वाराणसी: ज्ञानवापी से जुड़े 3 प्रकरण की सुनवाई शनिवार को जिला कोर्ट में अधिवक्ता ने निधन होने के कारण नहीं हो सकी. इनमें अखिलेश यादव और ओवैसी की बयानबाजी पर मुकदमा दर्ज किए जाने के साथ ही 2 अन्य मामले शामिल हैं. तीनों ही मामले वाराणसी की अलग-अलग कोर्ट में सुने जाएंगे. अब ज्ञानवापी प्रकरण को लेकर अखिलेश ओवैसी के मामले में 10 जनवरी को सुनवाई होगी. वहीं, चार महिला वादिनी महिलाओं की याचिकाओं को एक जगह सुने जाने के प्रार्थना पत्र पर भी सुनवाई नहीं हो सकी. इस मामले की सुनवाई अब 21 जनवरी को निर्धारित की गई है.
सिविल कोर्ट के एडवोकेट हरिशंकर पांडेय ने प्रार्थना पत्र दिया है. ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग मिला है. पूज्य शिवलिंग जहां मिला है, वहां हाथ-पैर धोए जाने, थूकने और गंदा पानी बहाने से असंख्य सनातन धर्मियों का मन पीड़ा से भरा है. आरोपियों ने साजिश के तहत स्वयंभू आदि विश्वेश्वर के शिवलिंग को फव्वारा कहकर सनातन धर्मियों की आस्था पर कुठाराघात और आमजन में विद्वेष फैलाने का काम किया. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बयान दिया था कि पीपल के पेड़ के नीचे पत्थर रखकर झंडा लगा दो तो वही भगवान और शिवलिंग है. एआईएमआईएम चीफ और सांसद असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई हिंदुओं के धार्मिक मामलों और स्वयंभू आदि विश्वेश्वर के खिलाफ लगातार अपमानजनक बात कह रहे हैं. इन नेताओं की बातें जन भावनाओं के खिलाफ हैं.
इस पूरे मामले की साजिश में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी, शहर काजी और शहर के उलेमा सहित सैकड़ों अन्य लोग भी शामिल हैं. इन सभी के आचरण से हिंदू समाज मर्माहत है. इसलिए सभी आरोपियों के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने सहित अन्य आरोपों के तहत मुकदमा दर्ज कर विवेचना की जाए. इस मामले में कोर्ट द्वारा चौक थाने की पुलिस से स्पष्ट रिपोर्ट तलब की जा चुकी है. अब कोर्ट को अपना आदेश सुनाना है.
बीते साल दिसंबर में श्रृंगार गौरी केस की वादिनी रेखा पाठक, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और सीता साहू ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था. आरोप लगाया है कि श्रृंगार गौरी प्रकरण की एक अन्य वादिनी राखी सिंह के पैरोकार जितेंद्र सिंह विसेन की ओर से मुख्यमंत्री को मुकदमों की पॉवर ऑफ अटार्नी सौंपने और मुकदमा वापस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. सुनवाई के दौरान अदालत परिसर में पहुंचने पर कई बार अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल किया गया.
महिलाओं और उनके पैरोकारों से गालीगलौज की जाती है. यह भी आरोप है कि नंदी महाराज बनाम उत्तर प्रदेश सरकार मुकदमे में वादमित्र सितेंद्र चौधरी से फर्जी तरीके से पॉवर ऑफ अटार्नी अपने हक में जितेंद्र करा लिए हैं. वादी महिलाओं ने आशंका जताई है कि इस प्रकरण में जितेंद्र के खिलाफ यदि कोई कार्रवाई नहीं की गई तो वह दंगा भी करवा सकते हैं. 6 जनवरी को एक अधिवक्ता के निधन के कारण सुनवाई नहीं हो सकी थी.
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इनके अलावा श्रृंगार गौरी केस की वादिनी 5 महिलाओं में से 4 ने कोर्ट से यह मांग की है कि ज्ञानवापी प्रकरण से जुड़े सभी मामले उनके मुकदमे के साथ ही सुने जाएं. इस मांग का भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान की ओर से केस दाखिल करने वाली किरन सिंह विसेन ने विरोध किया है. दोनों ही पक्ष कोर्ट में अपनी-अपनी दलीलें पेश कर चुके हैं. इस मामले की भी सुनवाई शनिवार को नहीं हो सकी. कोर्ट ने अगली तिथि 21 जनवरी को दी है.