे चुका है. हेलमेट देने के पीछे एक बड़ी वजह भी है, जो राघवेंद्र ने खुद मीडिया के सामने बताया.

किताबों के बदले हेलमेट.

राघवेंद्र ने बताया कि 2014 में हेलमेट नहीं लगाने की वजह से उनके दोस्त की मौत हो गई थी, तभी से उन्होंने लोगों को फ्री में हेलटमेट देने और जागरूक करने की ठान लिया. वहीं दोस्त के घर में जो पुरानी पुस्तक रखी हुई थी, उसको एक जरूरतमंद को दे दिया था. 2 साल बाद उसकी मां का फोन आया और उसने बताया कि आपने जो पुस्तक दिया था उसे पढ़ने से मेरे बेटे का जिले में दूसरा स्थान आया है. तब से राघवेंद्र ने प्रण लिया कि जो कोई उनको पुस्तक देगा उन्हें वह हेलमेट देंगे.

पुस्तक के बदले देते हैं हेलमेट
हेलमेट मैन ने बताया कि वह भारत के 22 राज्यों में 6 लाख बच्चों को पुस्तक दे चुके हैं. राघवेंद्र का कहना है कि बहुत से लोगों के पास पुरानी पुस्तकें पड़ी हैं, जिनका कोई उपयोग नहीं होता. ऐसी पुस्तकों को हम उनसे लेते हैं और उसके बदले में हम लोगों को हेलमेट देते हैं. जिले के विभिन्न स्थानों में पुरानी पुस्तकों के बदले नया हेलमेट देने का कार्य कर रहे हैं. उनका कहना है कि पढ़े-लिखे लोग ही सबसे ज्यादा ट्रैफिक रूल तोड़ते हैं. ऐसे में उनके घरों में धूल खा रही पुस्तक किसी के काम आ सकती हैं.

जरूरत की ले सकते हैं पुस्तक
राघवेंद्र ने बताया कि उनका सपना है कि वह बहुत बड़ी लाइब्रेरी बनाएं, जहां हर प्रकार की पुस्तक उपलब्ध हो. उसके साथ ही जहां भी वह अपना स्टॉल लगाते हैं. लोग दो पुरानी पुस्तक देकर अपनी जरूरत की पुस्तक भी ले सकते हैं. इनका संकल्प है कि हेलमेट की वजह से किसी भी व्यक्ति की सड़क दुर्घटना में मौत न हो और पूरा भारत 100 प्रतिशत साक्षर हो. वाराणसी में राघवेंद्र ने इस कार्यक्रम के तहत लगभग 400 लोगों को पुस्तक के बदले हेलमेट दिया.

नितिन गडकरी कर चुके हैं सराहना
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी राघवेंद्र के कार्य की सराहना करते हुए ट्विटर के माध्यम से उनका हौसला अफजाई कर चुके हैं. राघवेंद्र बिहार के कैमूर जिले के रहने वाले हैं. राघवेंद्र जिनका हेलमेट की वजह से चालान हुआ है, उनको भी हेलमेट देते हैं. वहीं कोई बी 20 पुस्तक देने पर हेलमेट देते हैं.

पुस्तक देकर लिया हेलमेट
शहर के रहने वाले अशोक पांडेय ने बताया कि राघवेंद्र की एक्टिविटी से शहर के लोगों को काफी फायदा हो रहा है. ट्रैफिक रूल के पालन के लिए भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है. घर में बहुत सी पुरानी पुस्तक रखी हुई हैं, उसको यहां पर दीजिए और नया हेलमेट लीजिए. इसका दो फायदा होगा जहां पुस्तक किसी जरुतमन्द को पढ़ने में सहायक होगी. वहीं हेलमेट से आपकी जीवन रक्षा होगी. अशोक ने बताया कि उन्होंने भी पुस्तक देकर हेलमेट प्राप्त किया.

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